महिलाएं कैसे बना रही हैं भारत के उद्योगों को मजबूत और समावेशी

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सदियों से महिलाएं समाज में बदलाव की केंद्रबिंदु रही हैं। वे सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि बदलाव की राह दिखाने वाली अगुआ रही हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हों, एनी बेसेंट के सामाजिक आंदोलन, सरोजिनी नायडू की राजनीतिक नेतृत्व क्षमता या रानी रश्मोनी की परोपकारिता—भारत और दुनिया का इतिहास ऐसी महिलाओं की कहानियों से भरा है जिन्होंने परंपराओं को तोड़कर नया रास्ता दिखाया है।
आज के समय में भी महिलाएं केवल योगदान देने वाली नहीं, बल्कि आर्थिक प्रगति की शिल्पकार बन चुकी हैं। इंदिरा गांधी की राजनीतिक विरासत हो या सुषमा स्वराज की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत कूटनीति—इनके योगदानों ने नई पीढ़ी की महिला नेताओं के लिए मजबूत नींव रखी है।
आज महिलाएं बोर्डरूम, फैक्ट्री, प्रयोगशालाओं और नीति-निर्माण की बैठकों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। प्रिया अग्रवाल हेब्बर, अरुंधति भट्टाचार्य, देबजानी घोष और विनीता सिंह जैसी महिलाएं अपने काम से पारंपरिक सीमाओं को तोड़ रही हैं और समाज में नया प्रभाव छोड़ रही हैं।
इनका योगदान अति-महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है—जैसे सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य, कपड़ा उद्योग, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय सेवाएं। ये महिलाएं इन क्षेत्रों में इनोवेशन ला रही हैं, बदलाव की राह दिखा रही हैं और उद्यमिता के ज़रिए समावेशी और टिकाऊ भविष्य की नींव रख रही हैं।
यह लेख भारत के तेजी से बढ़ते उद्योगों में महिलाओं की मौजूदगी और उनके योगदान पर रोशनी डालता है—कैसे वे नेतृत्व को एक नई परिभाषा दे रही हैं, बाधाओं को पार कर रही हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दे रही हैं।
भारतीय उद्योगों को नया आकार दे रही महिलाएं उद्यमी और नेता Women Entrepreneurs and Leaders Redefining Indian Industries
नेतृत्व और बदलाव की परंपरा का उत्सव Celebrating a Legacy of Leadership and Change
फ्लोरेंस नाइटिंगेल, एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू और रानी रश्मोनी जैसी महिलाओं ने अपने समय में समाज में महिलाओं की भूमिका को एक नई पहचान दी थी। उन्होंने न केवल सामाजिक बदलाव किए, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनीं।
पिछली कुछ दशकों में इंदिरा गांधी और सुषमा स्वराज जैसी महिला नेताओं ने यह साबित किया कि महिलाएं राजनीति, कूटनीति और राष्ट्र निर्माण में भी मजबूत भूमिका निभा सकती हैं।
भारत के विकासशील क्षेत्रों में महिलाओं का नया चेहरा The Modern Face of Women in India’s Growth Sectors
आज के समय में एक नई पीढ़ी की महिलाएं जैसे प्रिया अग्रवाल हेब्बर, अरुंधति भट्टाचार्य, देबजानी घोष, विक्टोरिया डी’सूज़ा, डॉ. प्रीता रेड्डी, गुल पनाग और विनीता सिंह टेक्नोलॉजी, फाइनेंस, हेल्थकेयर, अक्षय ऊर्जा और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में अग्रणी बन चुकी हैं।
इनकी कोशिशें केवल एक उद्योग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारत की अर्थव्यवस्था में नए मानक स्थापित कर रही हैं।
महिला नेतृत्व के ज़रिए समावेशी विकास Inclusive Growth Through Women’s Leadership
तेजी से उभरते उद्योगों में महिलाएं अब केवल सहभागी नहीं, बल्कि दूरदर्शी, निर्माता और निर्णय लेने वाली बन चुकी हैं।
उनकी बढ़ती भागीदारी एक नए दौर की शुरुआत कर रही है, जहां विकास अधिक समावेशी, नवोन्मेषी (Innovative) और टिकाऊ (Sustainable) हो रहा है।
महिलाएं आज न सिर्फ नौकरियों में हैं, बल्कि वे कंपनियां चला रही हैं, नीतियां बना रही हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
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सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में महिलाएं Women in the Semiconductor Industry
हाई-टेक क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी Rising Workforce Participation in High-Tech Domains
भारत का लक्ष्य एक वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने का है और इसमें महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। TeamLease की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5.4 मिलियन टेक वर्कर्स में से 1.94 मिलियन महिलाएं हैं। सेमीकंडक्टर सेक्टर में लगभग 25% महिलाएं कार्यरत हैं, जो इस तकनीकी क्षेत्र में जेंडर बैलेंस को बेहतर बना रही हैं।
महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं बढ़ा रही हैं भागीदारी Inclusive Programs Fueling Progress
Micron Technology और NXP Semiconductors जैसी कंपनियां महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए खास कदम उठा रही हैं।
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NXP ने अपने 'Women in Tech' प्रोग्राम के तहत 100 से अधिक महिलाओं को VLSI डिजाइन (चिप डेवलपमेंट की मुख्य तकनीक) में ट्रेनिंग दी है।
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Micron के 4,000 से अधिक कर्मचारियों में से 28% महिलाएं हैं, जो आईटी, डेटा साइंस, इंजीनियरिंग और प्रोक्योरमेंट जैसी अहम भूमिकाओं में कार्य कर रही हैं।
इसके अलावा, Foxconn ने $230 मिलियन का निवेश करके तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में महिला कर्मचारियों के लिए विशेष आवास तैयार करने की योजना बनाई है, जो 18,720 महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण देगा।
आने वाला समय The Road Ahead
भारत के सेमीकंडक्टर डिजाइन और इंजीनियरिंग सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी 2027 तक 30% तक पहुँचने की उम्मीद है। यह वैश्विक ट्रेंड्स के अनुरूप है और निर्णय लेने की क्षमता व इनोवेशन को भी बढ़ावा देगा।
ऑटोमोटिव और ईवी उद्योग में महिलाएं Women in Automotive and EV Industry
निर्माण क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती मौजूदगी Breaking Barriers on the Manufacturing Floor
पहले पुरुष-प्रधान माने जाने वाले ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर में अब महिलाओं की भागीदारी तेज़ी से बढ़ रही है।
OMI Foundation के अनुसार, भारत के EV सेक्टर में 11-15% महिलाएं काम कर रही हैं, और यह आंकड़ा 2030 से 2033 के बीच 50% तक पहुँच सकता है।
ओला की सिर्फ महिलाओं के लिए बनाई जा रही फैक्ट्री Ola’s Women-Only Future Factory
ओला इलेक्ट्रिक ने तमिलनाडु के कृष्णगिरी प्लांट में दुनिया की सबसे बड़ी ऑल-वुमन फैक्ट्री बनाने की योजना बनाई है।
2025 तक, वहां 20,000 महिलाएं टू-व्हीलर, बैटरी और अन्य EV कॉम्पोनेंट्स के निर्माण में कार्य करेंगी।
देशी कंपनियों में महिलाओं को मिल रहा है बढ़ावा Homegrown EV Empowerment
अन्य कंपनियां भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही हैं:
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Ampere Vehicles की रणीपेट फैक्ट्री में 70% महिलाएं कार्यरत हैं।
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Mahindra Logistics अपनी ग्रीन लॉजिस्टिक्स यूनिट EDel में महिला ई-3व्हीलर ड्राइवरों को नियुक्त कर रहा है।
इन प्रयासों से यह साफ है कि महिलाएं अब सिर्फ EV सेक्टर का हिस्सा नहीं बन रहीं, बल्कि वे इस क्रांति की अगुवाई कर रही हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा में महिलाओं की भागीदारी Participation of women in renewable energy
हरित बदलाव की अगुवाई कर रही महिलाएं Women Leading the Green Transition
भारत अब स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों को प्राथमिकता दे रहा है, और इस बदलाव में महिलाएं बड़ी भूमिका निभा रही हैं।
वैशाली निगम सिन्हा, जो रीन्यू पावर में डायरेक्टर और चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर हैं, ने कंपनी को भारत की अग्रणी क्लीन एनर्जी कंपनियों में शामिल किया है।
रीन्यू पावर ने UNDP और IIT दिल्ली के साथ मिलकर एक ऐक्सेलेरेटर प्रोग्राम शुरू किया है, जो महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे क्लाइमेट टेक स्टार्टअप्स को सहयोग देता है। इस कार्यक्रम का फोकस ऊर्जा दक्षता, सर्कुलरिटी और डीसालिनेशन जैसे समाधानों को बढ़ावा देना है।
जलवायु नीति निर्माण में महिलाओं की भूमिका The role of women in climate policy making
वंदना गोंबर जैसी पर्यावरण पत्रकार, ऊर्जा और स्थिरता पर अपने विचारों से नीति निर्माण और कॉर्पोरेट रणनीतियों को प्रभावित कर रही हैं।
इनका काम यह सुनिश्चित करता है कि महिलाएं केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि भारत की हरित अर्थव्यवस्था की अगुआ बन रही हैं।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण: ग्रामीण भारत को दे रही है नई ताकत Agro and Food Processing: Empowering Rural India
भारतीय कृषि की रीढ़ बनी महिलाएं Women are the backbone of Indian agriculture
भारत में 85% से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं कृषि से जुड़ी हैं। वे कृषक, श्रमिक और उद्यमी के रूप में कार्य कर रही हैं। देश के कुल खाद्य उत्पादन का 60–80% हिस्सा महिलाएं तैयार करती हैं, जिससे वे खाद्य सुरक्षा और सतत विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं।
खेतों से खाद्य ब्रांड तक महिलाओं की पहुंच Women's access from farms to food brands
महिलाएं अब सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यू चेन एंटरप्रेन्योरशिप में भी आगे आ रही हैं। वे गांवों को शहरों से जोड़ने में मदद कर रही हैं।
कटाई, मैन्युअल प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट—हर स्तर पर उनकी भागीदारी बढ़ रही है, जिससे कृषि आर्थिक स्वतंत्रता और ग्रामीण विकास का सशक्त माध्यम बन रहा है।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री में सफलता की कहानी बुनती महिलाएं Women weaving success stories in the textile industry
परंपरागत क्षेत्रों में महिलाओं की मज़बूत मौजूदगी Women’s Dominance in Traditional Sectors
टेक्सटाइल सेक्टर भारत के सबसे बड़े रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है, जहां 4.5 करोड़ से अधिक लोग काम करते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं।
हैंडलूम जनगणना 2019-20 के अनुसार, भारत में 72% हैंडलूम बुनकर महिलाएं हैं और वे पूरे टेक्सटाइल क्षेत्र की लगभग 65% वर्कफोर्स का हिस्सा हैं।
फैशन में नवाचार और महिला उद्यमिता Innovation and Women Entrepreneurship in Fashion
करघों से आगे भी महिलाएं फैशन की दुनिया में नई पहचान बना रही हैं।
अनामिका खन्ना, रितु कुमार, मसाबा गुप्ता और अनीता डोंगरे जैसी डिज़ाइनर भारत की समृद्ध हैंडलूम परंपरा को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बना रही हैं।
रिचा कर (Zivame) और सुचि मुखर्जी (LimeRoad) जैसी महिला उद्यमी डिजिटल फैशन रिटेल को नए रूप में परिभाषित कर रही हैं।
महिला श्रमिकों के लिए सरकारी सहयोग Government Backing for Women Workers
टेक्सटाइल नीति 2024 के तहत महिलाओं को ₹3,000 से ₹5,000 प्रति माह तक वेतन प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई है।
इसके अलावा, ‘शिल्प दीदी’ जैसी पहल के जरिए ग्रामीण महिला कारीगरों को ऑनलाइन बेचने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वे ई-कॉमर्स के ज़रिए अपने उत्पाद बेच सकें।
हेल्थकेयर और फार्मा के साथ स्वास्थ्य सेवा में महिलाओं की भूमिका Role of Women in Healthcare with Healthcare and Pharma
लाइफ साइंसेज़ में अग्रणी महिलाएं Women Leading in Life Sciences
भारत की हेल्थकेयर इंडस्ट्री में महिलाओं ने बड़ा योगदान दिया है।
किरण मजूमदार शॉ Kiran Mazumdar Shaw ने Biocon को एक वैश्विक बायोटेक कंपनी के रूप में स्थापित किया।
संगीता रेड्डी Sangita Reddy और उनकी बहनें Apollo Hospitals का विस्तार कर रही हैं और विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं।
हेल्थ एजुकेशन और महिला वर्कफोर्स में बढ़ोतरी Increase in health education and female workforce
आज भारत के मेडिकल कॉलेजों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। इससे यह साफ है कि आने वाले वर्षों में महिला डॉक्टर और रिसर्चर बड़ी संख्या में सामने आएंगी।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana और मातृत्व लाभ अधिनियम (Maternity Benefit Act) में सुधारों ने काम करने की स्थिति बेहतर की है और महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया है।
प्रबंधन स्तर पर महिलाओं की मौजूदगी Presence of women at management level
हेल्थकेयर और लाइफ साइंसेज़ स्टार्टअप्स में महिलाओं की दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा बोर्ड स्तर की भागीदारी है।
यह दर्शाता है कि महिलाएं केवल चिकित्सकीय क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट रणनीति में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
बुनियादी ढांचा: समावेशी सोच के साथ विकास Infrastructure: Building with Inclusivity in Mind
शहरी विकास में बढ़ती महिला भागीदारी Women at the Helm of Urban Planning
पहले पुरुषों का क्षेत्र माने जाने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अब महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है।
स्मार्ट सिटी, हरित इकोसिस्टम और शहरी योजनाओं में महिलाएं डिज़ाइन, प्लानिंग और मैनेजमेंट जैसी भूमिकाएं निभा रही हैं।
कामकाजी महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी Labor Force Participation Soars
2017–18 से 2023–24 के बीच भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर लगभग 23% से बढ़कर 41% हो गई है। यह रोजगार के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियां अब साइट पर काम करने से लेकर लीडरशिप तक की भूमिकाओं में महिलाओं को तेजी से भर्ती कर रही हैं।
वित्त, विदेशी निवेश और व्यापार: आर्थिक प्रगति में महिलाओं की भूमिका Finance, Foreign Investment and Trade: The Role of Women in Economic Progress)
बैंकिंग में महिलाओं की नई ऊंचाइयां New heights for women in banking
नैना लाल किदवई Naina Lal Kidwai ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से ग्रेजुएट होने वाली पहली भारतीय महिला बनकर और भारत में किसी विदेशी बैंक की प्रमुख बनकर इतिहास रच दिया।
उनकी उपलब्धियों ने आने वाली महिला वित्त नेताओं के लिए रास्ता खोला।
फिनटेक और नवाचार में महिलाओं की भूमिका The role of women in fintech and innovation
उपासना ताकु Upasana Taku, जो MobiKwik की को-फाउंडर और COO हैं, ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम को नया रूप दिया और फिनटेक क्षेत्र में महिलाओं की नई पीढ़ी को प्रेरित किया।
वित्त क्षेत्र की अनुभवी महिला नेतृत्वकर्ता Experienced women leaders in the finance sector
रेणु सूद कर्नाड ने HDFC में 30 साल से ज्यादा समय तक काम करते हुए भारत के हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर को दिशा दी है।
उनका नेतृत्व भरोसे और निरंतरता का उदाहरण है।
लैंगिक समानता के साथ आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ना The Way Forward: A Gender-Inclusive Economic Vision
नीतियों और अवसरों के ज़रिए समानता को तेज़ करना Accelerating Equality Through Policy and Opportunity
हालांकि कई क्षेत्रों में महिलाएं बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं, लेकिन वास्तविक समावेशी अर्थव्यवस्था का सफर अभी बाकी है।
शिक्षा, मेंटोरशिप, स्किल ट्रेनिंग और वित्तीय सहायता में निवेश से महिलाओं की भागीदारी और लीडरशिप तेजी से बढ़ाई जा सकती है।
अगली पीढ़ी की महिलाओं को सशक्त बनाना Empowering the Next Generation
हर क्षेत्र की महिला रोल मॉडल्स आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा और अवसर दे रही हैं।
STEM शिक्षा, स्टार्टअप के लिए पूंजी, और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम इस रफ्तार को बनाए रखने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष: बदलाव की प्रेरणा बन रही महिलाएं Conclusion: Celebrating Women as Catalysts of Change
हमें सिर्फ महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न नहीं मनाना चाहिए, बल्कि यह भी पहचानना चाहिए कि वे भारत के आर्थिक भविष्य की निर्माता हैं।
चाहे वह सेमीकंडक्टर हो, हेल्थकेयर, इलेक्ट्रिक वाहन, टेक्सटाइल, वित्त या कृषि, महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता की नई परिभाषा लिख रही हैं।
यदि हम महिलाओं को बराबरी के अवसर, लीडरशिप के प्लेटफॉर्म, और सशक्त करने वाली नीतियां देते रहें, तो भारत का भविष्य और अधिक समावेशी, टिकाऊ और समृद्ध बन सकता है।
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