दो पीढ़ियों में बढ़ता‌ टकराव,‌ जरूरी है जुड़ाव

Share Us

2348
दो पीढ़ियों में बढ़ता‌ टकराव,‌ जरूरी है जुड़ाव
08 Nov 2021
8 min read

Blog Post

माता-पिता और ‌युवा‌ बच्चों के बीच टकराव आम बात है।‌ दिन-प्रतिदिन इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए परिवार में बढ़ती दूरियों को कम करने के लिए यह ज़रूरी है कि प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहें और उनके विचारों पर‌ भी ग़ौर करें। वर्तमान की बदलती जीवनशैली उनके मस्तिष्क को कई तरह से प्रभावित करती है‌। इसलिए उन्हें और उनके विचारों को समझना आवश्यक है, जिससे ‌वे आपसे जुड़ा हुआ महसूस करें। ऐसी पुरानी कहावत भी है- "परिवार में मतभेद ठीक हो‌ सकता है, लेकिन मनभेद नहीं।" अतः बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ना परिवार को संतुलित रखने के लिए आवश्यक है।

आजकल हर‌ घर‌ में ‌माता-पिता‌ और बच्चों के बीच तनाव आम‌ बात है। दोनों पीढ़ियों के विचारों में असमानता इस विवाद का मुख्य कारण बनती है। दोनों ‌अपने-अपने पीढ़ियों के अनुसार अपने विचारों को एक दूसरे पर थोपने लगते हैं। ऐसे कई कारण हैं ‌जिनके कारण इनके बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं और परिणामस्वरूप परिवार में अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। आज की आधुनिक जीवनशैली शायद माता-पिता के विचारों के अनूकूल नहीं होती और युवाओं के अनुसार वह जो करते हैं वह सही है। इस समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अभिभावक अपने बच्चों को समझने और उनसे जुड़ने का प्रयास करें, जो बच्चों को भी उनसे जुड़ाव महसूस कराए। 

माता-पिता और बच्चों के बीच बढ़ता तनाव

आज‌‌ के समय में माता-पिता और बच्चों के बीच मतभेद बड़ी आम बात हो गई है।‌ आजकल यह हर एक घर‌ की बात हो गई है। किन्हीं दो लोगों में मतभेद तब होता है, जब दोनों लोग एक दूसरे के विचारों से असहमत होते हैं। यह समस्या आज हर माता-पिता और बच्चे ‌महसूस करते हैं, जब इन दोनों के विचार आपस में मेल नहीं खाते। बच्चों से ज़्यादा ‌यह किशोरों में देखा जाता है कि, वह अपने माता-पिता से कई तरीकों से विपरीत सोचते हैं। किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है, जब युवाओं को अपने जीवन में स्वतंत्रता चाहिए होती है। वह अपने अनुसार चीज़ों को चलाना पसंद करते हैं। लेकिन माता-पिता के विचार इससे विपरीत होते हैं, जिसके कारण उनके बीच टकराव होने की संभावना बढ़ने लगती है। आज हम आपको ‌इस लेख‌ के माध्यम से बताएंगे कि आखिर इन समस्याओं का मुख्य कारण क्या है और इनका समाधान क्या है। 

इन कारणों से आती है दूरियां

युवाओं और माता-पिता के बीच विवाद कई कारणों से हो सकते हैं। आर्थिक स्वतंत्रता, दोस्तों से अधिक संबंध बनाना, घर से बाहर निकलने की ज़िद, प्रेम संबंध, युवाओं का माता-पिता के प्रति अपमानजनक व्यवहार, इत्यादि ऐसे अनेक मुद्दों की वजह विवाद का कारण बनते हैं। किशोर और उनके माता-पिता के बीच समस्या एक ग़ौर करने का विषय है‌, क्योंकि यही ‌आज परिवार में दूरी आने का कारण बनती हैं।‌ अतः अगर माता-पिता इन दी गई बातों ‌पर ध्यान दें और उन्हें अच्छे तरीके से ‌संभालने का प्रयास करें तो उनके और बच्चों के बीच तनाव कम होगा। 

1. ‌कई युवाओं को ‌ऐसा लगता है कि उनके माता-पिता उन्हें समझ नहीं पाते और माता-पिता मानते हैं कि वे अभी बच्चे हैं, जिसके कारण वह उनके साथ ‌वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं जैसा वे छोटे बच्चों के साथ करते हैं। किशोर इस व्यवहार से नफरत‌‌ करने लगते हैं। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों की बढ़ती उम्र के अनुसार ‌उनकी परिपक्वता को समझने का प्रयास करें।

2. कभी-कभी माता पिता अपने बच्चों से कई अपेक्षाएं करने लगते हैं, चाहे वह पढ़ाई के मामले में हो या फिर भविष्य के मामले में। वह अपने बच्चों की क्षमता को ऑंकने के बजाय उन पर अपने विचारों को हावी करने लगते हैं, जिसके कारण बच्चे विरोधी होने लगते हैं। माता-पिता को समझने की ज़रूरत होती है कि, हर बच्चे की काबिलियत एक जैसी नहीं होती इसलिए दूसरे बच्चों को देखकर उसके व्यवहार को अपने बच्चों पर न थोपें।

3. अक्सर किशोर झूठे आरोप और संदेहों से नफ़रत करते हैं। इसलिए माता-पिता के तौर पर आप उनपर कोई आरोप ‌तब तक न लगाएं जब तक आपके पास उनके द्वारा न नकारे जाने वाला ‌सबूत हों। बिना किसी सबूत के आरोप‌ लगाने पर वह आपसे घृणा करने लगते हैं, फिर इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप कितना भी सही हों।

4. किशोरों को किसी से भी तुलना करना पसंद नहीं होता। उनके अनुसार वह जैसे हैं, वे बेहतर हैं। जब आप उनकी दूसरों से तुलना करने लगते हैं तो वह आपके ऐसे व्यवहार को पसंद नहीं करते और आपके विरोधी बन जाते हैं। इसलिए जितना हो सके अपने बच्चों की किसी अन्य व्यक्ति से तुलना करने से बचें। अगर उन्होंने कुछ ग़लत किया है तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से समझाएं लेकिन तुलना करने से बचें।

5. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनके माता-पिता का उन पर प्रभाव कम होता जाता है। वह अपने दोस्तों और साथियों की‌ जीवनशैली से अधिक प्रभावित होते हैं। यह आपके और आपके बच्चों के बीच बढ़ते संघर्ष का मुख्य कारण होता है। इस प्रभाव को सही दिशा देने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप शुरू से ही उन्हें अच्छे मित्र चुनने के लिए गाइड करें, क्योंकि ‌जब उनकी संगत अच्छी होगी तो आपके बच्चे भी अच्छे होंगे। लेकिन इसके बाद भी उनपर‌ गुप्त‌ रूप से नज़र ज़रूर‌ रखें।

माता-पिता और ‌युवा‌ बच्चों के बीच टकराव आम बात है।‌ दिन-प्रतिदिन इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। इसलिए परिवार में बढ़ती दूरियों को कम करने के लिए यह ज़रूरी है कि प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहें और उनके विचारों पर‌ भी ग़ौर करें। वर्तमान की बदलती जीवनशैली उनके मस्तिष्क को कई तरह से प्रभावित करती है‌। इसलिए उन्हें और उनके विचारों को समझना आवश्यक है, जिससे ‌वे आपसे जुड़ा हुआ महसूस करें। ऐसी पुरानी कहावत भी है- "परिवार में मतभेद ठीक हो‌ सकता है, लेकिन मनभेद नहीं।" अतः बच्चों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ना परिवार को संतुलित रखने के लिए आवश्यक है।