विविधता का भुला दिया गया पहलू

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विविधता का भुला दिया गया पहलू
17 Dec 2021
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हम सभी पैदा होते ही एक विविध Diverse दुनिया में प्रवेश करते हैं, जहां कई तरह की संस्कृतियां, मूल्य हमारा स्वागत करते हैं। जिनकी मदद से हम लोगों के साथ जुड़ पाते हैं।

हम सभी पैदा होते ही एक विविध Diverse दुनिया में प्रवेश करते हैं, जहां कई तरह की संस्कृतियां, मूल्य हमारा स्वागत करते हैं। जिनकी मदद से हम लोगों के साथ जुड़ पाते हैं। 

विविधता Diversity के पहलुओं में लिंग, धर्म, जाति, आयु, शिक्षा, मानसिक क्षमता, आय, व्यवसाय, भाषा, भौगोलिक स्थिति और ऐसे कई अन्य पहलू शामिल हैं। कई तरह के विविध तौर-तरीकों के साथ पूरी दुनिया में सभी लोग जीवन यापन कर रहे हैं। कई तरह की विविधताओं को समझना और उनका पालन करना हर किसी के बस की बात नहीं है। सभी लोग विविधताओं को एक तरह से नहीं देखते, क्योंकि सभी की सोच भिन्न-भिन्न होती है। जिस तरह विविधता एक विषय है, उसी तरह हर व्यक्ति की सोच भी अलग है। 

जिस तरह देश और दुनिया में विविधता को कई लोगों ने स्वीकार किया है। आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो विविधता को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं कर पाते और यह विषय निरंतर सवालों के घेरे में रहता है।विविधता के कई ऐसे पहलू हैं, जो भुला दिए गए हैं। जिसमें सबसे बड़ा मुद्दा सामाजिक वर्ग यानी सोशल क्लास Social Class है, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू Harvard Business Review के एक लेख में भी यह माना गया है कि सामाजिक वर्ग विविधता का एक भुला दिया गया पहलू है।इस बात से हम सभी अवगत हैं कि, विविधता कोई आसान मुद्दा नहीं है, जिसका कोई आसान उपाय भी नहीं है। जब भी विविधता की बात होती है, ज्यादातर लिंग Gender और नस्ल Race के आधार पर बात की जाती है, लेकिन सामाजिक वर्ग पर चर्चा होना भुला दिया जाता है।

एक संस्था में कई तरह के लोग काम करते हैं, लेकिन जाति वर्ग के चलते भी कई लोगों को फायदा और नुकसान झेलना पड़ता है। विविधता का यह भूला हुआ प्रश्न चिन्ह उन सभी लोगों के लिए है, जो आज भी विविधता को लेकर खुल कर बात नहीं कर पाते। उनके लिए अपना जाति वर्ग और अपनी पहचान ज्यादा मायने रखती है, वे बराबरी Equality के माहौल को नकारते हैं। 

संस्था में अच्छे माहौल और अच्छी तरह कार्य को संपन्न करने के लिए विविधता का होना बेहद जरूरी है और किसी संस्था के बड़े अधिकारियों का यह दायित्व है कि, वे विविधता को अच्छी तरह अपनाएं। कई बार देखा जाता है कि, कई संस्थाओं में छोटी और बड़ी जाति को लेकर या फिर समाज के वर्गीकरण को लेकर संस्थाएं पक्षपाती हो जाती हैं।

अमेरिका जैसे बड़े देश की बात की जाए तो इस क्षेत्र में भी सामाजिक वर्ग को लेकर भेदभाव किया जाता है। हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू के मुताबिक निम्न सामाजिक वर्ग मूल से आने वाले कर्मचारियों की प्रबंधक बनने की संभावना 32% तक कम हो जाती है। इसके अलावा महिलाओं के साथ भी भेदभाव किया जाता है अनुभवी पुरुषों को ज्यादा मौका दिया जाता है, साथ ही अश्वेतों Blacks से भी भेदभाव होता है। यह एक बहुत बड़ा दुष्प्रभाव है, जो संस्थाओं की विविधता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।अगर कोई भी देश विविधता में एकता की बात करता है, तो उसे पूर्ण रूप से विविधता को अपनाना चाहिए। ऊंच-नीच के इस भाव को मिटाकर सभी लोगों को इन भुला दिए गए पहलुओं पर पहल करनी चाहिए और सभी लोगों को समान अधिकार देने की पहल करनी चाहिए। 

सभी लोगों को इस बात को समझना चाहिए कि जब ऊपर वाले ने हम सभी को बनाने में कोई ऊंच-नीच नहीं की है, तो फिर हम यहां जमीन पर आकर विविधता को अनदेखा कैसे कर सकते हैं। सभी लोग अपने आप में अलग होते हैं और उनकी जीने की शैली अलग होती है। सभी लोगों को अधिकार है कि, वे अपने तरीकों के साथ खुलकर पेश आएं, बदलाव की जरूरत उन लोगों को है जो अपने दिमाग में विविधता को समझने की विचित्र परिभाषा बनाकर बैठे हैं।