मानसिक‌‌ स्थिति के लिए प्रकृति से ‌तालमेल

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मानसिक‌‌ स्थिति के लिए प्रकृति से ‌तालमेल
07 Oct 2021
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इसमें कोई शक नहीं कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना जरूरी और फायदेमंद है। सभी प्राणी इससे जुड़े हुए हैं, इसलिए न सिर्फ पेड़-पौधे बल्कि पशु-पक्षी भी ‌इस प्रकृति का हिस्सा हैं। जब हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीना सीख जाते हैं, तभी हम प्रकृति से उसी तरह व्यवहार करने की उम्मीद कर सकते हैं जैसा कि कई सौ वर्षों से होता आ रहा है।

धरती पर जीवन जीने के लिये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृति मिली है। दैनिक जीवन के लिये उपलब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृति हमारे जीवन को आसान बनाती है। संसाधनों के अलावा ‌प्रकृति मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य को भी स्वस्थ बनाती‌‌ है। जिससे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।‌ मन‌ प्रसन्न होता है‌ और तनाव से मुक्ति मिलती है। इसी कारण प्रकृति ‌जैसा अनुपम उपहार जो‌ हमें प्रदान किया गया है, उससे तालमेल बनाना आवश्यक है। वरना आने वाली पीढ़ी इसकी सुंदरता और उपलब्धिताओं से वंचित हो जाएगी और जीवन का अस्तित्व मिट जाएगा।

प्रकृति एक अद्भुत भेंट

प्राकृतिक दुनिया एक अविश्वस्नीय आश्चर्य है जो हम सभी को प्रेरित करती है। प्रकृति हमारे चारों ओर है और हम खुद प्रकृति का एक हिस्सा हैं। यह पेड़ों में, फूलों में, नदियों में, महासागरों में, सूर्य और चंद्रमा और अन्य रूपों का संगम है। हमारे जंगल, नदियाँ, महासागर और मिट्टी हमें वह भोजन प्रदान करते हैं जो हम खाते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, वह पानी जिससे हम अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं सभी प्रकृति की ही देन हैं। हम कई अन्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए भी उन पर निर्भर हैं जिन पर हम अपने स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि के लिए निर्भर हैं।

प्राकृतिक संपदा लाभकारी कैसे?

इन प्राकृतिक संपत्तियों को अक्सर दुनिया की 'प्राकृतिक पूंजी' कहा जाता है। प्रकृति हमें भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए निरंतर प्रयास करती रहती है। यह मनुष्य के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का समर्थन करने और संकट को रोकने में एक महत्वपूर्ण कारक है। जब मानसिक स्वास्थ्य के लाभ की बात आती है, तो प्रकृति की बहुत व्यापक परिभाषा होती है। दर्जनों शोधकर्ताओं ने इस बात के तथ्य भी दिए हैं कि प्रकृति शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह से मानव कल्याण के लिए लाभदायक है। प्रकृति के साथ समय बिताना व्यथित दिमाग के लिए बाम का काम करता है। सहसंबंधी और प्रायोगिक दोनों शोधों से पता चला है कि प्रकृति के साथ बातचीत करने से संज्ञानात्मक लाभ होता है। यह हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे समाज, वास्तव में हमारे अस्तित्व को रेखांकित करता है। प्रकृति के साथ संपर्क खुशी में वृद्धि, व्यक्तिपरक कल्याण, सकारात्मक प्रभाव, सकारात्मक एवं सामाजिक संपर्क और जीवन में अर्थ और उद्देश्य की भावना के साथ-साथ मानसिक संकट में कमी के साथ भी जुड़ा हुआ है। मानव कल्याण प्राकृतिक पर्यावरण से असंख्य तरीकों से जुड़ा हुआ है।

अन्य बातों के अलावा, मानसिक कल्याण हमारे शरीरिक क्रिया के यथासंभव प्राकृतिक जीवन शैली जीने पर निर्भर करता है। प्राकृतिक लय के खिलाफ जाने से, स्वास्थ्य अनेक प्रकार से प्रभावित होता है। उनमें से मानसिक स्वास्थ्य सबसे पहले आता है जो मानव जीवन को‌ बुरी तरह प्रभावित करता है। आंतरिक कलह ही सारे वैमनस्य की जड़ है जो परिवार में, समाज में और प्रकृति के साथ हमारे सामंजस्य को बिगाड़ता है। मानव शरीर पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिलकर बना है। जब इन तत्वों के बीच सामंजस्य बिगड़ता है, तो शरीर में रोग विकसित होता है। यही हमारी असामंजस्यता प्रकृति को भी प्रभावित करता है।

प्रकृति और मानसिक स्वास्थ्य

प्रकृति के संपर्क में रहने से लोग अधिक जीवंत और खुश महसूस करते हैं। जीवन शक्ति और कल्याण की भावना सभी मनुष्यों के जीवन के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यथासंभव लंबे समय तक प्रकृति के साथ तालमेल बिठाया जाए। पर्यावरण की उपस्थिति में होने से मनुष्य को भौतिक से लेकर सामाजिक तक कई पहलुओं में कई लाभ होता है। प्राकृतिक स्थान लोगों के लिए शारीरिक गतिविधियाँ करना आसान बनाते हैं और इस प्रकार उनके स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। वे हमारी क्षमता और मनोदशा को भी बढ़ाते हैं। प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहने से हमारी सोचने की क्षमता में सुधार होता है। हरे-भरे स्थानों की उपस्थिति में रहने से बच्चों को भी लाभ होता है। लेकिन ‌आज‌ के आधुनिक समय ‌की‌ यह समस्या हो‌ गई है कि ‌कई बच्चे अपने स्कूल जाने के लिए सुबह घर से निकलते‌ तो हैं पर अपने कंप्यूटर पर खेलने के लिए घर लौट जाते हैं। जिससे उनके ‌शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर हरे-भरे स्थानों के संपर्क में रहने वाले बच्चे शायद ही कभी बीमार पड़ते हैं, बेहतर शारीरिक एकाग्रता, संतुलन और चपलता रखते हैं, अधिक कल्पनाशील और चौकस होते हैं, समूहों में मौज-मस्ती करने और सहयोग करने की अधिक क्षमता रखते हैं और अधिक तर्क क्षमता दिखाते हैं।‌ शोध से पता चला है कि जो लोग वन स्नान का अभ्यास करते हैं, उनमें इष्टतम तंत्रिका तंत्र कार्य, अच्छी तरह से संतुलित हृदय की स्थिति और आंतरिक विकार कम होते हैं। बाहरी गतिविधियाँ हाइपरमेट्रोपिया और मायोपिया जैसी दृष्टि समस्याओं के विकास की संभावना को कम करती हैं। प्रकृति भावनात्मक नियमन में मदद करती है और स्मृति समारोह में सुधार करती है।

नेचर वॉक से डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को फायदा होता है। अध्ययनों से पता चला है कि हल्के से लेकर प्रमुख डिप्रेशन से पीड़ित लोगों ने प्रकृति के संपर्क में आने पर महत्वपूर्ण मनोदशा में सुधार दिखाया। इतना ही नहीं, बल्कि वे ठीक होने और सामान्य स्थिति में वापस आने के लिए अधिक प्रेरित और ऊर्जावान महसूस करते हैं। प्रकृति की सैर और अन्य बाहरी गतिविधियाँ ध्यान केंद्रित करती हैं। प्रकृति के क़रीब रहने से तनाव कम होता है।

इसमें कोई शक नहीं कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना जरूरी और फायदेमंद है। सभी प्राणी इससे जुड़े हुए हैं, इसलिए न सिर्फ पेड़-पौधे बल्कि पशु-पक्षी भी ‌इस प्रकृति का हिस्सा हैं। प्रत्येक को प्यार और सम्मान के साथ पोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि हम सभी जीवित प्राणी एक दूसरे पर निर्भर हैं। प्रकृति हमारी आत्मा और शरीर को ईंधन देती है।‌ जब हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीना सीख जाते हैं, तभी हम प्रकृति से उसी तरह व्यवहार करने की उम्मीद कर सकते हैं जैसा कि कई सौ वर्षों से होता आ रहा है। जब मनुष्य प्रदूषण और वनों की कटाई के माध्यम से प्रकृति और उसकी संरचना को प्रभावित करने में लिप्त होगा, तो मानव जाति पीढ़ियों तक पछताने को मजबूर हो जाएगी। इसीलिए इससे किसी भी कीमत पर बचना चाहिए। पर्यावरण के प्रति जागरूक होना ही एकमात्र तरीका है, जिससे हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे ग्रह पर जो कुछ भी अच्छा है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए खो न जाए।