ज़ज्बे के आगे उम्र मायने नहीं रखती

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ज़ज्बे के आगे उम्र मायने नहीं रखती
31 Jul 2021
8 min read

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भारतीय उद्योग जगत में एक और मिथक है कि यहाँ केवल ऐसी महिलाएँ ही अपने कदम रख सकतीं हैं, जो उच्च शिक्षित हों या उनकी उम्र कम हो। आज हम आपको कुछ ऐसी महिला उद्यमियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जुनून और जज़्बे से, बिज़नेस की दुनिया में दस्तक देकर समाज को एक नई दिशा दिखाई है। 

इस माटी की आज़ादी में, है बलिदान महिलाओं का

पुरुषों की कदम समानता में, है सम्मान महिलाओं का

सामाजिक, आर्थिक जीवन में, है योगदान महिलाओं का

अब नहीं धरा तक वो सीमित, है आसमान महिलाओं का

आज महिलाओं में एक नए विश्वास को जागृत करने की विशेष ज़रूरत है, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी जितनी अधिक होगी, हमारा देश आर्थिक और सामाजिक रूप से उतना ही अधिक समर्थ होगा।

हर सक्षम और आदर्श समाज की रचना में, आरंभ से ही महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही है। भारत के संदर्भ में भी, महिलाओं की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता। बात चाहे आज़ादी की लड़ाई की हो, या ज्ञान-विज्ञान की, देश निर्माण में महिलाओं की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। यदि सिर्फ खेती की बात की जाए, तो इससे संबंधित करीब 65% कार्यभार महिलाओं के कंधों पर है ।

तथ्यों के अनुसार, देश के औद्योगिक क्षेत्र में महिला उद्यमियों की संख्या 14 % से भी कम है। भारतीय उद्योग जगत में एक और मिथक है कि यहाँ केवल ऐसी महिलाएँ ही अपने कदम रख सकतीं हैं, जो उच्च शिक्षित हों या उनकी उम्र कम हो। 

आँकड़े बताते हैं कि देश की लगभग 52% महिलाएँ 25 वर्ष से 35 वर्ष के बीच, 20% महिलाएँ 25 वर्ष से 35 वर्ष के बीच और करीब 3.2% महिलाएँ ही, 50 वर्ष की उम्र के बाद बिज़नेस की दुनिया में अपने कदम रखतीं हैं।

आज हम आपको कुछ ऐसी महिला उद्यमियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जुनून और जज़्बे से, बिज़नेस की दुनिया में दस्तक देकर समाज को एक नई दिशा दिखाई है। 

 1. शकुंतला, संस्थापक – पुरसो सा, जयपुर (राजस्थान)

शकुंतला झाला, राजस्थान के जयपुर की रहने वाली हैं। 47 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी फूड कंपनी “पुरसो सा” की शुरुआत की। इसके तहत, वह दाल-बाटी चूरमा, गुजिया, मठरी जैसे कई राजस्थानी व्यंजनों को बनाने का काम करतीं हैं।

वह बतातीं हैं, ज़ीरो इनवेस्टमेंट से अपने घर में खाना बनाने का कारोबार शुरू किया। आज मुझे इससे हर महीने 20-30 हज़ार की कमाई हो रही है।

 मेरी उम्र 50 की होने को है। अब इस उम्र में कंप्यूटर चलाना सीखना बहुत मुश्किल था, लेकिन अपनी बेटी की मदद से मैंने यह सीखा। इसके साथ ही, एक फूड स्टूडियो बनाने की भी मेरी योजना है।”

 2. निशा चौधरी, संस्थापक – वन भूमि, जयपुर (राजस्थान)

राजस्थान के जयपुर की रहने वाली निशा चौधरी की उम्र 49 साल है और उन्होंने करीब 2 साल पहले ‘वनभूमि’ नाम से अपनी एक कंपनी को शुरू किया। इसके तहत वह न सिर्फ पेड़-पौधों का कारोबार करतीं हैं, बल्कि लोगों को बागवानी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भी देतीं हैं।

निशा बतातीं हैं, “इस उम्र में नए बिज़नेस को शुरू करने के बाद काफ़ी पारिवारिक दबाव था। हर तरफ सवाल उठ रहे थे कि इस उम्र में यह जोखिम उठाने की क्या ज़रूरत है, लेकिन मेरा मानना था कि किसी चीज़ को शुरू करने का जुनून हो तो, उम्र का कोई बंधन नहीं होता। मैं इसी सोच के साथ आगे बढ़ी। एक बार जब लोगों को मुझ पर भरोसा हो गया, तो सभी का सपोर्ट मिलने लगा।”

निशा ने अपने कारोबार को महज़ 15-20 हज़ार रुपए से शुरू किया था, और आज इससे वह न सिर्फ 25-30 हज़ार की कमाई कर रहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपने यहाँ 4 लोगों को नौकरी भी दी है।

 3. जीना खुमूजन, संस्थापक – मा-नगल, इंफाल (मणिपुर)

मणिपुर के इंफाल की रहने वाली 67 वर्षीया, जीना खुमूजन साल 2004 से बिज़नेस के क्षेत्र में हैं। वह अपनी कंपनी मा-नगल (Ma-Ngal)  के तहत हस्तनिर्मित औषधीय साबुन का कारोबार करतीं हैं, जिसे उन्होंने महज़ 100 रुपए से शुरू किया था। आज इन्हें इस बिज़नेस से हर महीने न सिर्फ 30-40 हज़ार रूपये की कमाई होती है, बल्कि 7 से अधिक बेसहारा और पीड़ित लड़कियों को जीने का ज़रिया भी मिलता है। 

जीना बतातीं हैं, “मेरी उम्र 67 साल हो गई। मुझे चलने फिरने में दिक्कत होती है, लेकिन मैं नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा तैयार रहती हूँ। कोरोना महामारी के कारण मेरा कारोबार रुक गया था और लड़कियों को काम पर रखना मुश्किल हो गया । यही कारण है कि मुश्किल हालातों में भी मैंने 3 ज़रूरतमंद लड़कियों को नौकरी पर रखा है, जिसकी मुझे बेहद ख़ुशी है।

 4. शाश्वती तालुकदार, संस्थापक – सोशल एंटरप्राइज मोउशाक, गुवाहाटी, (असम)

असम के गुवाहाटी में रहने वाली शाश्वती तालुकदार पिछले 35 वर्षों से रीटेल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कई कारोबार कर चुकीं हैं। लेकिन, 61 वर्ष की उम्र में पूरे जोश के साथ उन्होंने कुछ नया करने की ठानी।  असम में मधुमक्खी पालन की असीम संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने अपनी सोशल एंटरप्राइज मोउशाक (Moushak) की स्थापना की।

इसके बारे में वह बतातीं हैं, “कुछ साल पहले न्यूज़ीलैंड और यूरोप के कई देशों की यात्रा के दौरान, मैंने वहाँ मधुमक्खी पालन में हो रहे नए-नए प्रयोगों को नज़दीक से देखा। इससे मुझे विचार आया कि असम में भी पेड़-पौधों की कोई कमी नहीं है, तो क्यों न मधुमक्खी-पालन का बिज़नेस शुरू किया जाए। उनके साथ फिलहाल 40-50 मधुमक्खी-पालक जुड़े हुए हैं और ये सभी महिलाएँ हैं।

मेरा उद्देश्य किसानों को यह यकीन दिलाना है कि मधुमक्खी-पालन भी आजीविका का साधन हो सकता है। मेरा विश्वास है कि आज के युवा जोश और पुराने अनुभव के साथ हम एक बेहतर कल की शुरुआत कर सकते हैं।

5. जयाअम्मा, संस्थापक – आरोग्य दायिनी, मेहबूबनगर (तेलंगाना)

तेलंगाना की रहने वाली 60 वर्षीया जयाअम्मा, अपनी कंपनी “आरोग्य दायिनी” के तहत सरसों, तिल, सूरजमुखी, मूंगफली तथा नारियल जैसे उत्पादों से हर महीने हजारों लीटर कोल्ड प्रेस्ड ऑयल बनाकर न सिर्फ लाखों की कमाई कर रहीं हैं, बल्कि इससे 15 लोगों को रोज़गार भी दिला रहीं हैं।

जयाअम्मा ने करीब 2 लाख रुपए की लागत से अपनी कंपनी “आरोग्य दायिनी” की नींव रखी। इसके तहत उनका उद्देश्य अपने ग्राहकों को प्राकृतिक तरीके से बना तेल उपलब्ध कराना है। शुरुआती दिनों में, जयाअम्मा का उत्पाद केवल आस-पास के एक-दो गाँवों में बिकता था, लेकिन आज उनके पास कर्नाटक, गुजरात, पंजाब जैसे कई राज्यों से ऑर्डर आते हैं। महज सातवीं पास जयाअम्मा के पास ज़ीरो प्लास्टिक के इस्तेमाल के साथ-साथ ज़ीरो वेस्ट भी होता है।

 उम्मीद है कि इन महिला उद्यमियों ने जिस आत्मविश्वास के साथ अपने कदम बढ़ाए हैं, इससे देश की हर तबके और हर उम्र की महिलाओं को उद्योग-धंधे के क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की प्रेरणा मिलेगी। यदि आप कुछ अलग करने की चाहत रखतीं हैं, लेकिन महिला होने के कारण या उम्र-दराज़ होने के कारण आगे बढ़ने से झिझक रहीं हैं, तो इन प्रेरक महिलाओं की कहानियाँ ज़रूर पढ़ें।