स्वयं का शिक्षक होना आसान या कठिन?

Share Us

3577
स्वयं का शिक्षक होना आसान या कठिन?
05 Sep 2021
5 min read

Blog Post

प्रत्येक मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह अपना शिक्षण स्वयं करे। यह चुनौतीपूर्ण अवश्य होता है परन्तु यह आपको एक अच्छा इंसान बनाता है। खुद की खामियों में सुधार करना आसान नहीं होता है, यह आसान तब बन जाता है जब व्यक्ति दृढ इच्छा शक्ति से खुद में बदलाव करने की ठान लेता है। आत्मचिंतन प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है। यह आपको एक सफल और शांतिपूर्ण जीवन प्रदान करता है। 

शिक्षक मनुष्य के जीवन की वह जड़ है जो व्यक्ति को जीवन का आधार देता है। शिक्षक मनुष्य को संसार के उन पहलुओं से अवगत कराता है जो व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के जीवन निर्वाह में सरलता लाते हैं। शिक्षक के माध्यम से मनुष्य की समझ में विकास होता है। यही कारण है कि मनुष्य को बचपन से ही विद्यालय भेजा जाता है शिक्षा ग्रहण करने के लिए। इंसान के जीवन में शिक्षक कोई अन्य व्यक्ति हो यह हमेशा आवश्यक नहीं होता है। कभी-कभी हम खुद से खुद को बहुत कुछ सिखा जाते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया ज्ञान हम तक तभी पहुँच सकता है, जब हम उसे अर्जित करने के लिए मानसिक रूप से सज्ज हों। ज्ञान वह बीज है जो मन की भूमि के पूर्ण रूप से तैयार होने पर ही अंकुरित हो पाती है। मन से बदलने की भावना ही मनुष्य को बेहतर इंसान बनाती है। मनुष्य खुद का एक बेहतरीन शिक्षक हो सकता है। जो शिक्षा हम अपने-आप से खुद को दे सकते हैं वह कोई और नहीं दे सकता। परन्तु इसके लिए हमें यह मानना पड़ता है कि हमें अपने इस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है, जो कि एक चुनौतीपूर्ण काम है। 

स्वयं का शिक्षक होना कठिन काम नहीं परन्तु आत्मचिंतन के आधार पर स्वयं को एक शिक्षक के रूप में अपने अंदर अपनी आदतों में बदलाव करना चुनौतीपूर्ण अवश्य होता है। मनुष्य को अपने अंदर सुधार करने के लिए खुद का शिक्षक बनना पड़ता है, परन्तु यह कार्य ऐसा है जैसे गागर में सागर भरना। अपने अंदर की खामी को स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल काम होता है, क्योंकि हम अक्सर अपने आप को वैसे स्वीकार नहीं करते जैसे कि हम होते हैं। ज़्यादातर हम दो आयामी होते हैं या यूं कहें कि बहुआयामी होते हैं अपने आप के लिए, शायद इसलिए भी हम स्वयं के साथ रहकर भी स्वयं को पहचान नहीं पाते। इस बात की सहमति भरते हुए हम कह सकते हैं कि स्वयं का अध्यापक बनना कितना कठिन है। क्योंकि मनुष्य के स्वभाव की यह प्रवृत्ति होती है कि उसे अपने अंदर कोई गलती नजर नहीं आती। परन्तु यदि हम यह समझने की कोशिश करें कि हमारे लिए वास्तव में क्या सही होगा तो हम अपने अंदर मौजूद कमी में सुधार कर सकते हैं।   

स्वयं का शिक्षक बनने हेतु हमें कुछ आवश्यक तथ्यों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए 

प्रत्येक पल खुद को खुद से प्रोत्साहित करें 

जीवन में विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से सामना होता है, उनमें से कुछ हमें हताशा से भर देते हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद को प्रोत्साहित करते रहें। अपने मनोबल को टूटने ना दें। यदि मनुष्य का मन प्रोत्साहित रहता है तो वह किसी परिस्थिति में दुखी नहीं होता तथा तत्परता से अपनी परेशानी को दूर करने का प्रयास करता है। यदि आपको यह महसूस हो रहा है कि आपकी कोई आदत अच्छी नहीं है, तो खुद को प्रोत्साहित करें कि आप खुद में बदलाव ला सकते हैं। प्रत्येक पल खुद को प्रोत्साहित करें और खुद में सकारत्मकता बनाये रखें। इस प्रकार आप खुद के लिए एक बेहतरीन शिक्षक बन सकते हैं। 

दूसरों के बर्ताव से खुद को बदलने का प्रयास करें 

मनुष्य अपने आस-पास मौजूद व्यक्तियों से बहुत कुछ सीखने का प्रयत्न कर सकता है, हम ऐसे मनुष्यों से अधिक प्रभावित होते हैं। आपके आस-पास रहने वाले व्यक्ति किस तरह का बर्ताव करते हैं, उनका बर्ताव आपकी नज़रों में कैसा प्रभाव बनाता है उस पर ध्यान दें। उसके आधार पर आप अपने व्यक्तित्व का आंकलन करें। यदि उनके अंदर मौजूद कोई गुण उनकी क्षवि को निखार रहा है, तो उसे अपने व्यवहार में लाने की कोशिश करें।       

प्रतिदिन कम से कम एक बार शिक्षक के रूप में खुद से बात करें

जिस तरह एक शिक्षक अपने छात्र से बात करते हैं, उस तरह दिन में कम से कम एक बार खुद से अवश्य बात करें। यदि आप एक शिक्षक के रूप में खुद से बात करेंगे तो यह समझ पाएंगे कि आपको अपने भीतर क्या बदलाव करने की आवश्यकता है। यह जान पाएंगे कि आपके भीतर कौन सी अच्छी बात है। खुद का आप सही से आंकलन कर पाएंगे। इस माध्यम से आप खुद को अच्छा इंसान बना पाएंगे। यह आपको आपका शिक्षक बनने में मदद करेगा। 

खुद को भ्रमित न करने का प्रयास करें    

अपने विचारों के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण रखें। खुद को भ्रमित करने से बचें। कोशिश करें कि एक मुद्दे पर आपकी एक ही विचारधारा रहे। यदि आपकी किसी बात पर एक निश्चित राय नहीं है तो उस पर विचार करें और यह तय करें कि वास्तव में आपका मन क्या सोचता है, और उस राय पर दृढ रहें। यह स्वीकार करें कि आप क्या सोचते हैं और यदि उसमें कुछ सुधार कि आवश्यकता हो तो वह सुधार करें। 

मनुष्य खुद में जितना सुधार खुद के शिक्षण से कर सकता है, उतना शायद ही कोई अन्य व्यक्ति उसमें कर सकता है।