तुलसी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

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 तुलसी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
16 Feb 2023
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हिंदू तुलसी के पौधे को सबसे पवित्र मानते हैं। अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा होता है और लोग रोज नहाने के बाद इसकी पूजा करते हैं। तुलसी, जिसे वृंदा के नाम से भी जाना जाता है, एक देवी और श्री विष्णु की पत्नी हैं। इसलिए, वह हमेशा विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबंधित त्योहारों से जुड़ी होती है, जो इस ग्रह पर जीवन का निर्वाह करते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, तुलसी पृथ्वी पर देवी लक्ष्मी का रूप है।

तुलसी के विभिन्न भागों को सनातन धर्म के विभिन्न देवताओं और पवित्र ग्रंथों का निवास माना जाता है। इसके अलावा, चूँकि उन्हें देवी लक्ष्मी का भौतिक अवतार माना जाता है, इसलिए उनकी शांति और समृद्धि के लिए हर दिन पूजा की जाती है।

सदियों से हमारी भारतीय संस्कृति और सनातम धर्म में तुलसी का बहुत महत्व है।कहा जाता है जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहाँ देवी देवताओं का वास होता है। इसलिए आज आप जानेंगे कि आखिर क्यों तुलसी पूजन किया जाता और क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व? Religious and scientific importance of Tulsi.

तुलसी का  महत्व-:तुलसी का पौधा (tulsi tree) ज्यादातर सभी के घरों में सदियों से लगता आ रहा है। क्योंकि सनातन घर्म में इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। लोग इसे मां का दर्जा देकर रोज सुबह शाम इसकी पूजा करते है। जब भी घरों में कुछ विशेष कार्य होता है तो तुलसी का पूजन जरूर होता है।

हमारी  भारतीय संस्कृति में तुलसी पूजन करने को बहुत शुभ  और घर की सुख समृद्धि के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे लगाने के लिए कोई अधिक प्रयत्न की आवश्यकता नहीं होती है ये बहुत आसानी से घरों में फलता है। यही नहीं अगर वैज्ञानिक तौर पर देखा जाए तो इसके बहुत फायदे है जो शायद आप नहीं जानते तो आइए नीचे इसके बारे में विस्तार से चर्चा करतें है।

तुलसी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व Religious and scientific importance of Tulsi

तुलसी का धर्मिक मह्त्व

हमारे हिंदू धर्म में तुलसी को लेकर बहुत सी मान्यताएं क्योंकि इस धर्म में लोग पूजा पाठ में बहुत विश्वास करते है। पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद पुराण, भविष्य पुराण और गरुड़ पुराण Padma Purana, Brahmavaivarta, Skanda Purana, Bhavishya Purana and Garuda Purana में तुलसी के पौधे को बहुत फायदेमंद बताया गया है।

बोला जाता है कि यदि आप भगवान श्री कृष्ण की पूजा बिना तुलसी पूजन के करते है तो वो अधूरी मानी जाती है। यही नहीं अगर आपको रामायण का भी ज्ञान है तो आपने सुना होगा या देखा होगा कि हुनमान जी को तुलसी से बहुत प्यार है। इसलिए मान्यता है कि उन्हें तुलसी दल का भोग लगाया जाता है।

तुलसी को घर के ऑंगन में इसलिए लगया जाता है क्योंकि इससे पाप,कष्ट नष्ट हो जाते है। और घर में सुख समृद्धि आती है। इसके अलावा तुलसी का विशेष धार्मिक महत्व तब माना जाता है किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस समय तुलसी और गंगा जल को उसके मुँह में डाला जाता है। ताकि उस व्यक्ति की आत्म को शांति  और स्वर्ग मिलता है।

तो दोस्तों अभी तक हमने बात कि तुलसी के धार्मिक महत्व के बारे लेकिन ये सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक Scientific तौर  पर भी बहुत महत्व बताए गए हैं। आइये अब इसके वैज्ञानिक महत्व को जानते है।

तुलसी का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक तौर पर तुलसी का पौधा हमारे वातावरण को शुद्ध करता है। तुलसी को बीमारियों के लिए भी बहुत गुणकारी माना जाता है। क्योंकि तुलसी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक Antibacterial, antifungal and antibiotic गुण होते हैं, जो शरीर में  संक्रमण से लड़ने के लिए लाभदायक होते है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अच्छा बना रहता है। इसका सेवन करते समय ये घ्यान रखें आप इसके पत्तों को चबाएं न क्योंकि इसके पत्तों में पारा होता जो आपके दांतों को खराब कर सकता है।

यदि आपको मौसमी बीमारियां जल्दी लगती हैं तो इससे बचने के लिए आप इसकी पत्तियों को चाय में डकार या काढ़ा बनाकर पी सकते है। जिन लोगों को सांस सबंधित बीमारियां है उनके लिए तुलसी की खुशबू  भी बहुत अच्छी मानी गई है।

तुलसी को वास्तु शास्त्र के हिसाब से भी बहुत देखा जाता है। इसलिए बताया गया है कि इसे कभी दक्षिण भाग में नहीं लगाना चाहिए इससे आपके जीवन में दोष उतपन्न होता है। अगर आपके घर की तुलसी दक्षिण भाग में है तो उसे अब उत्तर-पूर्व कोने में रख दें। क्योंकि इसे वास्तु शास्त्र के हिसाब से इस भाग में लगाना ही उचित और शुभ माना गया है।

तुलसी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम Some important rules related to Tulsi

यदि आपके घर में तुलसी का पौधा है तो आपको उससे जुड़े कुछ विशेष नियमों के बारे में पता होना भी अनिवार्य है। 

सबसे पहले आप तुलसी को रोज़ सुबह जल चढाएं और शाम को दीपक जलाएं क्योंकि इससे आपको कई लाभ मिलते है। हमारे शास्त्रों और धार्मिकता के हिसाब से  तुलसी पूजन रोज़ करना चाहिए क्योंकि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है जिससे वे प्रसन्न होती है और अपनी कृपा आपमें बनाए रखती है।

कहा जाता है कि जिस घर में माँ तुलसी का पूजन होता है उनके घरों में नकरात्मक ऊर्जा नहीं आती और कोई वास्तु दोष नहीं होता। तुलसी को ज्यादातर घरों में पूजा पाठ के लिए जाना जाता है इसलिए इसकी पत्तियों को पूजा में इस्तेमाल के लिए रोज तोड़ा भी जाता है लेकिन क्या आपको ये पता है कि इसे कब-कब नहीं तोड़ना चाहिए?

तुलसी को रविवार,एकादशी,और चंद्रग्रहण के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। इसके अलावा बिना किसी कारण के इसे न तोड़े क्योंकि इससे दोष लगता है। तुलसी को बहुत ही पवित्र (Holy) माना जाता है इसलिए अशुद्ध हाथों से इसे न छुएँ।

अंत में दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने तुलसी के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्वों के बारे में आपको जानकारी दी है क्योंकि तुलसी ज्यादातर हर घरों में लगाई जाती लेकिन हम में से बहुत से लोग है जो उसके सभी फ़ायदों के बारे में नहीं जानते।

लेकिन आज ये पोस्ट पढ़ कर आप इस धार्मिक और गुणकारी तुलसी के पौधे के बारे में समझ गएं होंगे कि इसकी इतनी मान्यता क्यों है।इसलिए ये लेख विशेष हमारे हिंदू धर्म या सनातम धर्म की मान्यताओं और विशेषज्ञों के तथ्यों पर आधारित है। उम्मीद है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा।

तुलसी और वास्तु शास्त्र Tulsi and Vastu Shastra

वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी के बारे में जानते हैं-

  • जिन घरों में तुलसी का पौधा लगा हुआ होता है वहां पर वास्तु संबंधी दोष कभी नहीं होता है।

  • तुलसी के पौधे को घर के उत्तर- पूर्व कोने में लगाना शुभ माना जाता है।

  • तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए इससे दोष लगता है। 

  • कभी भी तुलसी के पत्तों को दांतों से चबाना नहीं चाहिए बस मुँह में रखते ही इसे एक बार में ही निगल लेना चाहिए। इस बात के पीछे यह वैज्ञानिक कारण है कि तुलसी के पत्तों में पारा होता है इसलिए यदि हम इसे चबाते हैं तो इससे हमारे दांत खराब हो सकते हैं।

तुलसी के प्रकार Types of Tulsi 

तुलसी 5 प्रकार की होती है जो नीचे बताई गयी है। 

1. श्याम तुलसी

2. राम तुलसी

3. श्वेत/विष्णु तुलसी

4. वन तुलसी

5. नींबू तुलसी

यदि इन तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा बन सकती है। यह एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी–डिजीज की तरह कार्य कर सकती है। यानि यह काफी लाभदायी हो सकती है। 

तुलसी में खड़ी मंजरियाँ उगती हैं। इन मंजरियों में छोटे-छोटे फूल होते हैं। देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। भगवान विष्णु के पूजन के समय तुलसी पत्रों का हार उनकी प्रतिमाओं को अर्पण किया जाता है। श्रीकृष्ण अथवा विष्णुजी तुलसी पत्र के बिना नैवेद्य स्वीकार नहीं करते।

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कैसे करें इन 5 प्रकार की तुलसी की पहचान How to identify 5 types of Tulsi

1. श्यामा तुलसी की पहचान Shyama Tulsi 

श्यामा तुलसी की बात करें तो इसकी पत्तियां श्याम रंग या फिर बैंगनी रंग की होती हैं। इसी कारण इसे श्यामा तुलसी कहा जाता है। श्यामा तुलसी को कृष्ण तुलसी (Krishna tulsi) के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे यह माना जाता है कि इस तुलसी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, तभी इसकी पत्तियां श्रीकृष्ण के रंग के समान श्याम रंग की होती हैं।

2. श्वेत तुलसी की पहचान White Tulsi

इस तुलसी को विष्णु तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रयोग कई बीमारियों में किया जाता है। जैसे बच्चों की खांसी, जुकाम आदि में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पहचान यह है कि इसके पुष्प सफेद रंग के होते हैं। इस तुलसी में इसमें अपना विद्युत प्रवाह होता है।

3. राम तुलसी की पहचान Rama Tulsi 

राम तुलसी की पहचान आप इस तरह से कर सकते हैं कि जिस पौधे की तुलसी की पत्तियां हरी होती हैं उसे रामा तुलसी के नाम से पुकारा जाता है। रामा तुलसी की पत्तियों का यूज़ पूजा-पाठ में किया जाता है। इसे घर में लगाना शुभ माना जाता है। 

4. नींबू तुलसी की पहचान Lemon Tulsi

इस किस्म की तुलसी में तुलसी एवं लेमन ग्रास दोनों के गुण मौजूद हैं। इस तरह की तुलसी की पत्तियां नींबू की तरह सुगंधित होती हैं एवं इसमें विटामिन ए भी काफी मात्रा में पाया जाता है।

5. वन तुलसी की पहचान Forest Tulsi

इस तुलसी को जंगली तुलसी और तुलसी बर्बरी भी कहा जाता है। इस तरह की तुलसी पौधों की लम्बाई 60 से 90 सेंटीमीटर होती है। इसकी पहचान यह है कि पौधों में वर्ष भर फूल और फल लगे रहते हैं। फूल सफेद, गुलाबी या बैंगनी रंग के होते हैं। 

तुलसी का धार्मिक, ज्योतिषीय, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व Religious, Astrological, Ayurvedic and Scientific Importance of Tulsi

ये बात तो हम सब जानते हैं कि तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि तुलसी का पौधा घर के आंगन में लगाने से पिछले जन्म के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है।

ये पौधा अपने वैज्ञानिक, धार्मिक और ज्योतिषीय गुणों के कारण महत्वपूर्ण है। तुलसी के पौधे का महत्व पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त, स्कंद और भविष्य पुराण के साथ गरुड़ पुराण में भी बताया गया है। आयुर्वेद और विज्ञान ने भी इस पौधे को पर्यावरण एवं स्वस्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना है।

भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा तुलसी दल के बिना पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए ये पौधा घर में होना बहुत जरूरी है। चलिए तुलसी के अन्य कई धार्मिक, ज्योतिषीय, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व को जानते हैं -

  • तुलसी का पौधा हर घर में सदियों से लगता आ रहा है साथ ही छोटे-बड़े जितने भी धार्मिक आयोजन होते हैं घर में उस दौरान तुलसी के पौधे की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इतना ही नहीं आयुर्वेद और विज्ञान में भी तुलसी के पौधे का खास महत्व बताया गया है। 

  • तुलसी विवाह से कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है साथ ही घर में संपदा, वैभव-मंगल विराजते हैं।

  • तुलसी का पौधा लगाने, उसे सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्म के पाप खत्म हो जाते हैं।

  • कार्तिक मास में विष्णु भगवान का तुलसीदल से पूजन करने का माहात्म्य अवर्णनीय है। 

  • तुलसी के पौधे का महत्व हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथों और पुराणों में बताया गया है। 

  • मृत्यु के समय जो तुलसी पत्ते सहित जल पीता है वह हर तरह के पापों से मुक्त हो जाता है।

  • स्कन्द पुराण के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है और हर दिन उसकी पूजा होती है तो ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते।

  • स्कन्द पुराण के अनुसार बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित हैं परन्तु तुलसीदल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं हैं। ये दाेनों चीजें अपवित्र नहीं मानी जाती।

  • तुलसी का प्रतिदिन दर्शन करना पापनाशक समझा जाता है तथा पूजन करना मोक्षदायक।

  • देवपूजा और श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है। 

  • ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में लिखा है कि घर में लगाई हुई तुलसी मनुष्यों के लिए कल्याणकारिणी, धन पुत्र प्रदान करने वाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देने वाली होती है। 

  • ज्योतिर्विज्ञान के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां वास्तुदोष नहीं होता है। 

  • आयुर्वेद में कईं औषधियां तुलसी के पत्तों से मिलकर बनती हैं। आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के पत्तों में पारा होता है, इसलिए इसे दांतो से चबाना नहीं चाहिए। ऐसा करने से दांत खराब हो जाते हैं।

  • डॉक्टर का कहना है कि तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की उम्र बढ़ती है।

  • नियमित रूप से तुलसी के पौधे के पत्ते खाने से ऊर्जा का प्रवाह शरीर में नियंत्रित होता है साथ में इंसान की उम्र भी बढ़ती है। तुलसी एक अदभुत औषधि है।

  • घर में तुलसी के पौधे की रोज पूजन से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। परिवार की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आता है। घर में व्याप्त नाकारात्मक ऊर्जा भी खत्म हो जाती है।

  • एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीबायोटिक गुण तुलसी के पौधे में पाए जाते हैं। ये गुण शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। 

  •  तुलसी मलेरिया की विश्वसनीय और प्रामाणिक दवा है।

  • डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पता चला है कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर की मृत कोशिकाओं को ठीक करने में मददगार होता है। 

  • घर का वातावरण भी तुलसी के पौधे के होने से शुद्ध रहता है। 

  • तुलसी का प्रभाव शरीर में पहुंचने वाले केमिकल या अन्य नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान को कम करता है। 

  • टी.बी-मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों से निपटने के लिए तुलसी कारगर है।

  • तुलसी दवा की तरह भी इस्तेमाल की जाती है। आपके घर में तुलसी होने से मच्छर और छोटे-छोटे कीड़े नहीं आते हैं। 

  • तुलसी में बीमारियों से लड़ने के गुण होते हैं। यह शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है.

  • तुलसी की पत्तियां खाने से खून साफ रहता है। इससे त्वचा और बाल स्वस्थ रहते हैं।