ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Flipkart’ कैसे बना लोकप्रिय

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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ‘Flipkart’ कैसे बना लोकप्रिय
10 Mar 2022
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आज के दौर में जहाँ ज़्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग (Online shopping) करना पसंद करते हैं, ऐसे में ई-कॉमर्स (E-commerce) प्लेटफॉर्म की पहुंच बढ़ती जा रही है। फ्लिपकार्ट (Flipkart) को आज कौन नहीं जानता जब भी ऑनलाइन शॉपिंग का ख्याल मन में आता है, फ्लिपकार्ट का नाम अपने आप ही ज़हन में आ जाता है। फ्लिपकार्ट भारत के प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (E-commerce platform) में से एक है। क्या आप जानते है कि फ्लिपकार्ट को इतनी सफलता कैसे मिली और इसके पीछे क्या कहानी है ? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं आज यहाँ हम आपको फ्लिपकार्ट के पूरे सफर के बारे में बताएंगे, तो आगे पढ़ते रहिये - थिंक विथ नीस। #TWN

आज ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से हम घर बैठे कुछ भी खरीद सकते हैं। ये बहुत ही आसान और विश्वासजनक तरीका है, हालांकि कुछ ऐसे लोग भी बाजार (Market) में है जो ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर फ्रॉड करते हैं, आपको ऐसी वेबसाइट से सावधान रहने की आवश्यकता है। फ्लिपकार्ट (Flipkart), ऐमज़ॉन (Amazon) और मिंत्रा (Myntra) आदि बहुत विश्वासजनक शॉपिंग ऐप है। 

आज फ्लिपकार्ट, भारत में सबसे लोकप्रिय और अग्रणी ई-कॉमर्स कंपनियों (Leading e-commerce company) में से एक है, जिसका मार्केट शेयर (market share) 31.9% है। वर्ष 2016 में, जब अमेरिकी खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट (American retail giant Walmart) ने $16 बिलियन में फ्लिपकार्ट 77% हिस्सेदारी खरीदी थी तब फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन (valuation) $ 20 बिलियन था। वर्तमान में फ्लिपकार्ट के 20 करोड़ से अधिक पंजीकृत ग्राहक (registered customers) हैं और कंपनी 80 से अधिक श्रेणियों में 150 मिलियन से अधिक उत्पाद (Products) उपलब्ध करा रही है। आज के समय में फ्लिपकार्ट में लगभग 36,000 कर्मचारी हैं। फ्लिपकार्ट ई-कॉमर्स क्षेत्र में भारत में ऐमज़ॉन और स्नैपडील (Amazon and Snapdeal) जैसे प्रतियोगियों के साथ लगातार अपनी छाप बनाए हुए है।

फ्लिपकार्ट का इतिहास (History of Flipkart)

फ्लिपकार्ट की शुरुआत दो दोस्तों सचिन बंसल और बिन्नी बंसल (Sachin Bansal and Binny Bansal) ने मिलकर की थी। इसकी स्थापना 2007 में बैंगलोर (Bangalore) (भारत) में हुई थी। यह एक दिलचस्प बात है कि सचिन बंसल और बिन्नी बंसल का उपनाम एक ही है लेकिन वास्तव में ये दोनों केवल दोस्त हैं। सचिन बंसल का जन्म 1981 में भारत के चंडीगढ़ में हुआ था। वर्ष 2005 में सचिन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology), दिल्ली से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, कंप्यूटर इंजीनियरिंग पढ़ाई करते समय ही उनकी मुलाकात फ्लिपकार्ट के अन्य संस्थापक बिन्नी बंसल से हुई। ग्रेजुएशन के बाद सचिन टेकस्पैन (Techspan) में शामिल हो गए और इसके कुछ ही समय बाद, उन्होंने साल 2006 में एक वरिष्ठ सॉफ्टवेयर इंजीनियर (Senior Software Engineer) के रूप में ऐमज़ॉन वेब सर्विसेज (Amazon Web Services) को ज्वाइन कर लिया। 

दूसरी ओर, बिन्नी बंसल (Binny Bansal) का जन्म 1982 में चंडीगढ़ में हुआ था। साल 2005 में सचिन के साथ ही बिन्नी बंसल ने भी आईआईटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग (Computer Engineering) की डिग्री प्राप्त की और यहीं से बिन्नी और सचिन की दोस्ती शुरू हुई। ग्रेजुएशन के बाद बिन्नी सरनॉफ कॉर्पोरेशन (Sarnoff Corporation) में शामिल हो गए, लेकिन 2007 में बिन्नी बंसल ने भी ऐमज़ॉन वेब सर्विसेज ज्वाइन कर लिया।

2007 में, सचिन और बिन्नी ने पहली बार अपनी अलग वेबसाइट बनाने के बारे में सोचा। ऐमज़ॉन में काम करते समय उन्होंने भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र में एक बड़ा अंतर देखा और इसलिए उन्होंने अपनी ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) की स्थापना के लिए ऐमज़ॉन वेब सर्विसेज Amazon Web Services की नौकरी छोड़ दी। 

शुरुआत में, उन्होंने 400,000 रुपये के निवेश के साथ अपना उद्यम (venture) स्थापित किया और फ्लिपकार्ट ने किताबें बेचकर (selling books) अपनी यात्रा की शुरुआत की क्योंकि उस समय भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन या घरेलू सामान (electronics, fashion, household items) के विक्रेताओं को ढूंढना आसान नहीं था। यहां तक ​​कि पुस्तक विक्रेता भी शुरुआत में फ्लिपकार्ट जैसी इंटरनेट आधारित सेवा पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सके। उस समय सचिन बंसल ने फ्लिपकार्ट कंपनी के सीईओ (CEO) के रूप में कार्यभार संभाला था। 2008 में, कंपनी ने बैंगलोर में दो कमरे के अपार्टमेंट में एक कार्यालय के साथ काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे पुस्तक पाठकों के बीच लोकप्रियता हासिल की। फ्लिपकार्ट की लोकप्रियता ने निवेशकों का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया और 2009 में, फ्लिपकार्ट ने एक निवेश फर्म, एक्सेल पार्टनर्स (investment firm, Accel Partners) से $1 मिलियन का निवेश प्राप्त किया। उस समय, कंपनी के पास 150 से अधिक कर्मचारी थे, और पूरे भारत में कुल तीन कार्यालय थे। इसके साथ ही उस वर्ष के अंत तक, फ्लिपकार्ट के ग्राहकों ने कुल 4 करोड़ रुपये की किताबें खरीदी थीं। 

हालांकि उस समय भारतीय उपभोक्ता (Indian consumers) ऑनलाइन खरीदारी करने में ज्यादा रूचि नहीं रखते थे। लेकिन फ्लिपकार्ट 24/7 ग्राहक सहायता प्रदान करके ग्राहकों का विश्वास हासिल करने में रहा। ये कारवां आगे चलता रहा और साल 2010 में, टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) ने फ्लिपकार्ट में $10 मिलियन का निवेश किया, और कंपनी ने बैंगलोर स्थित सामाजिक पुस्तक खोज सेवा "WeRead" को अपने साथ जोड़ लिया। किताबों की बिक्री की लोकप्रियता बढ़ने के बाद, फ्लिपकार्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स श्रेणी में रूचि दिखाई और मोबाइल बेचना शुरू कर दिया। चूंकि कंपनी को इसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली, इसलिए उन्होंने भारत में पहली बार कैश ऑन डिलीवरी (Cash on delivery) सिस्टम लागू किया। इसका नतीजा ये रहा कि कंपनी उपभोक्ताओं का विश्वास हासिल करने में सफल रही और फ्लिपकार्ट की बिक्री में वृद्धि होने लगी। वित्तीय वर्ष 2011 की शुरुआत में, उनका राजस्व (revenue) 75 करोड़ रुपये था, और उसी वर्ष, उन्होंने एक डिजिटल कंटेंट प्लेटफार्म, माइम360 (Mime360) को अपने साथ जोड़ लिया लिया। साथ ही उसी वर्ष फ्लिपकार्ट ने आधिकारिक तौर पर अपनी कंपनी को पंजीकृत किया, क्योंकि उस समय के नियमों के अनुसार मल्टी-ब्रांड सामान और सेवाएं (multi-brand goods and services) प्रदान करने वाली एक ऑनलाइन खुदरा कंपनी को 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment) की अनुमति नहीं दी थी।

फ्लिपकार्ट का उदय Rise of Flipkart:

2012 में, फ्लिपकार्ट ने ऑनलाइन संगीत स्ट्रीमिंग सेवाओं (music streaming service) में अपने व्यवसाय का विस्तार करने के विचार से अपनी संगीत स्ट्रीमिंग सेवा, फ़्लाइट(Flyte) लॉन्च की। लेकिन अगले साल इस सेवा को बंद कर दिया गया क्योंकि यह उस समय कई ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर सका। उसी वर्ष, कंपनी ने लगभग 12.5 बिलियन रुपये में ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर Letsbuy का अपने साथ जोड़ लिया किया, जिससे उनके व्यवसाय को और बढ़ावा मिला। उस वर्ष, फ्लिपकार्ट ने भारत में शीर्ष 20 ई-खुदरा विक्रेताओं की सूची में पहले स्थान अपना नाम अंकित कर लिया। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, साल 2013 में एक दिन में फ्लिपकार्ट ने 100,000 किताबें बेंची थी। 

2014 में, फ्लिपकार्ट ने टाइगर ग्लोबल और एक्सेल पार्टनर्स के साथ-साथ विभिन्न निवेशकों के माध्यम से कुल $2 बिलियन प्राप्त किये थे। उसी वर्ष, फ्लिपकार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी Myntra को  $330 मिलियन में अपने पोर्टफोलियो में फैशन और लाइफस्टाइल श्रेणी (Fashion & Lifestyle category) में जोड़ लिया। साल के अंत में कंपनी का रेवेन्यू 28.4 अरब रुपये रहा। इसके बाद, 2015 में, यह लगभग 80% बढ़कर लगभग 97 अरब हो गया। उसी वर्ष, फ्लिपकार्ट ने दिल्ली स्थित मोबाइल मार्केटिंग फर्म (mobile marketing firm) "एपिटरेट" (Appiterate) को अपने साथ जोड़ लिया और अपने वितरण कार्यों को और बेहतर बनाने के लिए मैप माय इंडिया  (MapmyIndia) में एक छोटी सी हिस्सेदारी खरीदी। द इकोनॉमिक टाइम्स (The Economic Times) की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने पिछले साल फेस्टिव सेल सीजन (festive sale season) के पांच दिनों में कुल 20 अरब रुपये के उत्पाद बेचे। उसी वर्ष, फ़र्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट की 'बिग बिलियन सेल' (Big Billion Sale) के दौरान कंपनी ने 200 मिलियन मोबाइल फोन बेचे। 2016 में, फ्लिपकार्ट ने एक अन्य भारतीय फैशन और जीवन शैली-आधारित (Indian fashion & lifestyle-based) ई-कॉमर्स व्यवसाय, जबॉन्ग (Jabong) को $60 मिलियन में अपने साथ जोड़ लिया। अधिग्रहण के बाद, जबॉन्ग ने मिंत्रा के अधीन काम करना शुरू किया। उस समय भारत के फैशन ई-कॉमर्स क्षेत्र में फ्लिपकार्ट की बाजार हिस्सेदारी 60% से अधिक थी। इसी प्रकार सफलता की सीढ़ियों को चढ़ते हुए उस समय फ्लिपकार्ट ने अपने 100 मिलियन पंजीकृत ग्राहक बनाये। 

2016 में ही सचिन बंसल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और सह-संस्थापक (Co-founder) बिन्नी बंसल फ्लिपकार्ट के नए सीईओ बने। अक्टूबर 2016 में द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस साल अपने 'फेस्टिव सेल सीज़न' में, फ्लिपकार्ट एक दिन में कुल 14 बिलियन रुपये के उत्पाद बेचने में सक्षम रहा। साल के अंत में फ्लिपकार्ट का रेवेन्यू 132 अरब रुपये था। अप्रैल 2017 में, Tencent, eBay और Microsoft ने Flipkart में 1.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया और कंपनी का मूल्यांकन 11.6 बिलियन डॉलर होगया। उसी वर्ष, फ्लिपकार्ट ने भारत के यूपीआई-आधारित भुगतान (UPI-based payment) स्टार्ट-अप फोनपे PhonePe का अधिग्रहण किया। इसके अलावा अगस्त में, जापानी सॉफ्टबैंक (Japanese giant SoftBank) ने फ्लिपकार्ट में 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश किया और साल के अंत में, कंपनी का राजस्व लगभग 156 बिलियन रुपये हो गया। 

वर्तमान में फ्लिपकार्ट का स्तर :

2018 में, फ्लिपकार्ट Flipkart भारत में एक ऑनलाइन रिटेलर (online retailer) के रूप में 31.9% बाजार हिस्सेदारी के साथ अग्रणी भूमिका में था, जबकि ऐमज़ॉन की बाजार हिस्सेदारी 31.2% थी। इसके अलावा, मिंत्रा और जबॉन्ग की संयुक्त बिक्री ने फ्लिपकार्ट की बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाकर 38.3% कर दिया। उसी साल अगस्त में, अमेरिकी रिटेल वॉलमार्ट (Walmart) ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट में 77% हिस्सेदारी खरीदी, जिससे कंपनी का मूल्यांकन 20 अरब डॉलर से अधिक हो गया। 

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2019 में, फ्लिपकार्ट ने इन-ऐप स्ट्रीमिंग सेवा (in-app streaming service) “फ्लिपकार्ट वीडियो” (Flipkart Video) जारी की। जिसका पहला शो, बैक बेंचर्स (Back Benchers), उसी वर्ष 19 अक्टूबर को जारी किया गया था। वर्ष के अंत में, कंपनी का राजस्व 436.15 बिलियन रुपये से अधिक हो गया, लेकिन बिजनेस टुडे के एक लेख के अनुसार, कंपनी का उस वर्ष फ्लिपकार्ट का नेट लॉस (net loss) 38.35 बिलियन डॉलर था।

अप्रैल 2020 में, फ्लिपकार्ट ने किराना और स्थानीय MSMEs के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जो सूक्ष्म-बाजार स्तर के B2B और B2C व्यवसायों के लिए अपने उत्पाद ज्यादा जगहों पर बेचने की प्रकिया को आसान बनाने लगा। उसी साल जुलाई में, फ्लिपकार्ट ने अरविंद फैशन लिमिटेड (Arvind Fashions Ltd) की सहायक कंपनी अरविंद यूथ ब्रांड्स (Arvind Youth Brands) में 2.6 अरब रुपये में 27% हिस्सेदारी खरीदी। अक्टूबर में फ्लिपकार्ट ने आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल (ABFRL) में  15 अरब रुपये में 7.8% हिस्सेदारी खरीदी थी। सितंबर में, चीनी दिग्गज Tencent ने 72.7 मिलियन में फ्लिपकार्ट में 5.37% हिस्सेदारी खरीदी। वॉलमार्ट की फिलहाल फ्लिपकार्ट में 81.29 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा, सह-संस्थापक बिनी बंसल (Binny Bansal), टाइगर ग्लोबल (Tiger GLobal), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और एक्सेल पार्टनर्स (Accel Partners) की हिस्सेदारी क्रमशः 4.2%, 4.77%, 1.53% और 1.38% है। स्टेटिस्टा के मुताबिक, 2020 के अंत में कंपनी का कुल राजस्व 346.1 अरब रुपये रहा। हालांकि, बिजनेस-स्टैंडर्ड आर्टिकल के मुताबिक, उस साल कंपनी का नेट लॉस 31.5 अरब रुपये था।

फ्लिपकार्ट अपने शुरूआती समय से ही हर साल अपनी स्थिर राजस्व वृद्धि (revenue growth) को बनाए रखने में सक्षम रहा है। भारत के मध्यवर्गीय समुदाय (middle-class community) की बढ़ती स्थिति और बढ़ते इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के कारण, देश में ई-कॉमर्स के लिए काफी संभावनाएं हैं। इसीलिए मार्किट में नए-नए ई-कॉमर्स वेबसाइट आ रहे हैं। आशा है आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। ऐसे ही रोचक तथ्यों को पढ़ने के लिए जुड़े रहिये थिंक विथ नीस के साथ।