भारत का शिक्षा मंत्री कौन है, इनका क्या कार्य होता है?

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भारत का शिक्षा मंत्री कौन है, इनका क्या कार्य होता है?
11 Aug 2023
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देश में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना और प्रत्येक राज्य व जिले में प्राइमरी से यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा की सुचारु व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करना शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी होती है। सही शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करके आज के युवा आने वाले उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे। 

शिक्षा मंत्रालय एक बहुत ही अहम् और खास जिम्मेदारियों वाला मंत्रालय है। जैसे कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद रहे हैं, बहुत सारी परेशानियाँ छात्रों को झेलनी पड़ी हैं। इन सबकी जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान पर ही थी। शिक्षा मंत्री का सबसे पहला कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में सभी बच्चों की भागीदारी हो।

साथ ही सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा free education मिल सके इस पर कार्य करना है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेगे की भारत का शिक्षा मंत्री कौन है, इनका क्या कार्य होता है? साथ ही शिक्षा मंत्रालय के कार्य और जिम्मेदारियों पर भी नज़र डालेंगे। 

साथ ही जानेंगे की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2023 National Education Policy (NEP) 2023 क्या है? इसकी विभिन्न विशेषताएं एवं लाभ क्या हैं ? क्यों  एनईपी 2023 भारतीय शिक्षा प्रणाली Indian Education System के लिए एक बड़ा कदम है जो लाखों भारतीयों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखती है।

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शिक्षा मंत्रालय Education Ministry बेहद खास और जिम्मेदारियों वाला मंत्रालय है। शिक्षा जैसी अहम् जिम्मेदारी को संभालना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। शिक्षा मंत्रालय शिक्षा के स्तर को बनाये रखने के साथ-साथ देश को उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ाने का कार्य करता है।

जिससे अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर भारतीय विद्यार्थी पीछे न रहें। यह मंत्रालय शिक्षा की सबसे बड़ी, उच्‍च शिक्षा प्रणाली की देखरेख करता है, और युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में एहम भूमिका निभाता है।

भारत के शिक्षा मंत्री Education Minister पर इन सब की जिम्मेदारी है, उन्हें छात्रों से जुड़े मामलों में कई अहम फैसले लेने होते हैं। छात्रों को भी शिक्षा मंत्री से काफी उम्मीदे होती हैं। आइये जानते हैं कौन हैं भारत के शिक्षा मंत्री (Who is the Education Minister of India) और इनका क्या कार्य होता है?

भारत का शिक्षा मंत्री कौन है? Who is the education minister of India?

वर्तमान में भारत के केंद्रीय शिक्षा मंत्री Central Education Minister धर्मेंद्र प्रधान Dharmendra Pradhan हैं। शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) के साथ-साथ उनके पास कौशल विकास एवं आंत्रप्रेन्योरशिप मंत्रालय (Skill Development and Entrepreneurship Ministry) भी है।

डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे के बाद धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्री बनाया गया था। इन्होंने इस पद की शपथ 7 जुलाई 2021 को ग्रहण की थी। धर्मेंद्र प्रधान का जन्म 26 जून 1969 को ओडिशा तलचर (Talcher, Odisha) शहर में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेंद्र प्रधान Devendra Pradhan है। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 से 2004 तक केंद्रीय मंत्री थे।

धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा के प्रतिष्ठित राजनेता eminent politician थे। कॉलेज के दिनों से ही उनमें लीडरशिप के गुण मौजूद थे। धर्मेंद्र प्रधान के पास इससे पहले पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और स्टील मंत्रालय Ministry of Petroleum & Natural Gas & Steel था। इनकी माता का नाम श्रीमती बसंत मंजरी प्रधान और उनकी पत्नी का नाम श्रीमती मृदुला प्रधान है। धर्मेंद्र प्रधान जी को “उज्ज्वला मैन” Ujjwala man के रूप में भी जाना जाता है।

अगर हम बात करें स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री की तो मौलाना अबुल कलाम आज़ाद Maulana Abdul Kalam Azad स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। वह 15 अगस्त 1947 से 22 जनवरी 1958 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उन्होंने ही भारत में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए IIT जैसे बेहतरीन शिक्षण संस्थाओं की स्थापना करवाई थी। 

धर्मेंद्र प्रधान जी का शैक्षिक और राजनीतिक करियर

धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के तालचर कॉलेज से हायर सेकंडरी की पढ़ाई की है। उड़ीसा के तालचेर कॉलेज में एक उच्चतर माध्यमिक छात्र के रूप में अध्ययन करते हुए ए.बी.वी.पी. (ABVP) कार्यकर्त्ता बने और इसके बाद वे तालचेर में छात्र संघ के अध्यक्ष बने।

उन्होंने उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर (Utkal University) Bhubaneswar से एंथ्रोपोलॉजी में एमए (MA Anthropology) की डिग्री भी ली है। सन 1998 में यह भारतीय जनता पार्टी Bharatiya Janata Party में शामिल हो गए और भारतीय जनता पार्टी का सदस्य रहते हुए ही इन्होंने उत्कलमणि गोपाबंधु प्रतिभा सम्मान Utkalmani Gopabandhu Pratibha Samman प्राप्त किया जो कि उड़ीसा विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधानसभा सम्मान best assembly honor है।

धर्मेंद्र प्रधान ने वर्ष 2000 में मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा। पल्ललहारा विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा चुनाव लड़े और जीते। 2002 में वह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बने। 2004 में उन्होंने ओडिशा के देवगढ़ लोकसभा क्षेत्र से 14वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए। वह 2012 में बिहार और 2018 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए भी चुने गये।

2014 में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार में धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रेलियम एंड नैचुरल गैस का केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। 2019 में भी धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने 25 से अधिक देशों का दौरा किया और साथ ही कई शिखर सम्मेलनों में भाग लिया।

उन्होंने भारतीय प्रतिनिधि के रूप में कई अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लिया। वह स्टील मंत्री भी रहे। स्वतंत्र भारत के इतिहास में वह सबसे लंबे समय तक पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्री रहे हैं। 2017 से 2019 के बीच वह स्किल डेवलवमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मिनिस्टर भी रहे। ​

धर्मेंद्र प्रधान युवाओं के मुद्दों को लेकर भी काफी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने बेरोजगारी दूर करने जैसे कई मुद्दों का समर्थन किया और इसके लिए समय समय पर आवाज भी उठाई है। उन्होंने स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप मिनिस्टर रहते हुए कौशल विकास पर भी कई कदम उठाये हैं। इसके अलावा उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा काउंसलिंग प्रोग्राम 'स्किल साथी' (Skill Saathi) भी लॉन्च किया।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) बदला शिक्षा मंत्रालय में 

मिनिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट का नाम अब शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है, प्राइमरी से यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा (Higher Education) पर फोकस रखने वाले इस मंत्रालय के सफर की कहानी भी काफी अलग है। यह नाम परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति NationalEeducation Policy (एनईपी) के मसौदे की प्रमुख सिफारिशों में से एक था। शिक्षा मंत्रालय पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource and Development-MHRD) के नाम से जाना जाता था।

मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने कैबिनेट के समक्ष सिफारिश की थी कि उसका नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय (Ministry Of Education) कर दिया जाए इसलिए मंत्रालय की सिफारिश को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी थी। यह बदलाव इसलिए किया गया जिससे मंत्रालय ज़्यादा स्पष्टता और फोकस के साथ अपने काम को सही तरीके से कर सके।

वैसे आज़ादी (Independence Day) के बाद से इस मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय ही कहा जाता था, लेकिन राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की सरकार के समय इसका नाम बदलकर HRD हो गया था। दरअसल, 26 सितंबर 1985 को शिक्षा मंत्रालय का बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। तब इसके अंतर्गत संस्कृति, युवा कल्याण, खेल और महिला व बाल विकास जैसे कई और विभाग भी बना दिए गए।

धीरे-धीरे HRD मंत्रालय में जो विभाग जोड़े गए थे, वो अलग हो गए और इसके अलावा अन्य कई कारणों की वजह से इस मंत्रालय का नाम बदलकर फिर शिक्षा मंत्रालय किया गया। 

शिक्षा मंत्री के महत्वपूर्ण कार्य और जिम्मेदारियां Important functions and responsibilities of education minister

शिक्षा मंत्रालय एक बहुत ही अहम् और खास जिम्मेदारियों वाला मंत्रालय है। जैसे कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद रहे हैं, बहुत सारी परेशानियाँ छात्रों को झेलनी पड़ी हैं। इन सबकी जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान पर ही थी। शिक्षा मंत्री का सबसे पहला कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में सभी बच्चों की भागीदारी हो। साथ ही सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा free education मिल सके इस पर कार्य करना है।

स्कूलों पर सर्वे करना, मिड डे मील mid day meal की व्यवस्था देखना और बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहे। भारतीय शिक्षा मंत्रालय Indian Ministry of Education का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करना है और यह भी सुनिश्चित करना है कि यह नीतियां पूरे भारत में सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू हो तथा उन्हें योजनाबद्ध और सही तरीके से उपयोग में लाया जाए। 

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जो लोग शिक्षा लेने में असमर्थ हैं जैसे गरीब बच्चे, महिलाओं और अल्पसंख्यक जैसे वंचित समूहों की ओर विशेष रूप से ध्यान देना और उन्हें विशेष तौर पर छात्रवृत्ति प्रदान करना, शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना साथ ही सब्सिडी भी प्रदान करना शामिल है।

यानि शिक्षा मंत्रालय का एक कार्य समाज में वंचित वर्गो के छात्रों को योग्य बनाना भी है। भारतीय शिक्षा मंत्री द्वारा ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षकों की भर्ती की जाए। क्योंकि शिक्षक ही बच्चों को शिक्षित करने के महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। इस मंत्रालय को दो महत्वपूर्ण विभागों में बांट दिया गया है।

पहला स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग Department of School Education and Literacy जो प्राथमिक शिक्षा और साक्षरता के अलग अलग पहलुओं के आयोजन के लिए जिम्मेदार है। दूसरा है उच्च शिक्षा विभाग Higher Education Department, यह माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक के लिए शिक्षा से जुड़े काम करता है। इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय के कार्यों में शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना भी है।

इसमें यूनेस्को, विदेशी सरकारों UNESCO, foreign governments और विश्वविद्यालयों Universities के साथ मिलकर काम किया जाता है। 

भारत के शिक्षा मंत्री के अन्य मुख्य दायित्व एवं कार्यभार Responsibilities and duties of the Education Minister of India

  • शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कार्ययोजना लागू करना

  • देश की शिक्षा सम्बंधित नीतियों का निर्धारण करना

  • शिक्षा के लिए संचालित विभिन योजनाओ का संचालन करना एवं मॉनिटरिंग करना

  • देश में सभी नागरिको को उच्च-गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना और साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए नीति-निर्धारण

  • सरकार द्वारा सभी वर्गों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए योजना क्रियान्वयन

  • शिक्षा के संबंध में एक राष्ट्रीय नीति तैयार करना

  • भारत की शिक्षा प्रणाली में विकास

  • उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण संस्थानों का विकास

  • शिक्षा प्रणाली को सभी क्षेत्रों में शीघ्रता से ले जाना

  • शिक्षा से वंचित गरीब बच्चे को शिक्षा प्रदान करना

  • महिला शिक्षा पर ध्यान देना

  • छात्रवृत्ति के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करना

  • शिक्षा ऋण उपलब्ध कराना

धर्मेंद्र प्रधान को मुख्यतः किस योजना के लिए जाना जाता है ?

धर्मेंद्र प्रधान को बीजेपी सरकार द्वारा चलायी गयी बहुचर्चित और सफल उज्जवला योजना Successful Ujjwala Scheme के लिए जाना जाता है। उज्जवला योजना को सफल बनाने का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान को दिया जाता है। यही वजह है कि धर्मेंद्र प्रधान को उज्ज्वला मैन (Ujjwala Man) के रूप में भी ख्याति प्राप्त है।

Education Ministers of India List since (1947-2022) भारत के शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता के बाद की सूची (1947-2022)

क्र.सं.– भारत के शिक्षा मंत्रियों का नाम– कार्यकाल

1. मौलाना अबुल कलाम आजाद 15 अगस्त 1947-22 जनवरी 1958

2. डॉ के एल श्रीमाली (राज्य मंत्री) 22 जनवरी 1958-31 अगस्त 1963

3. श्री हुमायूं कबीर 1 सितंबर 1963-21 नवंबर 1963

4. श्री. एम. सी. छागला 21 नवंबर 1963-13 नवंबर 1966

5. श्री. फखरुद्दीन अली अहमद 14 नवंबर 1966-13 मार्च 1967

6. डॉ. त्रिगुणा सेन 16 मार्च 1967-14 फरवरी 1969

7. डॉ. वी. के. आर. वी. राव 14 फरवरी 1969-18 मार्च 1971

8. श्री. सिद्धार्थ शंकर रे 18 मार्च 1971-20 मार्च 1972

9. प्रो. एस. नूरुल हसन (राज्य मंत्री के रूप में) 24 मार्च 1972-24 मार्च 1977

10. प्रो. प्रताप चंद्र चंदरÂ Â 26 मार्च 1977-28 जुलाई 1979

11. डॉ. कर्ण सिंह 30 जुलाई 1979-14 जनवरी 1980

12. श्री. बी शंकरानंद 14 जनवरी 1980-17 अक्टूबर 1980

13. श्री. एस.बी. चव्हाण 17 अक्टूबर 1980-8 अगस्त 1981

14. श्रीमती। शीला कौल (राज्य मंत्री के रूप में) 10 अगस्त 1981-31 दिसंबर 1984

15. श्री. के सी पंत 31 दिसंबर 1984-25 सितंबर 1985

16. श्री. पी.वी. नरसिम्हा राव (प्रधानमंत्री के रूप में) 25 सितंबर 1985-25 जून 1988, 25 दिसम्बर 1994-09 फरवरी 1995,17 जनवरी 1996-16 मई 1996

17. श्री. पी.शिव शंकर 25 जून 1988-2 दिसंबर 1989

18. श्री. वी.पी. सिंह (प्रधानमंत्री के रूप में) 2 दिसंबर 1989-10 नवंबर 1990

19. श्री. राजमंगल पांडे 21 नवंबर 1990-21 जून 1991

20. श्री. अर्जुन सिंह- 23 जून 1991-24 दिसंबर 1994,- 22 मई 2004-22 मई 2009

21. श्री. माधवराव सिंधिया 10 फरवरी 1995-17 जनवरी 1996

22. श्री अटल बिहारी वाजपेयी (प्रधानमंत्री के रूप में) 16 मई 1996-1 जून 1996

23. श्री. एस.आर. बोम्मई 5 जून 1996-19 मार्च 1998

24. डॉ. मुरली मनोहर जोशी 19 मार्च 1998-21 मई 2004

25. श्री कपिल सिब्बल 22 मई 2009-28 अक्टूबर 2012

26. श्री. एम एम पल्लम राजू 29 अक्टूबर 2012-25 मई 2014

27. श्रीमती स्मृति ईरानी 26 मई 2014-5 जुलाई 2016

28. श्री. प्रकाश जावड़ेकर 5 जुलाई 2016 (शाम)-31 मई 2019

29. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 30 मई 2019 – 07 जुलाई 2021

30. धर्मेंद्र प्रधान 07 जुलाई 2021 – अब तक

भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री- अबुल कलाम आजाद First Education Minister of India - Abul Kalam Azad

अबुल कलाम आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। अबुल कलाम आजाद का पूरा नाम मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद था। उनकी पर्सनालिटी की बात करें तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता, एक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन Indian independence movement, एक इस्लामी धर्मशास्त्री और एक लेखक थे।

एक कवि, विद्वान, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी, उन्होंने कई नेताओं के साथ भारत के निर्माण में योगदान दिया लेकिन भारत के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का उपहार रहा है। 

मौलाना अबुल कलाम आजाद 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में पहले शिक्षा मंत्री थे। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए प्रतिवर्ष मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन (11 नवंबर) की स्मृति में ही 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' National Education Day मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को समर्पित है।

देश में उच्च शिक्षा के मुख्य नियामकों व संस्थानों, जैसे - अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, आदि के संस्थापकों में से एक मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती यानि 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के तौर पर मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2008 से की गई थी।

वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की स्थापना में शामिल थे। 

एक युवा व्यक्ति के रूप में, आज़ाद ने उर्दू कविता के साथ-साथ धर्म और दर्शन पर ग्रंथ भी लिखे। वह एक पत्रकार के रूप में लोकप्रिय हुए, उन्होंने ब्रिटिश राज की आलोचनात्मक रचनाएँ लिखीं और भारतीय राष्ट्रवादी कारणों की वकालत की। 

आजाद, खिलाफत अभियान के प्रमुख के रूप में प्रमुखता से उभरे, जिसके दौरान उन्होंने भारतीय नेता महात्मा गांधी से मुलाकात की और गांधी के अहिंसक सविनय अवज्ञा विचारों के एक उत्साही प्रशंसक बन गए, जो 1919 के रोलेट अधिनियमों के जवाब में असहयोग आंदोलन को संगठित करने के लिए काम कर रहे थे।

आज़ाद गांधी के विचारों के प्रति समर्पित थे, जिसमें स्वदेशी (स्वदेशी) उत्पादों को बढ़ावा देना और स्वराज (भारतीय स्व-शासन) का कारण शामिल था। 1923 में जब वे 35 वर्ष के थे, तब वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने।

आज़ाद 1931 में धरसाना सत्याग्रह के प्रमुख आयोजकों में से एक थे, और वे जल्दी ही भारत के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रीय नेताओं में से एक के रूप में प्रमुखता से उभरे, हिंदू-मुस्लिम एकता के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का समर्थन किया।

1940 से 1945 तक, वह कांग्रेस के अध्यक्ष थे, और यह वह समय था जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था। अल-हिलाल अखबार के माध्यम से उन्होंने हिंदू-मुस्लिम सुलह के लिए भी जोर दिया।

16 जनवरी 1948 को अखिल भारतीय शिक्षा पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए, कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है, जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकता है।

अबुल कलाम आजाद का कहना था कि “शिक्षाविदों को छात्रों में पूछताछ, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की भावना का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए।”

शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख उद्देश्‍य (कार्य) Main objectives (functions) of the Ministry of Education

शिक्षा मंत्रालय के कुछ मुख्य उद्देश्य नीचे दिए गए हैं-

  • मंत्रालय का मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित करना और यह गारंटी देना है कि इसका अक्षरशः पालन किया जाए।

  • सुनियोजित विकास, जिसमें शिक्षा तक पहुंच बढ़ाना और देश भर में शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता में वृद्धि करना शामिल है, यहां तक ​​कि उन क्षेत्रों में भी जहां लोगों की पहुंच आसान नहीं है। यानि ऐसे क्षेत्रों में जहाँ शिक्षा तक लोगों की पहुंच मुश्किल है वहाँ शैक्षिक संस्‍थाओं की पहुंच में विस्‍तार करना शामिल है। 

  • देश की वंचित आबादी जैसे गरीब, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

  • छात्रवृत्ति, ऋण सब्सिडी, और सहायता के अन्य रूपों के रूप में समाज के वंचित वर्गों के योग्य छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

  • देश की शैक्षिक संभावनाओं में सुधार के लिए यूनेस्को, अन्य सरकारों और विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग सहित शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना। यानि शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग को प्रोत्‍साहित करना जिससे देश में शैक्षिक अवसरों में वृद्धि हो सके।

Also Read: शिक्षा निवेश अंतर को कम करने में G20 की महत्वपूर्ण भूमिका

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2023  National Education Policy (NEP) 2023

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2023 भारत के लिए एक नई शिक्षा नीति है जिसे 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। यह 1986 की 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई) की जगह लेती है।

एनईपी 2023 चार स्तंभों पर आधारित है: पहुंच, समानता, गुणवत्ता और जवाबदेही। इसका उद्देश्य सभी भारतीयों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ, न्यायसंगत और उच्च गुणवत्ता वाला बनाना है। नीति बहु-विषयक और समग्र शिक्षा की आवश्यकता पर भी जोर देती है जो छात्रों को उनकी अद्वितीय क्षमताओं को विकसित करने में मदद करेगी।

एनईपी 2023 की कुछ प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं: Some of the key features of the NEP 2023 include:

मौजूदा 10+2 प्रणाली की जगह, स्कूली शिक्षा के लिए एक नई 5+3+3+4 संरचना।
2025 तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता की शुरूआत।
परीक्षा पर जोर कम कर दिया गया है, केवल कक्षा 2, 5 और 8 के छात्र ही परीक्षा दे रहे हैं।
पुन: डिज़ाइन की गई बोर्ड परीक्षाएँ वर्ष में दो बार आयोजित की जाएंगी और इसके दो भाग होंगे: वस्तुनिष्ठ और वर्णनात्मक।
अंतःविषय और बहुभाषी शिक्षा पर ध्यान।
ग्रेड 6 में कोडिंग की शुरूआत और प्रायोगिक शिक्षा।
मध्याह्न भोजन योजना का विस्तार करते हुए इसमें नाश्ता भी शामिल किया गया।
परामर्शदाताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तैनाती के माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना।
एनईपी 2023 भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव है और इसका लाखों भारतीयों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह एक साहसिक और महत्वाकांक्षी नीति है जिसका लक्ष्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।

एनईपी 2023 के कुछ लाभ यहां दिए गए हैं:  Benefits of the NEP 2023:

  • शिक्षा तक पहुंच में वृद्धि: एनईपी 2023 का लक्ष्य सभी भारतीयों के लिए शिक्षा को अधिक सुलभ बनाना है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। यह कई उपायों के माध्यम से किया जाएगा, जैसे मध्याह्न भोजन योजना का विस्तार और 18 वर्ष की आयु तक सभी बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा की शुरुआत।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: एनईपी 2023 सभी भारतीयों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देती है। इसे कई उपायों के माध्यम से हासिल किया जाएगा, जैसे नए पाठ्यक्रम मानकों की शुरूआत, शिक्षकों का प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे में सुधार।
  • अधिक लचीली और उत्तरदायी शिक्षा प्रणाली: एनईपी 2023 का लक्ष्य शिक्षा प्रणाली को छात्रों और नियोक्ताओं की आवश्यकताओं के प्रति अधिक लचीली और उत्तरदायी बनाना है। यह कई उपायों के माध्यम से किया जाएगा, जैसे स्कूली शिक्षा के लिए एक नई 5+3+3+4 संरचना की शुरूआत और अंतःविषय और बहुभाषी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
  • समग्र शिक्षा पर बढ़ा फोकस: एनईपी 2023 समग्र शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देता है जो छात्रों को उनकी अद्वितीय क्षमताओं को विकसित करने में मदद करेगा। इसे कई उपायों के माध्यम से हासिल किया जाएगा, जैसे कि ग्रेड 6 में कोडिंग की शुरूआत और प्रयोगात्मक शिक्षा।

एनईपी 2023 भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा कदम है। यह एक साहसिक और महत्वाकांक्षी नीति है जो लाखों भारतीयों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखती है।