रक्षा बंधन: रिश्तों को मज़बूत करती प्यार और भरोसे की नाज़ुक डोर

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रक्षा बंधन: रिश्तों को मज़बूत करती प्यार और भरोसे की नाज़ुक डोर
29 Aug 2023
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आज के बदलते दौर में जब आधुनिकता और तरक्की की अंधी दौड़ में समाज का तानाबाना बिखरने लगा है आपसी रिश्तों पर भी इसका बड़ा बुरा असर पड़ रहा है।  ऐसे में हमारे त्योहार हमें फिर एक मौका देते है जब हम उन रिश्तो को और मजबूती प्रदान कर सकते हैं।

इस लिए आज रक्षा बंदन जैसे त्योहारों का महत्व और प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गयी है। 

विविध संस्कृति और और बोली/भाषा के लोगों वाला देश भारत त्योहारों के दौरान एकजुटता का प्रतीक बन जाता है। पारंपरिक महत्व वाले ये उत्सव के अवसर एक ऐसे परिदृश्य को दर्शाते हैं जहां केवल सकारात्मक नैतिकता ही पनपती है और सहयोग का लोकाचार मौजूद होता है।

अलग-अलग जाति या धर्म के बावजूद, भारत में लोग इस तरह प्रेम और उल्लास की भावना के साथ त्योहारों के उत्सव में शामिल होते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत भारतीय त्योहार रक्षा बंधन का जादू है जो भाइयों और बहनों के बीच मौजूद सुंदर और शुद्ध बंधन का प्रतीक है।

इस त्योहार की असली खूबसूरती इस बात में है कि यह त्योहार सिर्फ खून के रिश्तों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे सभी धर्मों के लोग भी मना सकते हैं जो भाई-बहन की भावनाओं को अपने दिलों में बसा लेते हैं। 

राखी का वास्तविक अर्थ होता है- किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना और यही कारण है कि बहनें इस त्योहार में अपने भाइयों को राखी Rakhi बांधती हैं। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों को राखी बांधे क्योंकि आज के समय में भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधते हैं।

भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार इस त्योहार को श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

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इस आधुनिक दुनिया में, जहाँ जीवन की दौड़-धूप में हम अपने प्रियजनों से दूर हो जाते हैं, रक्षा बंधन एक ऐसा महत्वपूर्ण उत्सव है जो हमें उनके साथ जुड़ने का मौका देता है। यह एक नाज़ुक डोर होती है जिसमें प्यार, समर्पण और सहायता की भावना समेटी होती है, जिससे हमारे रिश्तों की मजबूती और गहराई का पता चलता है।

इस उत्सव के माध्यम से हम आपसी समर्पण और समाज में एकता की महत्वपूर्णता को समझते हैं और अपने रिश्तों को मजबूती से बांधते हैं।

भाई और बहन के बीच सुरक्षा के बंधन का प्रतीक माने जाने वाला त्योहार रक्षा बंधन Raksha Bandhan भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहार popular indian festivals में से एक है। इस त्योहार की उत्पत्ति अन्य भारतीय पर्व की तुलना में थोड़ी अलग है।

रक्षा बंधन के दिन बहनें अपनी भाई की कलाई पर राखी Rakhi बांधती हैं और इसके साथ-साथ अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। आइए रक्षा बंधन के बारे में और जानते हैं-

रक्षा बंधन: रिश्तों को मज़बूत करती प्यार और भरोसे की नाज़ुक डोर

रक्षा बंधन क्या है? What is Raksha Bandhan?

भारतीय धर्म और संस्कृति के अनुसार इस त्योहार को श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भाई और बहन को स्नेह की डोर में बांधने वाले इस त्योहार को राखी भी कहते हैं। 

दरअसल, राखी का वास्तविक अर्थ होता है- किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना और यही कारण है कि बहनें इस त्योहार में अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों को राखी बांधे क्योंकि आज के समय में भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधते हैं। 

रक्षा बंधन, 2023 की तिथि When is Raksha Bandhan, 2023?

रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: Auspicious time to tie Rakhi on Raksha Bandhan:

रक्षाबंधन, जो प्यार और समर्पण की भावनाओं का प्रतीक है, इस बार 30 अगस्त को आ रहा है। इस खास मौके पर, भाई-बहन के रिश्तों को मजबूती से बांधने का सही मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण होता है। रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त का ज्ञान होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस बार, रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 9 बजकर 2 मिनट से लेकर 31 अगस्त की सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में भद्रा काल का प्रारंभ हो जाएगा, जो रात 9.02 बजे तक रहेगा। यह मुहूर्त लगभग 10 घंटे तक बना रहेगा, जिसका उपयोग राखी बांधने के लिए आपकर्षक हो सकता है।

भद्रा काल: रक्षाबंधन के मुहूर्त का महत्व Bhadra Kaal: Significance of Muhurta of Raksha Bandhan

भद्रा काल एक विशेष समय होता है जिसमें राखी बांधने का कार्य नहीं किया जाता है, क्योंकि इस समय में मान्यता है कि शुभ कार्य नहीं करने से अधिक लाभ होता है। इस बार भी भद्रा काल की शुरुआत 30 अगस्त को हो जाएगी और यह रात 9.02 बजे तक रहेगा, जो रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त को और भी विशेष बनाएगा।

कैसे हुई रक्षा बंधन की शुरुआत? Origin of Raksha Bandhan Festival

रक्षा बंधन की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाली अनेक कथाएं इतिहास में मौजूद हैं। इनमें से कुछ पौराणिक कथाएं mythological significance of Raksha Bandhan हैं और कुछ ऐतिहासिक कथाएं हैं। आइए रक्षा बंधन से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में जानते हैं -

रक्षा बंधन के पीछे की कहानी Story behind Raksha Bandhan

1. इंद्र और शचि की कथा Indra Dev and Sachi

हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले देवी शचि Devi Sachi ने अपने पति इंद्र Indra Dev को राखी बांधी थी ताकि युद्ध में देवताओं के राजा इंद्र विजयी हों।

जब इंद्र देवता वृत्तासुर से युद्ध करने जा रहे थे तो उनकी पत्नी इंद्राणी ने इंद्र देव की कलाई के चारों ओर एक पवित्र पीला कलावा बांधा था और तभी से सुरक्षा के लिए ये पर्व मनाया जाने लगा। 

2. द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कथा Draupadi and Lord Krishna

महाभारत में शिशुपाल के दुव्यवहार से तंग आकर जब भगवान श्री कृष्ण ने उसका वध किया था तब उनके हाथ में भी चोट आ गई थी। द्रौपदी ने देर ना करते हुए अपनी साड़ी के कोने का एक सिरा भगवान श्री कृष्ण की चोट पर बांध दिया। भगवान कृष्ण, द्रौपदी की इस क्रिया से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने यह घोषणा की कि द्रौपदी अब उनकी बहन है और वह हमेशा द्रौपदी की रक्षा करेंगे।

आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने वादे को निभाया भी था। जब हस्तिनापुर की सभा में दुस्शासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तब श्री कृष्ण द्रौपदी के बुलाने पर आए और उन्होंने द्रौपदी के मान की रक्षा की थी।

3. राजपूत रानियाँ, पड़ोस के राजाओं को राखी भेजती थीं

भारत के ऐतिहासिक काल में राखी का उपयोग भाईचारे और दोस्ती को दर्शाने के लिए किया जाता था। राजपूत रानियाँ मित्रता के प्रतीक के रूप में पड़ोस के राजाओं को राखी भेजती थीं।

4. एकता के प्रतीक के रूप में रक्षा बंधन मनाया गया

जब ब्रिटिश सरकार बंगाल का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कर रही थी, तब कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन के त्योहार Raksha Bandhan को एकता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया और ब्रिटिश शासन की रणनीति पर पानी फेर दिया। 

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मौजूदा दौर में रक्षा बंधन की प्रासंगिकता Relevance of Raksha Bandhan in present day

वर्तमान समय में रक्षा बंधन का महत्व और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब हम समाज में तेजी से बदलते परिप्रेक्ष्य में देखते हैं। यह उत्सव न केवल प्यार और समर्पण का प्रतीक होता है, बल्कि यह समाज में बंधन और मजबूत रिश्तों की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है।

आधुनिक जीवन में रिश्तों का महत्व

वर्तमान में हम तेजी से बदलते जीवनशैली में ज्यादातर समय काम की भागदौड़ और तनाव में गुजरते हैं, जिससे हमारे पास अपने परिवार के सदस्यों के साथ गुजरने के लिए कम समय बचता है। इसी संदर्भ में रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय मौका होता है जब हम समय निकालकर अपने प्रियजनों के साथ समय बिता सकते हैं और उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बना सकते हैं।

रिश्तों की मजबूती का माध्यम

रक्षा बंधन एक माध्यम होता है जिसके माध्यम से हम अपने प्रियजनों के साथ अपनी दिल से भावनाओं को साझा करते हैं। इस दिन भाई-बहन के बीच एक खास संबंध की नींव रखी जाती है जिसमें प्यार, समर्पण और सहायता की भावना समेटी होती है। यह रिश्तों की मजबूती को दिखाता है और समाज में एकता और आपसी सहायता की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है।

रक्षा बंधन: आत्मविश्वास का स्रोत

रक्षा बंधन के माध्यम से हम न सिर्फ अपने प्रियजनों के साथ एक विशेष संबंध बनाते हैं, बल्कि यह हमें आत्मविश्वास देता है कि हम उनके साथ हर परिस्थिति में खड़े हो सकते हैं। यह रिश्तों में आपसी समर्पण और विश्वास को बढ़ावा देता है, जिससे हम जीवन की हर मुश्किलता का सामना कर सकते हैं।

प्यार की नाजुक डोर

रक्षा बंधन के इस महत्वपूर्ण दिन पर भाई-बहन के बीच उन नाज़ुक डोरों को बांधा जाता है, जिनमें प्यार और समर्पण की भावना समेटी होती है। इन डोरों की मजबूती ही हमें यह आत्मविश्वास दिलाती है कि हम एक दूसरे के साथ हर कठिनाई का सामना कर सकते हैं।

गहरे संबंध की बुनाई

रक्षा बंधन के महत्वपूर्ण पल हमें यह सिखाते हैं कि रिश्तों को मन, मनोबल और दिल से निभाना कितना महत्वपूर्ण है। इस उत्सव के माध्यम से हम अपने प्यारे भाई-बहन के साथ एक खास बंधन बनाते हैं, जिसमें हमारी एक-दूसरे के प्रति देखभाल और समर्पण की भावना छिपी होती है।

समर्पण का प्रतीक: रक्षा बंधन

रक्षा बंधन का महत्व यह दिखाता है कि रिश्तों की गहराई और सख्ती किसी भी माहौल में महत्वपूर्ण होती है। यह एक मनोबल देने वाला उत्सव होता है जो हमें प्यार और समर्पण के महत्व को समझाता है, जिससे हम अपने रिश्तों को मजबूती से बांध सकते है

रक्षा बंधन के दूसरे नाम Different names of Raksha Bandhan

रक्षा बंधन को कई जगहों पर राखी के त्योहार के नाम से जानते हैं। राखी के अलावा रक्षा बंधन को पश्चिमी भारत में नारली पूर्णिमा Nariyal Purnima, ओड़िशा में गाम्हा पूर्णिमा, मध्य भारत में कजरी पूर्णिमा Kajari Purnima, उत्तराखंड में जंध्यम पूर्णिमा और बंगाल में इसे झूलन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

पूरे भारत में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है? How is Raksha Bandhan celebrated across India?

रक्षा बंधन पर किए जाने वाले अनुष्ठान

  • रक्षा बंधन के दिन महिलाएं स्नान कर व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। पूजा करने के बाद वह अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं। वह अपने भाइयों को टीका लगाती हैं, उनकी आरती करती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं वहीं बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। 

  •  बंगाल में झूलन पूर्णिमा को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है और इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। 

  • ओड़िशा में गम्हा पूर्णिमा के दिन लोग गायों और बैलों को सजाते हैं और इनकी पूजा करते हैं। 

आधुनिक तरीके से रक्षा बंधन कैसे मनाएं? How to celebrate Raksha Bandhan?

  • भाई और बहन का यह खास त्योहार आप आधुनिक तरीके से भी मना सकते हैं। आप अपने पालतू जानवरों को राखी बांध सकते हैं और उन्हें कभी नुकसान ना पहुंचाने का और उनकी रक्षा करने का संकल्प ले सकते हैं। 

  • हम सब जानते हैं कि प्रकृति की रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है इसीलिए रक्षा बंधन के दिन पेड़ और पौधों को राखी बांधे और ये संकल्प लें कि आप उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें पानी और खाद देंगे। 

  • पिछली साल कई लोगों ने कोविड योद्धाओं जैसे की एम्बुलेंस स्टाफ, डॉक्टर्स, नर्स, पुलिसमैन और वार्डबॉय को राखी बांधी थी इसीलिए इस बार उन्हें राखी बांधना भूल मत जाइएगा क्योंकि उन्हें आज भी सम्मान और प्यार की ज़रूरत है। 

रक्षा बंधन मनाने के नायाब तरीके New ways to celebrate Raksha Bandhan

  • मैचिंग ड्रेस पहनिए और खूब सारी तस्वीरें लीजिए।

  • अपने भाई के लिए उसकी पसंदीदा मिठाई ऑर्डर मत करिए बल्कि घर पर बनाइए। 

  • अगर आप चाहें तो आप राखी बाज़ार से खरीदने के बजाय घर पर ही बना सकती हैं।

  • अगर किसी वजह से आपके भाई घर नहीं आ रहे हैं और वे किसी दूसरे शहर में हैं तो आप उन्हें ऑनलाइन ऑर्डर करके राखी भेज दीजिए और रक्षा बंधन के दिन आप दोनों वीडियो कॉल की मदद से रक्षा बंधन के सारे अनुष्ठानों को पूरा कर लीजिए। 

​निष्कर्ष

इस खूबसूरत त्योहार को आप कई तरीके से मना सकते हैं। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि सिर्फ बहनें ही अपने भाइयों को राखी बांधे क्योंकि आज के समय में भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधते हैं। इस त्योहार को मनाते वक्त भद्रा का विशेष ध्यान रखें क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अच्छा नहीं माना जाता है।