इस दीवाली, चित्त करें साफ

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इस दीवाली, चित्त करें साफ
03 Nov 2021
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उम्मीद करते हैं आप सभी लोग ठीक होंगे। घर की साफ सफ़ाई हो रही होगी या हो चुकी होगी। इन्हीं सब पहलुओं के मध्य हम अक्सर अपने मन को साफ सुथरा करना भूल जाते हैं, क्या आपको नहीं लगता ये एक बेहद आवश्यक काम है। तन की सफाई तो रोज़ ही करते हैं क्यूँ न इस दिवाली हम मन की सफाई पर भी विशेष ध्यान दें।

उम्मीद करते हैं आप सभी लोग ठीक होंगे। घर की साफ सफ़ाई हो रही होगी या हो चुकी होगी। इन्हीं सब पहलुओं के मध्य हम अक्सर अपने मन को साफ सुथरा करना भूल जाते हैं, क्या आपको नहीं लगता ये एक बेहद आवश्यक काम है। तन की सफाई तो रोज़ ही करते हैं क्यूँ न इस दिवाली हम मन की सफाई पर भी विशेष ध्यान दें। शुद्ध चित्त में ही ईश्वर का बास होता है। मन के मंदिर में विषमताओं को छोड़ हम धनात्मकताओं की सीढ़ियों को बनाने का प्रयास करें और कदम व कदम उनपर चढ़ने का प्रयास करें। हमारे शांत और शुद्ध चित्त से ही लोग आकर्षित होते हैं न कि क्रोध, ईर्ष्या व द्वेष के कारण हमारी ओर आकर्षित होते हैं।

अक्सर लोग ये सोचते हैं बाते बड़ी-बड़ी करने से किसका भला होता है। कौन मानता है इन लिखे हुए दस्तावेजों को, किसको पड़ी है कि इन्हें पढ़ कर अपने मन, अपनी आत्मा को एक सुझाव दिया जाए कि आओ उस ओर बढ़ते हैं, जिस ओर ईश्वर का शुद्धतम रूप हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। जिस तरह प्रत्येक त्योहार के एक रोज़ पहले हम अपने घर के सबसे बासी कमरे, यानी की स्टोर रूम को साफ करते हैं, ठीक उसी तरह हम सब मिलकर इस दिवाली अपने मन के बासीपन को, लोगों के प्रति पैदा द्वेष को, दुश्मनी के नाम जलती रौशनी को बुझा कर प्रेम रूपी दिए की रौशनी को पैदा करें और इस जगत में प्यार का फूल खिला कर एक जश्न के माहौल की रचना करें। इस दिवाली चलो कुछ नया करें। कैसे करें इस पहल की शुरुआत,

आओ प्रेम की मिठाई बाटें

जिन लोगों से आपने काफी वक्त से बात नहीं कि, जिनके प्रति आपका और सामने वाले का मन मुटाव चल रहा है उनसे बात करें, उनको मिठाई बाटें और उनके उज्जवल भविष्य की दिल से कामना करें। ये बात जग ज़ाहिर है कि प्रत्येक व्यक्ति प्रेम का भूखा है, अपितु हमारे भीतर बैठा अहंकार हमारे कदम रोके बैठा है लंबें समय से। हमें बस अपने अहम को सुला कर प्रेम का दीपक जलाना है कुछ इस तरह दीपावली मनाना है।

चित्त के अंधेरे को रौशनी दें

जैसा कि ऊपरी पंक्तियों से ही हम मन के साफ सुथरे हो जाने के स्वभाव की बात कर रहें है फिर भी कुछ अच्छी आदतें हमारे व्यक्तित्व को निखार सकती हैं। आइये बात करते हैं।

बेहतर से बेहतर किताबों को पढ़ने की आदत बनायें।

जीवन में सरलता लाएं, जटिल स्वभाव चित्त को बेवज़ह भारी रखता है।

दिखावा न करें आप जो हैं उसी को स्वीकारें और बेहतर बनने का प्रयत्न करें। परन्तु किसी को गिरा के आगे बढ़ने की कला को जन्म लेने न दें।

जब भी निगेटिविटी आपके चित्त में आये उसका खुले मन से स्वागत करें। निगेटिविटी को जब हम रोकने का अथक प्रयास करने लगते हैं, तब ही वह हम पर उतनी ही मात्रा में हावी होती है। जब हम उसका स्वागत करते हैं तब हमारा ध्यान स्वयं ही उस ओर से विचलित होने लगता है।

समय की गम्भीरता को समझें और उसका लाभ उठाएं। 

जितना हो सके उतना खुल के जियें। कुंठित मन आस-पास का वातावरण प्रदूषित करता है इस बात का ध्यान रखें।

इन्हीं सब बातों के बीच आइये खुल के मनाते हैं, दीवाली और देते हैं दुनिया को सुंदरतम रूप अपने आपसी प्रेम और सामाजिक सौहार्द से।