बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली

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बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होली
17 Mar 2022
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इस साल 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को होली का ये पावन पर्व पूरे देशभर में मनाया जाएगा। अलग-अलग रंगो की तरह यह त्योहार अपने साथ बहुत सारी रंग-बिरंगी खुशियां भी लेकर आता है। प्रेम और भाईचारे का एहसास दिलाते इस पर्व का इंतजार हर किसी को रहता है, फिर चाहे वो कोई बच्चा हो या बूढ़ा। हमें इस खूबसूरत त्यौहार में ऑर्गेनिक रंगों का प्रयोग करके इसे, इसके सच्चे स्वरुप में ही मनाना चाहिए ना कि रंगो के नाम पर कठोर रसायन का उपयोग करके।

रंगों का त्यौहार होली Holi फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। होली प्राचीन हिंदू त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार बसंत ऋतू के स्वागत का त्यौहार भी माना जाता है। होली में संगीत, नाच-गाना और मस्ती के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है और यह त्यौहार न सिर्फ रंगो से जुड़ा है बल्कि यह दिलों से भी जुड़ा हुआ है। इसमें लोग भेदभाव मिटाकर दूरियों को खत्म करके एक दूसरे से जुड़ते हैं। होली में रंगों का खास महत्व है, इसमें लोग एक-दूसरे को रंग-अबीर और गुलाल लगाते हैं। होली का त्योहार इस साल 18 मार्च को मनाया जाएगा। यह त्यौहार देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। वैसे समय के साथ यह रंगों का त्यौहार भी काफी बदल गया है। चलिए जानते हैं आज के समय में कैसे और किन रंगो से मनाया जाता है होली का त्यौहार और यह होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कैसे है।

बुराई के अंत का प्रतीक होली

होली पर माना जाता है कि यह दिन बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है यानि इस त्यौहार को बुराई के अंत और सच्चाई की जीत के तौर पर भी देखा जाता है इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। दरअसल इसके पीछे एक कहानी प्रचलित है कि प्राचीन भारत का एक राजा हिरण्यकश्यप Hiranyakashyap जिसका व्यवहार बिलकुल एक राक्षस के जैसे था। इसी दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद Prahlad था। वह भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप इस बात से क्रोधित था कि उसका अपना बेटा उसकी पूजा न करके विष्णु की पूजा कर रहा है तब उसने अपनी बहन होलिका, जिसे ये वरदान प्राप्त था की आग उसे जला नहीं सकती, से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उनकी योजना सफल नहीं हुई। प्रहलाद तो बच गया और होलिका जलकर राख हो गई। इसलिए भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है। होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है। होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए यदि अगर इस बीच भद्राकाल हो तो होलिका दहन नहीं करना चाहिए। भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही बाद ही होलिका दहन करना चाहिए। इस त्यौहार के दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुन्दर और रंगीन नज़र आता है। इस पर्व को एकता, प्यार, ख़ुशी , सुख और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है।

प्रेम और भाईचारे का एहसास दिलाता यह पर्व

होली का त्यौहार अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं की वजह से बहुत प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। होली हिंदुओं के लिए एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार Cultural, Religious and Traditional Festivals है। हमारे भारत देश जैसा पूरे विश्व में दूसरा और कोई भी देश नहीं है जहाँ लोग एक साथ मिलकर, बिना किसी भेद भाव के भाई चारे के साथ सारे त्योहारों का आनंद लेते हैं। हमारे देश की संस्कृति है ही ऐसी जो पूरी दुनिया में सबसे अनोखी है, जहाँ हर एक त्यौहार नफरत को मिटाता है और सारे गिले शिकवे भुलाकर सभी एक दूसरे के साथ नाचते गाते, खुशियाँ मनाते हैं। इस त्यौहार को हर जगह, हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्यार से मनाते हैं। यही वजह है कि इस त्यौहार से लोगों में एक दूसरे के प्रति स्नेह बढ़ता है। यह त्यौहार केवल रंगों का नहीं बल्कि भाईचारे का त्यौहार brotherhood festival भी है। होली का त्यौहार हमें यह सीख देता है कि त्यौहार में जैसे हम अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल करते हैं ठीक वैसे ही हमें आपस में खुशियों के रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए और भाईचारे की भावना से प्रेरित रहना चाहिए। एक दूसरे के साथ मिलजुलकर त्यौहार मनाने से नफरत दूर हो जाती है, दिलों में एक दूसरे के प्रति प्रेम का संचार होता है। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन Holika Dahan होता है जिसमे लकड़ी, घास और गाय का गोबर से बने ढेर में इंसान अपनी बुराईयां भी इसके चारो ओर घूमकर आग में जला देते हैं और दूसरे दिन से एक नयी शुरुआत करने का वचन लेते हैं।

होली रंगों का त्यौहार कैसे बना

मान्यता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्यौहार रंगों colors के रूप में लोकप्रिय हुआ। वे अपने साथियों के साथ वृंदावन और गोकुल में रंगों से होली मनाते थे। शायद यही वजह है कि आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी होली कहीं नहीं मनाई जाती। भारत के कई स्थानों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है। होली वसंत का त्यौहार है और इसके शुरू होते ही सर्दियां खत्म होती हैं इसलिए होली को ‘वसंत महोत्सव’ spring Festival भी कहा जाता है। कई राज्यों में यह होली का त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता है। रंगो के इस त्यौहार को “फाल्गुन महोत्सव” भी कहा जाता है,ये सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला त्यौहार होता है। इसमें पुराने गीतों को ब्रज की भाषा में गाया जाता है। इसमें सब मदमस्त होकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर भी रंग डालकर उनकी पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में मनाया जाता है। होली का त्यौहार वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में इसे बहुत अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली का त्यौहार सबसे मनमोहक रूप में देखने के लिए लोग ब्रज, वृन्दावन, गोकुल जैसे स्थानों पर जाते है। यहाँ की होली का अपना अलग ही सौंदर्य होता है और यहाँ पर यह त्यौहार कई दिनों तक मनाया जाता हैं। ब्रज की यह प्रथा बहुत प्रचलित है कि इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें डंडे से मारती हैं। यहाँ की होली देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ पर जाते हैं, इसे लठ्ठ मार होली भी कहते हैं। यहाँ कई स्थानों पर फूलों की होली Flowers Holi भी मनाई जाती है और गाने बजाये जाते हैं। सभी एक दूसरे से मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।

ऑर्गेनिक रंगों के साथ खेलें अपनी होली

होली में रंगों का बहुत ही महत्व है। पहले होली के रंग प्राकृतिक होते थे। यह टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था। ये रंग त्वचा को बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुँचाते थे। ये रंग बहुत अच्छे होते थे क्योंकि उनमें कोई रसायन नहीं होता था। लेकिन आज समय के साथ-साथ रंगों की परिभाषा बदलती चली गई है। अब वो समय नहीं रहा है जब लोग प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते थे। आज के समय में लोग रंग के नाम पर कठोर रसायन chemicals का उपयोग करते हैं और इन गंदे रंगों के चलते ही कई लोगों ने इस पावन पर्व होली को खेलना छोड़ दिया है। आज के समय में दुकानों पर रंगों के नाम पर chemicals रसायन से बने पाउडर बिकते हैं जो हम सबकी सेहत के लिए हानिकारक हैं और विशेषकर बच्चों के लिए तो ये रंग बहुत ही खतरनाक हैं। हमें इस त्यौहार की गरिमा को बनाये रखना चाहिए और इस त्यौहार को सावधानी से मनाना चाहिए। आजकल रंग में मिलावट होने के कारण बहुत अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है इसलिए आर्गेनिक और प्राकृतिक रंगों organic and natural colours का इस्तेमाल करें। जहाँ तक हो सके प्राकृतिक होली खेलने की कोशिश करें। गलत रंगों के उपयोग से आँखों की बीमारी होने का खतरा भी रहता है और कई शारीरिक रोगों को भी झेलना पड़ सकता है। रसायन मिश्रित रंगों Chemicals से बने रंग या synthetic रंग का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें इन रंगों को प्रयोग करने से बचना चाहिए। इन दिनों इस त्योहार को मनाने के लिए जैविक होली के रंगों की बहुत मांग है। अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस होली को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक होली ही खेलें।

इन ब्रांड के आर्गेनिक रंगों के साथ मनायें होली

आज बाजार में धड़ल्ले से केमिकल रंग बेचे जाते हैं जो कि हमारी त्वचा, बालों और आंखों के लिए नुकसानदायक होते हैं। आज हर कोई होली के रंगों के साइड इफेक्ट के कारण होली खेलने से डरता है लेकिन अब आपको डरने की जरुरत नहीं है। इन सुरक्षित कार्बनिक होली रंगों के साथ, अब आप निश्चिंत होकर रंगों के साथ होली खेल सकते हैं। होली के गुलाल में अंतरक्रान्ति Antarkranti Naturals के कुछ बेहतरीन ऑफर हैं। ये रंग प्राकृतिक होते हैं, खाद्य सामग्री से बने होते हैं जिनमें खाद्य रंग, फूलों की पंखुड़ियां और अन्य सामग्री शामिल हैं। ये रंग समृद्ध और प्राकृतिक दिखने वाले और सबसे अधिक धोने में आसान हैं। प्राकृतिक रंगों से होली खेलने पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। अन्य जैविक ब्रांडों की तुलना में इनकी कीमतें भी काफी बहुत सस्ती हैं। Antarkranti प्राकृतिक होली गुलाल रंग - ऑरेंज (नारंगी), पीला, लाल, हरा और नील रंग में टेसु फूल, गुलाब की पंखुड़ियों, गेंदा, चंदन, मक्का स्टार्च, भोजन के रंग से बने 5 का पैक (100gm x 5) में मिल जाएगा। आप अमेज़न Amazon पर भी आर्डर कर सकते हैं। इसके अलावा Organic India आर्गेनिक इंडिया ब्रांड के कलर भी खरीद सकते हैं। ऑर्गेनिक इंडिया भी एक प्रसिद्ध ब्रांड है जो विभिन्न प्रकार के जैविक उत्पाद बेचता है। इनके हर्बल होली रंग त्वचा के अनुकूल हैं और 100% कार्बनिक अवयवों जैसे कॉर्नस्टार्च पाउडर,अरारोट पाउडर, लाल गुलाब पाउडर, पालक के पत्ते का पाउडर और हल्दी आदि से बने हैं। आप Lustrous Herbal Gulal लूस्ट्रौस हर्बल के कलर भी ले सकते हैं। यह उत्पाद भी साफ करने और धोने में आसान होने का दावा करता है। एक पैकेट में 100 ग्राम के पांच रंग (लाल, हरा, नारंगी, पीला, नीला) होते हैं और पाउडर त्वचा के अनुकूल और शरीर को नुकसान नहीं होने का दावा करता है। Tota Brand तोता ब्रांड में हर्बल रंगों और प्राकृतिक सुगंध के साथ आप तोटा ब्रांड पर भरोसा कर सकते हैं। तोता ब्रांड का गुलाल बायोडिग्रेडेबल biodegradable है और त्वचा के अनुकूल है।

मेरी तरफ से आप सभी को होली की ढेरों शुभकामनाएं । Happy Holi

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