जीरो इन्वेस्टमेंट और लाखों की कमाई?

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जीरो इन्वेस्टमेंट और लाखों की कमाई?
31 Jul 2021
9 min read

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हम आज उस समाज का हिस्सा हैं जहाँ बस नयी तकनीक, नए फ़ैशन , नयी चीज़ों के बारे में बातें होती हैं। पुरानी वस्तुओं और सेवाओं को इस्तेमाल करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि हमारी रोज़मर्रा के इस्तेमाल में ऐसी कई पुरानी चीज़े हैं, जिनका इस्तेमाल करके हम उनकी मदद से और आकर्षक उत्पाद बना सकते हैं।  

हम आज उस समाज का हिस्सा हैं जहाँ बस नयी तकनीक, नए फ़ैशन , नयी चीज़ों के बारे में बातें होती हैं। पुरानी वस्तुओं और सेवाओं को इस्तेमाल करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि हमारी रोज़मर्रा के इस्तेमाल में ऐसी कई पुरानी चीज़े हैं, जिनका इस्तेमाल करके हम उनकी मदद से और आकर्षक उत्पाद बना सकते हैं।  

क्या आपने कभी सोचा है कि कपड़े की फैक्ट्री या फिर बुटिक हाउस से कचरे के रूप में निकलने वाले कपड़ों से पर्यावरण को कितना अधिक नुकसान पहुँचता है? हम बस नए कपड़े खरीदने में ही लगे रहते हैं। कभी ये नहीं सोचते कि इन पुराने कपड़ों का क्या होगा ? आज हम आपको ओडिशा के भुवनेश्वर में फैशन ब्रांड चलानेवाली एक ऐसी युवती से मिलवाने जा रहे हैं, जो शहरभर के टेलर, बुटीक हाउस और कपड़ा फैक्ट्री में बचने वाले कपड़ों के सभी तरह के कचरे को इकट्ठा करके नए-नए प्रोडक्ट बनाती हैं। उनके बनाए सस्टेनेबल प्रोडक्ट जैसे बैग, ज्वेलरी, ड्रेस, कुशन कवर आदि की शहर में खूब मांग है।

फैशन डिजाइनिंग में ग्रैजुएशन करने के बाद, बेनोरिटा ने ‘सस्टेनेबल फैशन’ में मास्टर्स डिग्री की और इसके बाद, उन्होंने एक फैशन कॉलेज में बतौर शिक्षिका भी काम किया। उन्होंने कहा कि कुछ समय तक पढ़ाने के बाद उन्हें लगा कि उन्हें इंडस्ट्री में काम करना चाहिए। इसलिए वह एक डिजाइनिंग फर्म के साथ जुड़ गईं। लेकिन उनका यह अनुभव बहुत ही अलग था। वह बताती हैं कि इस इंडस्ट्री में सबसे अधिक कचरा जमा होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। 

साल 2018 में नौकरी छोड़कर वह अपने शहर वापस लौट आई। उन्होंने कहा, “मैंने फैसला किया कि अब मैं अपना ब्रांड शुरू करुँगी, लेकिन यह पूरी तरह से सस्टेनेबल ब्रांड होगा। इसलिए मैंने इंडस्ट्री में बचने वाले वेस्ट (कतरन) को रॉ मटीरियल की तरह इस्तेमाल करने का फैसला किया। मैंने अपने मास्टर्स के दौरान ही, अपना ब्रांड नाम ‘Lady Ben’ रजिस्टर कराया था। उसी के अंतर्गत काम शुरू किया। मेरे पास पहले से जो कपड़े बचे थे, उसी से अपना पहला उत्पाद बनाया।” 

उन्होंने अपना काम ‘जीरो इन्वेस्टमेंट’ से शुरू किया। उन्होंने नए उत्पाद तैयार करने के लिए अपने पास पहले से उपलब्ध चीजों को उपयोग में लिया। वह बताती हैं कि लगभग दो महीने तक उन्होंने सिर्फ अलग-अलग तरह के प्रयोग करके ‘वेस्ट’ कपड़ों से चीजें बनाई। पहले उन्होंने सिलाई के साथ ‘फेविकोल’ का सहारा लिया। लेकिन फिर उन्हें लगा कि चीजों को आकर्षक बनाने के लिए कशीदाकारी का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे उनके उत्पादों की खूबसूरती बढ़ गयी।

बेनोरिटा कहती हैं कि कपड़ों की कतरन के लिए उन्होंने शहर में दर्जियों की दुकान पर जाना शुरू किया। वह उनसे जाकर कतरन मांगती थी। जिसे सभी दर्जी ख़ुशी-ख़ुशी उन्हें दे देते थे क्योंकि उनके लिए इन कतरन का सही प्रबंधन करना बहुत मुश्किल काम था। टेलरों के अलावा, उन्होंने शहर में ही तीन-चार छोटी फैक्टरियों के कतरन भी लेना शुरू कर दिया। वह कहती हैं कि हर हफ्ते उनके यहां लगभग पांच से छह बोरे भरकर कतरन आती है।

इन कतरन को पहले कपड़े के हिसाब से जैसे सूती, सिंथेटिक आदि को अलग-अलग किया जाता है। कपड़ों को अलग-अलग करने के बाद, इन्हें रंग के आधार पर बांटा जाता है। इसके बाद, जरूरत के हिसाब से कतरन को आपस में जोड़कर बड़ा कपड़ा बनाया जाता है और फिर उत्पाद तैयार होते हैं। इसी प्रक्रिया से आज वह लगभग 25 तरह के उत्पाद बना रहे हैं जैसे बैग्स, ज्वेलरी, ड्रेस, परदे, बैडशीट आदि। अपने उत्पादों की बिक्री के लिए अलग-अलग शहरों में आयोजित होने वाले मेलों और प्रदर्शनियों में स्टॉल लगाने के साथ-साथ, उन्होंने दिल्ली और भुवनेश्वर में अपना स्टोर भी खोला हुआ है। 

इसके अलावा, बहुत से लोग अब उन्हें अपने घरों से निकलने वाले पुराने कपड़े भी डोनेट करने लगे हैं। वहीं, बहुत से लोग उन्हें पुराने कपड़े देकर अपने घरों के लिए खूबसूरत चीजें बनवाते हैं।

पिछले साल तक बेनोरिटा और उनकी टीम ऑफलाइन ही काम कर रहे थे। आज उनकी टीम में 16 लोग शामिल हो चुके हैं और जीरो इन्वेस्टमेंट से शुरू हुए बिज़नेस का सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपए से ज्यादा है। साथ ही, वह फैशन कोर्स के छात्रों को इंटर्नशिप भी दे रही हैं।  वह बताती हैं कि पिछले साल तक वह ऑफलाइन ही काम कर रही थी। साथ ही, लॉकडाउन के दौरान उन्होंने देखा कि कैसे मिट्टी के बर्तन और अन्य हेंडीक्राफ्ट बनाने वाले लोगों के रोजगार पर काफी बुरा असर पड़ा है। इसलिए उन्होंने अपनी ब्रांड के तहत दो कुम्हार परिवारों के बनाए उत्पाद भी लॉन्च किए। 

हम बेनोरिटा के जज्बे को सलाम करते हैं। हमें उम्मीद है कि आप भी बेनोरिटा के जीरो इन्वेस्टमेंट बिज़नेस से सीखकर एक नयी पहल शुरू कर सकते हैं। हमको लगता है आपको इस आर्टिकल की मदद से व्यवसाय की एक सकारात्मक सोच ज़रूर मिली होगी।