जानें कैसे हुई थी भाई दूज की शुरुआत और क्या है इसका महत्त्व ?

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जानें कैसे हुई थी भाई दूज की शुरुआत और क्या है इसका महत्त्व ?
02 Nov 2024
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भारत विविधताओं का देश है यहाँ विभिन्न संस्कृति, धर्म, और मान्यताओं के लोग एक साथ रहते है। दुनियां में शायद ही कोई ऐसा देश हो जो इतनी विविधताओं के बावजूद अपने मूल अस्तित्व को न सिर्फ बनाये हुए है बल्कि उसे लगातार पोषित और संवर्धित भी करता रहा है। 

भारत का प्राचीन दर्शन और संस्कृति पूरे विश्व में अपना आलोक फैला रहा है। भारतीय संस्कृति को सहेज कर रखने में भारत के तीज त्योहारों का विशेष महत्त्व है।  ये मात्र त्यौहार नहीं है बल्कि भारत की  समृद्ध और गौरवशाली संस्कृति का प्रतीक भी है। 

ऐसा ही एक त्यौहार है भाई दूज। भाई दूज एक हिंदू त्योहार hindu festivals है जो भाई और बहन के बीच पवित्र प्रेम और बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं।

दुनिया में शायद भारत ही एक ऐसा देश है जो भाई और बहन के सम्बन्धो को इतनी ज्यादा महत्ता देता है। न सिर्फ भाई बहा बल्कि सभी संबंधों के आदर्श रूब आप भारतीय संस्कृति में देख सकते है।

आज इस लेख के माध्यम से हम भाई बहन बहन किस पवित्र सबंध के प्रतीक भाई दूज के महत्व और उसकी उत्पत्ति Importance of Bhai Dooj and its origin से जुडी कथाओं को जानेगे और भाई दूज 2024 के मुहूर्त Auspicious time of Bhai Dooj 2024 को भी जानेगे। 

भाई दूज की खुशियों से हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और बहुत सारी मीठी यादें आएं। 

"थिंक विथ नीस" "Think With Niche" अपने सभी पाठको को भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें देता है।
"हैप्पी भाई दूज"

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सम्मान को बढ़ावा देता है। भाई दूज के दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बहनें अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं।

भैया दूज की उत्पत्ति Origin of Bhaiya Dooj

उत्पत्ति- भैया दूज/भाई दूज, भाऊ-बीज/भाई फोंटा एक त्योहार है जो भारत, नेपाल और अन्य देशों के हिंदुओं के बीच विक्रम संवत हिंदू के कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। यह अवसर दिवाली या तिहार उत्सव के पांच दिवसीय उत्सव के आखिरी दिन आता है। भारत के दक्षिणी भागों में इसे "यम द्वितीया" के रूप में भी मनाया जाता है।

भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई? How did Bhai Dooj start?

भाई दूज की शुरुआत से जुड़ी कथाएं Stories related to the beginning of Bhai Dooj

इस शुभ दिन की उत्पत्ति से संबंधित कुछ हिंदू पौराणिक कथाएँ Hindu mythology हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस नरकासुर को मारने के बाद भगवान कृष्ण Lord Krishna अपनी बहन सुभद्रा Subhadra से मिलने गए। उनकी बहन ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और फूलों और मिठाइयों के जरिए इस मौके को वाकई खास बना दिया। सुभद्रा ने अपने भाई कृष्ण के माथे पर औपचारिक "तिलक" भी लगाया और इसलिए वहीं से "भाई दूज" के त्योहार का जन्म हुआ।

एक अन्य किंवदंती मृत्यु के देवता यम Yama, god of death और उनकी बहन यमुना sister yamuna की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है। यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे। यमुना ने अपने भाई का बहुत आदर-सत्कार किया और उन्हें टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन को एक वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा और उससे आशीर्वाद प्राप्त करेगा, उसे यमलोक जाने का भय नहीं रहेगा। तभी से भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

भाई दूज अर्थ और महत्व Bhai Dooj meaning and significance

भाई दूज के त्यौहार से एक शाब्दिक अर्थ जुड़ा हुआ है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है- "भाई" अर्थात भाई और "दूज" अर्थात अमावस्या के बाद का दूसरा दिन जो इसके उत्सव का दिन है।

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिन भाई-बहन एक साथ समय बिताते हैं, अपने बचपन की यादों को ताजा करते हैं और अपने भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बात करते हैं। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच प्रेम, विश्वास और सम्मान को बढ़ावा देता है।

यह दिन भाई और बहन के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यह एक शुभ अवसर है जो दो विपरीत लिंग भाई-बहनों के बीच मजबूत बंधन का जश्न मनाता है। बहनें अपने भाइयों को अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती हैं और उनके लिए पसंदीदा व्यंजन बनाती हैं।

बहनें भी सभी बुराइयों और दुर्भाग्य के खिलाफ अपने भाइयों की भलाई और दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों की देखभाल और प्यार करने की अपनी ज़िम्मेदारियों का पालन करते हैं।

भाई दूज को यम द्वितीया क्यों कहा जाता है? Why is Bhai Dooj called Yama Dwitiya?

भाई दूज को भारत के दक्षिणी भाग में यम द्वितीया कहा जाता है। यह नाम यम की कथा से लिया गया है, जो मृत्यु के देवता हैं और उनकी बहन यमी या यमुना हैं। इस लोककथा के अनुसार, यम अपनी बहन से द्वितीया के दिन मिले थे, जो अमावस्या के दूसरे दिन होता है।

इस विशेष घटना को पूरे देश में "यमद्वितीया" या "यमद्वितेय" के रूप में मनाया जाने लगा। उस दिन के बाद से देश में कुछ लोग भाई दूज को यम द्वितीया के रूप में मनाते हैं।

भाई दूज 2024 शुभ मुहूर्त Bhai Dooj 2024 auspicious time

द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात 8:21 बजे शुरू होगी और 3 नवंबर को रात 10:05 बजे समाप्त होगी। हालांकि, मुख्य उत्सव 3 नवंबर को मनाना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह उदया तिथि के अनुसार है। तिलक समारोह के लिए सबसे शुभ समय 1:10 PM से 3:22 PM तक है, जिसमें बहनों के लिए इस प्रिय परंपरा को निभाने के लिए 2 घंटे और 12 मिनट का विशेष समय है।

भाई दूज की परंपरा Tradition of Bhai Dooj:

भाई दूज के दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। बहनें अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं। टीका लगाने से पहले बहनें अपने भाइयों के माथे पर चंदन लगाती हैं और फिर उन्हें अक्षत, फूल और मिठाई देती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। भाई-बहन एक साथ मिठाई खाते हैं और इस दिन को खुशी से मनाते हैं।

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भाई दूज से पहले मनाये जाने वाले त्यौहार Festivals celebrated before Bhai Dooj

भाई दूज 5 दिवसीय दिवाली उत्सव का एक हिस्सा है जिसमें गोवर्धन पूजा भी शामिल है। उत्सव पहले दो दिन क्रमशः धनतेरस और नरक चतुर्दशी से शुरू होते हैं।

1. दिवाली Diwali

उत्सव के तीसरे दिन दिवाली या लक्ष्मी पूजा मनाई जाती है। दिवाली को राम की दुष्ट रावण पर हार और 14 साल के वनवास के बाद घर वापस लौटने की विजयी यात्रा के रूप में मनाया जाता है। यह अज्ञान पर ज्ञान की, निराशा पर खुशी की और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह अमावस्या (या अमावस्या) को मनाया जाता है जो हर साल कार्तिक महीने का 15 वां दिन होता है।

2. गोवर्धन पूजा Govardhan puja

गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट या अन्नकूट भी कहा जाता है, पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक त्योहार है। यह कार्तिक माह के पखवाड़े के पहले चंद्र दिवस पर पड़ता है, जो दिवाली का चौथा दिन है। यह बाल रूप या भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप का स्मरण कराता है। भक्त इस त्योहार को गोवर्धन पर्वत (एक पहाड़ी) की पूजा करके और कृतज्ञता के रूप में 56 प्रकार के शाकाहारी भोजन (छप्पन भोग) चढ़ाकर मनाते हैं।

भाई दूज के दिन क्या करें? what to do on bhai dooj day

  • अपने भाई या बहन के घर जाएं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

  • उन्हें टीका लगाएं और उनकी लंबी उम्र की कामना करें।

  • उन्हें उपहार दें।

  • उनके साथ समय बिताएं और अपनी बचपन की यादों को ताजा करें।

  • अपने भविष्य के लक्ष्यों के बारे में बात करें।

  • भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करें।

भाई दूज के दिन क्या ना करें? What not to do on the day of Bhai Dooj?

  • अपने भाई या बहन के साथ झगड़ा न करें।

  • उन्हें किसी भी तरह से नाराज न करें।

  • उनसे किसी भी तरह की मांग न करें।

  • इस दिन को खुशी से मनाएं और अपने भाई या बहन के साथ समय बिताएं।

भाई दूज की शुभकामनाएं! Happy Bhai Dooj!