जानिए क्या है बैंकर और ग्राहक का रिश्ता

Share Us

1834
जानिए क्या है बैंकर और ग्राहक का रिश्ता
10 Jun 2022
8 min read

Blog Post

आम बोलचाल की भाषा में बैंक का ग्राहक उसी को कहते हैं जो या तो बैंक का खाताधारक हो या बैंक में बैंक से सम्बंधित आपने कार्यों को अंजाम देता हो बैंक और ग्राहक के बीच संबंध Relationship Between Banker And Customer ऋणदाता तथा कर्जदार का होता है। बैंक और ग्राहक के बीच संबंध खाता बंद होने पर ही ख़त्म होता है। जब कोई ग्राहक बैंक में लॉकर लेता है तो बैंक और ग्राहक के बीच संबंध पट्टाकर व पट्टाकर lessor and lessee का होता है। जमा खातों में बैंक व ग्राहक के बीच जो मुख्य संबंध होता है वह है ऋणदाता के रूप में बैंक और कर्जदार के रूप में ग्राहक का।

बैंकों को देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण तत्व माना गया है। बैंकर और ग्राहक के बीच का रिश्ता विश्वास पर आधारित होता है जो कि ऋणदाता और कर्जदार Lenders and Borrowers  का होता है। बैंक व ग्राहक के बीच जो मुख्य संबंध होता है वह है ऋणदाता के रूप में बैंक और कर्जदार के रूप में ग्राहक का।

आज पूरी दुनिया में बैंक को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व माना गया है। बैंक से ही अर्थव्यवस्था का विकास होता है। बैंकर और ग्राहक के बीच का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। अगर बैंक प्रणाली नहीं होती तो संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था हिल जाती। बैंकिंग प्रणाली Banking System से ग्राहक अलग-अलग प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। सबसे पहले ग्राहक बैंक के साथ एक खाता खोलता है तब वह एक फॉर्म भरता है। जब वह बैंक खाते में पैसा जमा करता है तो वह बैंक का लेनदार बन जाता है। बैंक कर्जदार हो जाता है। ग्राहक की जमा राशि से व्यापार करने के लिए बैंक स्वतंत्र होता है। बैंक उस पैसे को अपने हिसाब से कहीं भी निवेश कर सकता है और अगर ग्राहक उस पैसे को वापस लेना चाहता है तो उसकी भी एक प्रक्रिया निश्चित होती है।

बैंकर और ग्राहक की परिभाषा (Define Banker And Customer)

जब कोई ग्राहक बैंक के साथ बैंक खाता खोलता है, तो वह फॉर्म भरता है और अन्य आवश्यक वस्तुएं उसी के लिए अनिवार्य करता है। जब वह अपने बैंक खाते में पैसा जमा करता है, तो वह बैंक का लेनदार बन जाता है। बैंक कर्जदार हो जाता है। उपभोक्ता की जमा राशि से आगे व्यापार करने के लिए बैंक के दायित्व पूरी तरह से अपनी पसंद पर निर्भर हैं। बैंक उस पैसे को अपनी सुविधा के अनुसार निवेश कर सकते हैं। यदि उपभोक्ता उस पैसे को वापस लेना चाहता है, तो उसे निकासी की एक प्रक्रिया का पालन करना होगा। जब ग्राहक ऋण के भुगतान या वादे के प्रदर्शन के लिए सुरक्षा के रूप में बैंकर के साथ एक लेख (माल और दस्तावेज) गिरवी रखता है, तो ग्राहक एक प्रतिज्ञाकर्ता बन जाता है और बैंकर प्रतिज्ञा बन जाता है।

ट्रस्टी और लाभार्थी का संबंध (Trustee and Beneficiary Relationship)

जब कोई बैंक पैसे या अन्य मूल्यवान प्रतिभूतियां प्राप्त करता है, तो बैंकर की स्थिति एक ट्रस्टी की होती है। दूसरी ओर, जब कोई बैंक धन प्राप्त करता है और विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग करता है, तो बैंक लाभार्थी बन जाता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019

उपभोक्ता संरक्षण नियम,2019 उपभोक्ताओं के हित को सुरक्षित करने के लिए लागू किया गया है। आजकल ऑनलाइन का समय है और ऑनलाइन के इस दौर में इंटरनेट और विभिन्न ऑनलाइन तंत्रों Various Online Mechanisms के साथ पूरा विश्व जुड़ चुका है। बेहतर रिटर्न के लिए लोग अपनी बचत और कीमती सामान बैंकों में रखते हैं। कई बार ऑनलाइन धोखाधड़ी Online Fraud के मामले भी सामने आते हैं। ब्रांड वैल्यू Brand Value वाले लोगों को ऋण देने की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए और अशुद्धता और निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार पाए जाने पर खाते को ठीक कर देना चाहिए। देश में बढ़ती गैर निष्पादित परिसंपत्तियां Non Performing Assets सभी के लिए चिंतित कर देने वाली हैं। यह पूरे देश को प्रभावित कर रहा है इसलिए हमें इस पर कुछ नियम बनाने चाहिए। बैंक में ग्राहक के भी कुछ अधिकार होते हैं। उनमे से ये पाँच अधिकार मुख्य हैं जैसे सही व्यवहार का अधिकार, पारदर्शिता और ईमानदारी का अधिकार Right to Transparency And Honesty, निजता का अधिकार, उपयुक्ता का अधिकार और शिकायत निवारण का अधिकार। इन अधिकारों के बारे में हर किसी को जानना जरूरी है कि ग्राहक के बैंक में क्या अधिकार हैं। हम लोगों में से बहुत कम लोग अपने बैंकिंग अधिकारों Banking Rights के बारे में जानते हैं। बैंक में हमें किसी न किसी वजह से जाना ही पड़ता है। वैसे तो लोग पहले से काफी जागरूक हो गए हैं लेकिन फिर भी कई ऐसे अधिकार हैं जिनकी जानकारी कस्टमर को नहीं होती है। ग्राहकों के इन अधिकारों पर खुद रिजर्व  बैंक ऑफ़ इंडिया Reserve Bank Of India की नज़र रहती है।

सीमा अधिनियम, 1963 ( Limitation Act, 1963)

सीमा अधिनियम, 1963 निर्धारित समय अवधि के लिए प्रदान करता है जिसके भीतर कोई भी मुकदमा, अपील या आवेदन किया जा सकता है। “निर्धारित अवधि” का अर्थ है सीमा की अवधि, सीमा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार गणना की गई है। एक बैंकर को एक मुकदमा दर्ज करने, अपील करने या ऋण की वसूली के लिए एक आवेदन पत्र की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब दस्तावेज़ सीमा के भीतर हो। इसलिए, बैंक को सावधान रहना चाहिए कि सभी कानूनी ऋण दस्तावेज Legal Credit Documents समय सीमा के भीतर हैं और उन्हें वैध माना जाता है।

बैंको द्वारा ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाने वाली प्रमुख सेवाएं

बैंको द्वारा ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाने वाली प्रमुख सेवाएं जैसे चालू जमा खाता Current Deposit Account,बचत जमा खाता Savings Deposit Account,पीपीएफ, पेंशन भुगतान और मांग ड्राफ्ट आदि। ऋण देना और विनियोग के लिए सामान्य जनता से राशि जमा करना तथा चेकों, ड्राफ्टों तथा आदेशों द्वारा मांगने पर उस राशि का भुगतान करना बैंकिंग व्यवसाय कहलाता है। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है।

बैंकर और ग्राहक के बीच अंतर (Difference Between Banker And Customer)

जब बैंकर ग्राहक से जमा स्वीकार करता है तो बैंक ऋणी हो जाता है और ग्राहक लेनदार होता है।

ये भी पढ़े: कर्ज से जल्दी छुटकारा पाने के लिए फाइनेंशियल टिप्स

बैंकर और ग्राहक के बीच अनुबंध (Contract Between Banker And Customer)

1. ग्राहकों की तरफ से ड्राफ्ट और चेक प्राप्त करने की बाध्यता।

2. ग्राहकों को चेक उपलब्ध कराने का दायित्व।

3. ग्राहकों के साथ लेनदेन के सभी समुचित रिकार्ड Proper Record बनाए रखने की बाध्यता।

4. ग्राहकों से किसी और ग्राहक के खाते के बारे में जानकारी न देना और न ही इस तरह की किसी भी प्रकार की गतिविधि में शामिल होना।

5. बैंक खाता खोलने के समय ग्राहक को बैंक से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियों को उपलब्ध कराना और उससे सम्बंधित सभी कागजातों को उसके द्वारा दिये गए पते पर भेजना।

6. विनियोग से सम्बंधित सभी प्रकार के कार्यों को सम्पादित करना और ग्राहकों को उनके बारे में बताना।