हम फेंक देते हैं वो उठा लेते हैं ?

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हम फेंक देते हैं वो उठा लेते हैं ?
31 Jul 2021
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जब कोई वस्तु इस्तेमाल में नहीं आती तो हम उसको फेंक देते हैं। क्या आपको पता है जिन वस्तुओं को हम बेकार समझ कर फेंक देते हैं उनका इस्तेमाल कर नए उत्पाद बनाये जा सकते हैं और यही नहीं अपने पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है। आइये जानते हैं ऐसी ही एक पहल के बारे में।

जब कोई वस्तु इस्तेमाल में नहीं आती तो हम उसको फेंक देते हैं। क्या आपको पता है जिन वस्तुओं को हम बेकार समझ कर फेंक देते हैं उनका इस्तेमाल कर नए उत्पाद बनाये जा सकते हैं और यही नहीं अपने पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है। आइये जानते हैं ऐसी ही एक पहल के बारे में –

चरखे पर सूत से धागा बनते हुए तो बहुत लोगों ने देखा होगा, लेकिन क्या आपने चरखे पर प्लास्टिक को रोल होते हुए और इससे ‘फैब्रिक’ बनते हुए देखा है? शायद नहीं! लेकिन, यह कमाल का इनोवेशन किया है पुणे के एक संगठन ने, जो न सिर्फ प्लास्टिक से ‘फैब्रिक’ बना रहा है बल्कि इस ‘फैब्रिक’ से तरह-तरह के उत्पाद भी बना रहा है। इस संगठन का नाम है- इकोकारी, जिसे शुरू किया है 41 वर्षीय नंदन भट ने। इसके जरिए, नंदन न सिर्फ ‘प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट’ पर काम कर रहे हैं बल्कि बहुत से लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। 

मूल रूप से कश्मीर से संबंध रखने वाले नंदन भट, पिछले कई सालों से अपने परिवार के साथ पुणे में रह रहे हैं। नंदन बताते हैं कि वह अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद, 2003 में एमबीए करने के लिए पुणे आये थे। उन्हें यह शहर हर तरह से पसंद आया और उन्होंने यहीं पर बसने का फैसला किया। एमबीए की डिग्री के बाद, नंदन ने कई सालों तक टाटा टेलिकॉम, बिग बाजार और सोनी इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों के साथ अच्छे पदों पर काम किया। वह कहते हैं, “मुझे ट्रैकिंग करना बहुत पसंद है। लेकिन पिछले कुछ सालों में, मैंने नोटिस करना शुरू किया कि ट्रैकिंग वाली जगहें प्लास्टिक के कचरे से भरती जा रही हैं। मुझे लगा कि इस दिशा में काम करने की बहुत जरूरत है।”

साल 2013 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी’ (CSR) के क्षेत्र में काम शुरू किया। इस दौरान, उन्हें ऐसे संगठनों के साथ जुड़ने का मौका मिला, जहां प्लास्टिक के प्रबंधन पर काम हो रहा था। वहीं से उन्हें यह आईडिया आया कि वह प्लास्टिक की थैलियों को ‘अपसायकल’ करके, उनसे अलग-अलग उत्पाद बना सकते हैं। नंदन कहते हैं, “2015 में, मैंने इसी क्षेत्र में अपनी एक साथी के साथ संगठन शुरू किया था। लगभग चार सालों तक हमने इसे चलाया, लेकिन कुछ कारणों से हमें यह संगठन बंद करना पड़ा। लेकिन, मैंने हार नहीं मानी और अपने इस कॉन्सेप्ट को अकेले ही आगे बढ़ाने पर विचार किया। इसलिए मेरे पास जो भी बचत थी, मैंने उसी से ही नयी शुरुआत की।” 

नंदन कहते हैं कि वह हर दिन 1200 से 1500 प्लास्टिक की थैलियों को, लैंडफिल या पानी के स्त्रोत और कचरे के ढेर तक पहुँचने से रोक रहे हैं। अब तक, वह 15 लाख से ज्यादा प्लास्टिक की थैलियों को अपसायकल कर चुके हैं। साथ ही, उनके इस काम से 22 लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने बताया, “हमारी कोशिश और भी लोगों को अपने साथ जोड़ने की है। लेकिन देशभर में फ़िलहाल कोरोना की जो स्थिति है, उसे देखते हुए हम इस योजना पर काम नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, इस साल हमारी कोशिश है कि हम अपने कारीगरों की संख्या 50 तक करें।”

दिल्ली से उनकी एक ग्राहक, आकांक्षा रैना कहती हैं, “एक स्वस्थ वातावरण की दिशा में, इकोकारी एक बहुत ही अनोखी और अच्छी पहल है। साथ ही, इससे ग्रामीण लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। उनके सभी उत्पाद बहुत ही खूबसूरत और उपयोगी हैं।” 

मुंबई से उनकी एक ग्राहक, संध्या नायर कहती हैं कि इकोकारी से चीजें खरीदकर, वह पर्यावरण के लिए थोड़ा ही सही, लेकिन कुछ तो कर पा रही हैं। भारत के अलावा, दूसरे देशों से भी उन्हें ऑर्डर मिलते हैं। नंदन कहते हैं कि अब तक वह लगभग छह हजार ग्राहकों से जुड़ने में कामयाब रहे हैं और प्रतिमाह लगभग चार लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। 

वह कहते हैं, “हमारा उद्देश्य अपनी इस पहल को और बड़े स्तर पर लेकर जाने का है। फिलहाल, उम्मीद यही है कि हालात बेहतर हों और लोग सामान्य जीवन जी सकें। इसके साथ ही, कोविड-19 महामारी के कारण सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे- मास्क, पीपीई किट आदि का इस्तेमाल बढ़ गया है। खरीदारी करते समय भी लोग पॉलिथीन ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सही नहीं है। अगर आप मास्क या पीपीई किट इस्तेमाल कर रहे हैं, तो इनका डिस्पोजल सही ढंग से करें। इसी तरह, सिंगल यूज पॉलिथीन का उपयोग कम से कम करने की कोशिश करें। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया, आपका एक कदम भी लाभकारी साबित हो सकता है।” 

हर किसी को अपने देश के लोकल व्यवसायों से, कुछ न कुछ सामान खरीदना चाहिए। इससे स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को मदद मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था में आप अपना योगदान दे पाएंगे। अगर आप भी कुछ नया और कुछ अलग व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं तो ये पहल भी आपके लिए कारगर साबित हो सकती है।