हमारी शान, हिन्दुस्तान 

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हमारी शान, हिन्दुस्तान 
13 Aug 2021
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विभिन्न समुदाय के होने के बावजूद भी हम सब भारतवासी सबकी संस्कृतियों और रीति-रिवाजों को बेहतरीन तरीके से समझते हैं और उसके प्रति अपने मन में सम्मान भी रखते हैं। आप सभी ने "कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी कहावत" तो जरूर सुनी होगी। यह कहावत हमारे देश को कैसे दर्शाती है, आइए जानते हैं-

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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत अनेकता में एकता का देश है। पर्वत, नदियां, जंगल और रेगिस्तान सभी ने भारत को विभिन्न जातियों,धर्मों,पंथों,और भाषाओं के बीच अपनी उत्कृष्ट विविधता के साथ सुशोभित किया है। भारत के प्रत्येक राज्य और क्षेत्र की अपनी विशिष्टता है और हमारे देश की यही बात अकसर दूसरे देश के लोगों को पसंद आती है। दूसरे देश के यात्री हमारी संस्कृति, जलवायु, परंपरा को काफी पसंद करते हैं। हमारे देश में मनाए जाने वाले त्यौहार, सुंदर नृत्य और संगीत लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

वैसे सच कहें तो हमारे देश है ही इतना सुंदर। क्या आपने कभी सोचा है कि विदेशी पर्यटकों को हमारा देश इतना पसंद क्यों आता हैं?

गोवा के समुद्र तट से लेकर राजस्थान की रेत, हिमाचल के बर्फ से ढके पहाड़, सुंदर झीलें, दिल्ली के विश्व संस्कृति स्थल, सुंदर मंदिर, ताज महल, आदि इन सभी चीज़ों ने हमेशा से ही पर्यटकों का ध्यान खींचा है। भारत हमेशा दुनिया में सबसे सुंदर देशों में से एक रहा है। विदेशी पर्यटकों का हमारे देश की तरफ लगाव हमारे देश की अर्थव्यवस्था और समृद्धि के लिए फायदेमंद है।

हमारा देश अनेकता में एकता की मिसाल है। अनेकता में एकता का क्या अर्थ है? सरल भाषा में कहें, तो हमारे देश में गुजराती, पंजाबी, बंगाली, महाराष्ट्रियन, मद्रासी, तमिलियन आदि जैसे विभिन्न समुदाय होने के बावजूद भी हम सब प्रेम से एक साथ रहते हैं। हमारे देश में विभिन्न जातियों, धर्मों, सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को ऐसे रूप में देखा जाता है, जो हमारे समाज और राष्ट्र को बेहतर बनाता है। हम सभी विभिन्न धर्मों, जातियों और संस्कृतियों के होने के बावजूद भी उन्हीं कानूनों का पालन करते हैं, जो भारत के संविधान द्वारा निर्धारित किए गए हैं। हमारा देश महान विविधता के बावजूद गहरी एकता दिखाता है।

विभिन्न समुदाय के होने के बावजूद भी हम सब भारतवासी सबकी संस्कृतियों और रीति-रिवाजों को बेहतरीन तरीके से समझते हैं और उसके प्रति अपने मन में सम्मान भी रखते हैं। होली, दिवाली, ईद, मुहर्रम, दुर्गा पूजा, ओणम, आदि त्योहारों को सभी भारतीय पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।

आप सभी ने "कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी कहावत" तो जरूर सुनी होगी। यह कहावत हमारे देश को कैसे दर्शाती है, आइए जानते हैं-

भारत एक विविधताओं का देश है। हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु में परिवर्तन देखने को मिलते हैं, जैसे जो भाषा गुजरात में बोली जाती है, वो पंजाब में बोले जाने वाली भाषा से बिलकुल अलग होती है। हमारे देश में लोग अलग- अलग तरीके के कपड़े पहनते हैं, अलग धर्म और जाति में विश्वास रखते हैं, विभिन्न त्योहार मनाते हैं आदि। इन सब कारणों के बावजूद भी हम हजारों वर्षों से एक साथ रहते हैं।

डॉ. विन्सेन्ट आर्थर स्मिथ(1848–1920) एक ब्रिटिश इतिहासकार थे। उन्होंने भारत के इतिहास, संस्कृति और सभ्यता पर बहुत कुछ लिखा है। वे कहते हैं, "भारतीयों की महत्वपूर्ण एकता इस तथ्य पर आधारित है कि भारत के विभिन्न लोग एक निश्चित प्रकार की संस्कृति और सभ्यता का निर्माण करते हैं, जिसे हिंदुस्तानी कहा जा सकता है।"

इतने विभिन्न होने के बावजूद भी अगर हम साथ-साथ रहते हैं, तो इसमें हमारे देश के संविधान की भी बहुत बड़ी भूमिका है। भारत का संविधान सभी नागरिकों को बिना किसी हस्तक्षेप के सुख और सम्मान के साथ अपना जीवन जीने का अधिकार और स्वतंत्रता देता है।

भारतीय समाज में अनेकता में एकता के विभिन्न गुण और दोष हैं, लेकिन यही हमें शिक्षा देता है कि विविध जाति, धर्म, भाषाएं और पंथ हमें एक भारतीय होने से नहीं रोक सकती और जब भी हमारे देश के विकास के लिए कुछ करने की बात आएगी, तो हम सब एकजुट होकर उसमें अपना योगदान देंगे।