एलोवेरा की खेती से कमाई कैसे करें

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एलोवेरा की खेती से कमाई कैसे करें
21 Dec 2021
7 min read

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एलोवेरा एक बहुत ही फायदेमंद चीज है। आजकल तो एलोवेरा का प्रयोग हर चीज में किया जा रहा है। चिकित्सकीय दवाईयाँ हो या फिर कोई क्रीम, जूस, सौन्दर्य की सामग्री, अचार और सब्जी आदि को बनाने में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है। इसके इतने गुणों के कारण ही आजकल इसकी मांग बढ़ती जा रही है और लोग इसकी खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। इसकी खेती कैसे करें इसकी पूरी जानकारी प्राप्त करके आप भी एलोवेरा को कमाई का एक अच्छा साधन बना सकते हैं।

आजकल एलोवेरा Aloe vera हर जगह प्रयोग किया जा रहा है। एलोवेरा के फायदों को देखकर ही इसकी डिमांड दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। आज हर घर या हर जगह आपको एलोवेरा मिल जायेगा। इसकी खूबियाँ हैं ही इतनी अधिक कि लोग इसे अब अपने घरों में भी लगा रहे हैं। इसका औषधि medicine और प्रसाधन सामग्री Cosmetics के रूप में भी अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। औषधि के अलावा भी आज के समय में इसका प्रयोग अन्य कई चीज़ों में किया जा रहा है इसलिए इसकी खेती करना बहुत ही फायदे का सौदा है। चलिए जानते हैं क्या है एलोवेरा और कैसे इसकी खेती करके आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

एलोवेरा क्या है

एलोवेरा Aloe vera यह एक अंग्रेजी नाम है। हिंदी में इसको घृत कुमारी, क्वारगंदल या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। इसको एक औषधीय पौधे के रूप में हर कोई जानता है। धरती पर एलोवेरा की खेती प्राचीन काल से होती आ रही है, जिसका इस्तेमाल अधिक मात्रा में दवाइयों को बनाने में किया जाता है। हर्बल और कास्मेटिक्स Herbal & Cosmetics में इसकी मांग निरंतर बढ़ती ही जा रही है। सौंदर्य प्रसाधन के लगभग हर product प्रोडक्ट में इसका प्रयोग किया जाता है। यह बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है। इसकी पत्तियां मोटी और मांसल thick and fleshy होती हैं और पत्ती के किनारे हल्के से कंटीले होते हैं।

एलोवेरा की सही किस्म की जानकारी और इसके उपयोग

भारत में एलोवेरा Aloe vera की कई उन्नत किस्में मौजूद हैं। अच्छी खेती के लिए आपको अच्छी किस्म के एलोवेरा का चुनाव करना चाहिए। एलोवेरा की अच्छी किस्म एल- 1,2,5 , सिम-सीतल और 49 है। ये एलोवेरा की अच्छी किस्में हैं। इनसे अधिक गूदा प्राप्त किया जाता है। इसकी मुसब्बर Arborescens प्रजाति, मुसब्बर Saponaria, आदि में भी लाभकारी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा अन्य किस्में आई. सी. 111273, आई.सी.111280, आई. सी. 111269 और आई. सी. 111271 हैं। हर्बल उत्पाद herbal products व दवाओं में भी इसका प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाता है। एलोवेरा फेस वॉश face wash, एलोवेरा क्रीम aloe vera cream, एलोवेरा फेस पैक face pack आदि बहुत सारे प्रोडक्ट्स मार्किट में छाये हुए हैं और इनकी मांग भी अत्यधिक है। एलोवेरा का हर्बल व कास्मेटिक्स उत्पाद व दवाईयों में काफी प्रयोग किया जाता है। एलोवेरा के अर्क का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है। एलोवेरा का प्रयोग बहुत सारे रोगों में भी किया जाता है। इसके प्रयोग से बहुत सारी बीमारियाँ दूर होती हैं। यह मधुमेह diabetes के इलाज में भी काफी लाभकारी है।

एलोवेरा के खेत की तैयारी और मिट्टी

एलोवेरा Aloe vera की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करना पड़ता है। खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि इसकी जुताई गहरी हो। इसके बाद पूरे खेत में गोबर डाल कर अच्छे से मिला दें। फिर अच्छी उपज के लिए खाद भी डालनी पड़ती है जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े। एलोवेरा खेती में 15 से 20 टन सड़े गोबर की खाद डालनी चाहिए और फिर पानी डालकर खेत फसल के लिए तैयार हो जाता है। एलोवेरा की खेती के लिए मिट्टी की जानकारी होना भी आवश्यक है। इसकी खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी की जरुरत होती है। इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी में भी एलोवेरा की खेती कर सकते हैं।

एलोवेरा की खेती कब और कैसे करे

एलोवेरा Aloe vera की खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है। वैसे एलोवेरा के पौधों को लगाने के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि इस समय बरसात का मौसम होता है और इस वजह से इनमें पूरी नमी बनी रहती है। सिंचाई वाली जगहों पर इसकी खेती कभी भी कर सकते हैं। सिंचाई करने से पत्तों में जेल gel की मात्रा बढ़ती है। बस इसकी रोपाई सर्दियों में नहीं करनी चाहिए। इसकी बिजाई 3-4 महीने पुराने चार-पांच पत्तों वाले कंदो के द्वारा की जाती है। इसकी रोपाई पौध के रूप में होती है। पौधे भूमि से 15 CM की दूरी पर लगाने चाहिए। एलोवेरा के पौधों के बीच में 60 CM की दूरी अवश्य रखे। इसके पौधों को खरीदते समय ये ध्यान रखें कि हमेशा स्वस्थ पौधा ही खरीदें।

एलोवेरा की मंडी भाव, पैदावार और कमाई

जैसे ही आपको लगे कि एलोवेरा Aloe vera की पत्तियाँ पूरी तरह विकसित हो चुकी हैं तो तब इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। एलोवेरा के पौधे लगभग 8 महीने के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। एलोवेरा को दवाइयां बनाने वाली कंपनियां तथा प्रसाधन सामग्री Cosmetics निर्माताओं को बेचा जा सकता है। एलोवेरा की एक हेक्टेयर में खेती से लगभग 40 से 45 टन मोटी पत्तियां प्राप्त होती हैं। जबकि दूसरे और तीसरे साल में पत्तियां 60 टन तक हो जाती हैं। इसकी पत्तियों की मंडियों में कीमत लगभग 15,000 से 25,000 रुपए प्रति टन होती है। इससे किसान को एक बार की फसल से 5 से 8 लाख तक की कमाई आसानी से हो जाती है। इसलिए आप एलोवेरा की खेती को पूरी जानकारी के साथ बेझिझक कर सकते हैं।