बुजुर्गों की खुशियाँ और सम्मान वापस दिलाती ये संस्थाएं  

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बुजुर्गों की खुशियाँ और सम्मान वापस दिलाती ये संस्थाएं  
09 Apr 2022
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इस लेख को लिखते हुए हुए मुझे खुशी से ज्यादा दुःख हो रहा है, दुःख इस बात का कि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए थी। यह  एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है हमारे समाज की संवेदनशीलता पर, एक बदनुमा दाग की तरह है हमारे माथे पर। लेकिन हम सच्चाई से मुँह नहीं मोड़ सकते और इसे स्वीकार करते हुए हमें आगे बढ़ाना होगा और अपने बुजुर्गों  को एक नारकीय जीवन से बचाने के लिए इन संस्थाओं को धन्यवाद देना होगा क्योंकि यह संस्थाएं/प्लेटफॉर्म्स  उन जिम्मेदारिओं का निर्वाहन कर रही हैं जो हमारी हैं और जिनसे हम भाग रहे है।

#RespectForTheElderly #TodaysMissingEssence

जीवन में कुछ चीजे कभी नहीं बदलती है। कुदरत का निज़ाम सब पर लागू होता है.जैसे जीवन एक सत्य है, मृत्यु भी सत्य है और इस जन्म और मृत्यु के बीच जो कुछ घटित होता है वो ही हमारा जीवन है और इसके भी कई चरण है, बचपन, शैशवकाल, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और अंत में वृद्धावस्था। जीवन के शुरुआती समय, बचपन को लोग हमेशा सबसे सुखद मानते है फिर युवावस्था में उत्साह से भर कुछ कर दिखाने का सपना संजोते है, और फिर  प्रौढ़वस्था में स्थयित्व, परिवार बच्चों का भविष्य और अपने बुढ़ापे के लिए फिक्रमंद होना आम बात है। ये सबके जीवन का हिस्सा है। पर जीवन का अंतिम पड़ाव यानी, वृद्धवस्था इंसान के जीवन का सबसे ज्यादा संवेदनशील हिस्सा है, जहाँ अक्सर बहुत असमंजस की स्थित होती है। आपने अपने जीवन की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया, पैसा कमाया, बच्चों को भी अपने पैरों पर खड़ा किया, उनसे बहुत सी उम्मीदें लगाईं पर फिर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती की ये सब आपके बुढ़ापे में आपके काम आएगा। यह जिंदगी का ऐसा इन्वेस्टमेंट प्लान है जिसका रिटर्न आपको कब मिलेगा, कितना मिलेगा, किस रूप में मिलेगा या मिलेगा ही नहीं कुछ तय नहीं किया जा सकता। जिन्हे आपने उंगली पकड़ कर चलना सिखाया वो आपका हाथ, आपकी जिंदगी के सबसे नाज़ुक समय पर नहीं छोड़ देंगे इसकी कोई गारंटी नहीं। जब लोग बूढ़े हो जाते हैं, तो उन्हें अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि हर छोटे से छोटे काम को खुद करना मुश्किल हो जाता है। वृद्धावस्था में आने पर लोग अक्सर अत्यधिक मूडी हो जाते हैं इसलिए उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है जो उनकी देखभाल कर सके और समझ सके कि वे क्या चाहते हैं। वो कहते हैं ना बच्चे और बूढ़े एक समान होते है।  

संयुक्त परिवार प्रणाली joint family system के पतन या लगभग समाप्त होने के साथ परिदृश्य धीरे-धीरे बदल गया, जिसे एकल परिवार nuclear family की व्यवस्था ने रीप्लेस कर दिया। अगर पिछले 50 साल का विश्लेषण करें तो इस परिवर्तन से समाज पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चलेगा। इस परिवर्तन के लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो न केवल पूरे परिवार की व्यवस्था को दर्शाता है बल्कि बुजुर्गों के जीवन पद्धति lifestyle of the elderly को भी दर्शाता है, जो आंशिक रूप से या पूरी तरह से आश्रित हो गए हैं । 

प्रमुख कारण परिवारों का विघटन था, इनके मुख्य कारकों में शिक्षा, नौकरी, करियर में वृद्धि, शादी, सुविधाओं और बेहतर जीवन शैली के लिए होड़ थी। युवा पीढ़ी को घर से बाहर निकलने और नए वातावरण में खुद को समायोजित करने और जीवन के नए तरीकों को अपनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई, लेकिन बुजुर्ग आबादी ने बदलाव को एक कठिनाई के रूप में पाया। उनके लिए, संलग्न भावनाओं, सुख-सुविधाओं और संपत्ति के साथ अपने स्वयं के स्थानों से दूर जाना, और  शहरों में नए वातावरण में खुद को एडजस्ट करना कठिन था। लेकिन उन्हें अपने बच्चों और अपनी सुरक्षा के लिए यह त्याग और समझौता करना पड़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में  भी बुजुर्गों को अकेलेपन और अभावों से गुजरना पड़ता है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों से युवा अक्सर रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर शहरों में आ जाते है, ऐसे में  बुजुर्गों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बुजुर्ग अकेले या अपने जीवनसाथी के साथ रहते है, एक ऐसा समय आता है जब उन्हें स्वास्थ्य के लिए शारीरिक देखभाल की अधिक आवश्यकता होती है, पर उस समय वो अपने बच्चों से दूर हो जाते हैं। भारत में कुछ दशक पहले बुजुर्गों के लिए वैकल्पिक साधनों का मुद्दा बहुत प्रासंगिक नहीं था क्योंकि तब तक उनकी देखभाल उनके परिवारों द्वारा की जाती थी। 

इंडिया एजिंग रिपोर्ट India Ageing Report - 2017 के अनुसार  प्रजनन क्षमता में कमी के साथ और वृद्धावस्था में जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, के कारण  पारंपरिक रहने की व्यवस्था में बदलाव आया है। अनौपचारिक सामाजिक मूल्यों में गिरावट decline in social values के साथ बुजुर्गों का सपोर्ट सिस्टम प्रभावित हुआ है, अकेले रहने वाले वृद्ध लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ असुरक्षित होने की संभावना बड़ी है, खासकर बुजुर्ग महिलाओं के मामले में। अकेले रहने वाले वृद्ध व्यक्तियों का अनुपात जीवनसाथी (एकल जीवन) समय के साथ बढ़ा है 1992-93 में 2.4 प्रतिशत से 2004-05 में 5 प्रतिशत हो गया। शारीरिक  स्वास्थ्य कई आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक कारकों पर निर्भर करता है । 

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक बुजुर्ग  व्यक्ति की सबसे अच्छी देखभाल और ध्यान उनके अपने परिवार के सदस्यों द्वारा दिया जा सकता है, हालांकि जैसे-जैसे समाज कई परिवर्तन के दौर से गुजरा है, बहुत सी चीजे ,मूल्य बदल गए  हैं और ऐसे समय में  हमारे समाज में बुजुर्गों के लिए देखभाल करने वाली संस्थाओं और सरकारी प्रयासों को बढ़ाने की बहुत अधिक जरूरत है। आज की युवा पीढ़ी अपने करियर की ओर भाग रही है, वे कभी-कभी परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की आवश्यक जरूरतों का ख्याल रखना भूल जाते हैं और ऐसा अक्सर होता है, हम आये दिन अपने आस-पास, समाज में ऐसे उपेक्षित बुजुर्गों को देख सकते है, ये समाज की एक हक़ीक़त है और इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। वर्तमान में भारत में अनुमानित 138 मिलियन बुजुर्ग हैं।

हम जिस आदर्श समाज की परिकल्पना करते है उसमे वृद्धाश्रमों का होना जरूर हमारे समाज की व्यवस्था और मूल्यों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है, की आखिर इन संस्थाओं की जरूरत है ही क्यों? पर ये सच है की अगर ऐसी संस्थायें ना हों तो स्थिति बद से बदतर हो सकती है। 

जब बड़े लोगों की सावधानीपूर्वक, संवेदनशील  देखभाल की जाती है, तो यह समाज में एक अच्छा संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। वृद्धाश्रमों और देखभाल इकाइयों old age homes and care units ने दुनिया भर के लोगों को वृद्ध लोगों की आवश्यकता के लिए ज़रूरी  सहायता प्रदान करने और उनकी जिंदगी को आसान बनने में मदद की है और वह भी बिना किसी रुकावट और देरी के। जब कोई ऐसी जगह होती है जहां वृद्ध लोग मिल सकते हैं और उसी आयु वर्ग के लोगों के साथ मेलजोल कर सकते हैं, तो वे खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं। इसलिए यदि आप अपनी नौकरी या किसी अन्य कारण से अपने परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की देखभाल करने में असमर्थ हैं, और आप कभी-कभी आत्मग्लानि से भर उठते है, हालांकि वो आपकी जिम्मेदारी है, उन्होंने तो अपनी जिम्मेदारी निभाई और आपको लायक बनाया , पर अगर आप अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकते, तो उनकी जिंदगी को नर्क बनाने से बेहतर है के आप उन्हें, ऐसी जगह दे जहाँ वो अपना बुढ़ापा सुकून से काट सकें। 

ऐसी कई विशेष संस्थाए हैं जो आपके बुजुर्गों की ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखने में मदद कर सकती हैं और आप उन पर भरोसा कर सकते हैं।

ऐसी ही कुछ संस्थाओं के बारे में आज आपको इस लेख में बताने के हम कोशिश कर रहे है। हो सकता है ये ब्लॉग हमारे अपने बुजुर्गों को उनकी जिंदगी को आसान बनाने के जरिया बन सके। 

इमोहा एल्डर केयर Imoha Elder Care  -

जनवरी 2019 में स्थापित यह प्लेटफॉर्म , भारत में बुजुर्गों के लिए ऐसा मंच  है, जो एक प्रौद्योगिकी संचालित समुदाय-आधारित व्यापक मंच है जो बुजुर्गों को शालीनता और संवेदनशीलता के साथ  बढ़ती उम्र में सामर्थ्यवान बनाता है। यह प्लेटफॉर्म बुजुर्गों के लिए अपने घरों में ही सुरक्षित रहने,अपने आप को  व्यस्त रखने एवं उनके एकाकी जीवन से निकालकर एक स्वस्थ्य और मनोरंजक जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। इन सेवाओं का लाभ भारत के सबसे व्यापक एल्डर ऐप पर लिया जा सकता है, जिसे विशेष रूप से बुजुर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यह तकनीकी समाधान बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवा, सुविधा, जुड़ाव, सुरक्षा और आपात स्थिति की श्रेणियों के तहत अपनी विभिन्न सेवाओं से लाभान्वित करता है।

इसकी मुख्य  सेवाओं में शामिल हैं:

-चैनल भागीदारों और सत्यापित सामुदायिक स्वयंसेवकों के माध्यम से दैनिक आवश्यक दवाओं, किराने का सामान आदि की डिलीवरी करना। Delivery of essential medicines, groceries etc.

- स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श के लिए डॉक्टरों के एक पैनल की ऑनलाइन सुविधा, आसपास के अस्पतालों और एम्बुलेंस प्रदाताओं के साथ 24/7 आपातकालीन समन्वय प्रदान करना। 

- यहाँ तक की बुजुर्गों की तमाम सुविधाओं को आसानी से प्राप्त करने के लिए ये उन्हें विभिन्न तकनीकी ज्ञान और स्मार्टफ़ोन का प्रयोग करना Various technical knowledge and use of smartphones भी सिखाते है। जिससे उनकी निर्भरता कम हो सके।

-भावनात्मक समर्थन और कल्याण के लिए प्रामाणिक बुजुर्ग विशिष्ट जानकारी Authentic Elderly Specific Information  और ऑनलाइन इंटरैक्टिव कार्यक्रमों का स्रोत बनना।

इन सेवाओं को इसके 24x7 हेल्पलाइन नंबर 1800-203-5135 के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है और इसे इसके ऐप और वेबसाइट के माध्यम से भी एक्सेस किया जा सकता है। कंपनी का मिशन बुजुर्गों से प्यार करने और उनकी देखभाल करने वालों का दुनिया का सबसे व्यापक डिजिटल समुदाय बनना है। श्री सौम्यजीत रॉय, Mr. Soumyajit Roy जो की इमोहा एल्डर केयर के सह-संस्थापक और सीईओ, हैं  लगभग  एक दशक से अधिक समय से विशेष रूप से एल्डरकेयर के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

सौम्यजीत पहले भी इंडस्ट्री एडवोकेसी में शामिल थे। वह सीनियर केयर पर सीआईआई टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष और एसोसिएशन ऑफ सीनियर लिविंग इंडिया Association of Senior Living India के संस्थापक बोर्ड सदस्य थे। इसके अलावा, वह उद्यमी बनने से पहले पुरस्कार विजेता अंतरा सीनियर लिविंग, मैक्स इंडिया समूह Antara Senior Living, Max India Group के एक हिस्से  के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। गुरुग्राम के पास, हरियाणा  से संचालित यह समूह  सपने देखने वालों का एक समूह हैं जो मानते हैं कि हमारे वरिष्ठजन दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। इस समूह में वरिष्ठ देखभाल विशेषज्ञ भी हैं जिनके पास वैश्विक स्तर पर 50+ वर्षों का संयुक्त अनुभव है। 

सीनियर्स फर्स्ट  Seniors First-

सीनियर्स फर्स्ट, भारत में सीनियर केयर सेवाओं को प्रदान करने वाला एक अग्रणी मंच है जिसे , डॉ ममता मित्तल Dr. Mamta Mittal द्वारा लॉन्च किया गया। यह  एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस online marketplace है जो  बुजुर्गों, और देखभाल करने वालों को भी को उत्कृष्ट और सुलभ संसाधन प्रदान करता है जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सके। सीनियर्स फर्स्ट विभिन्न  सीनियर-केयर टूल्स, सेवाओं और उत्पादों के लिए एक क्लिक पर एक्सेस one click access प्रदान करता है। सीनियर्स फर्स्ट, की शुरुआत के पीछे भी एक वास्तविक मर्म है जिसका अनुभव स्वयं डॉ ममता मित्तल ने कोविड -19 के प्रकोप और उसके बाद के लॉकडाउन के दौरान किया। इस समय ने  समाज के अन्य आयु समूहों की तुलना में बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित किया था। इसने तमाम परेशानियों, आये दिन होने वाली दर्दनाक मौतों  के अलावा, अचानक उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या को बुरी तरह बाधित किया, और उन तक जरूरी देखभाल, और बुनियादी चीज़ों तक पहुंच भी बंद हो गई। अकेले रहने वाले बुजुर्गों elderly living alone के लिए तो परिस्थितयां और भी भयावह और कष्टकारी थी। अन्य अभावों के साथ बुनियादी जरूरतों के लिए वो तरस गए। टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों को अपनाने में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा और अलगाव के कारण अकेलापन, चिंता और अवसाद loneliness, anxiety and depression से ग्रसित हो गए। स्वयं डॉ ममता मित्तल के माता-पिता उनमें से एक थे, जो लगभग पूरे आठ महीने तक घर के अंदर कैद रहे। उनके  माता-पिता और आसपास के क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग, देखभाल सेवाओं तक किसी भी जानकारी या पहुंच से अनभिज्ञ थे, इसलिए डॉ मित्तल ने उनके लिए आवश्यक सेवाओं की एक लिस्ट बनाना  शुरू कर दिया और  इसके बाद महसूस किया कि हर एक सेवा के लिए उन्हें  एक अलग ऐप डाउनलोड करने की आवश्यकता थी, और प्रत्येक के काम करने का अलग तरीका था । इसको व्यावहारिक रूप से मैनेज करना असंभव था। चूंकि डॉ मित्तल स्वयं एक डॉक्टर थीं वो पहले से ही बुजुर्गों  के सामने आने वाली समस्याओं से अच्छी तरह अवगत थीं।

यहीं से उनके दिमाग में एक ऑल इन वन यूजर-फ्रेंडली एल्डर केयर ऐप सीनियर्स फर्स्ट  बनाने का विचार आया। एक ऐसा मंच जहां सभी सेवाएं सत्यापित सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाएँ ,और उनके दरवाजे पर एक बटन के एक क्लिक पर उपलब्ध हों। एक ही ऐप में मेडिसिन रिमाइंडर, केयर, कम्युनिटी और एंगेजमेंट टूल Medicine reminder, care, community and engagement tool भी उपलब्ध हों । इसके लिए हमारे बुजुर्गों  को केवल एक ऐप ही का उपयोग करना सीखना होगा और जब भी आवश्यकता हो, एक क्लिक में सहायता प्राप्त करनी होगी। तो इस तरह हुआ सीनियर्स फर्स्ट का जन्म हो गया। आज सीनियर्स फर्स्ट, वरिष्ठ समुदाय और उनके सेवा प्रदाताओं को करीब लाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहा है। यह बुजुर्गों को यथासंभव लंबे समय तक उनके घर के आराम में रहने के लिए सक्षम कर रहे हैं,  यह उन सभी बुनियादी जरूरतों  की पूर्ति में उनकी सहायता कर रहा है जिनकी  उन्हें आवश्यकता हो सकती है।

सीनियर्स फर्स्ट की प्राथमिक सेवाओं में शामिल है -: 

-चिकित्सा सेवाएं - आपातकालीन देखभाल, एम्बुलेंस सेवाएं और अस्पताल में भर्ती करवाना , घरेलू देखभाल समाधान; होम अटेंडेंट Medical Services - Emergency Care, Ambulance Services and Hospitalization, Home Care Solutions; home attendant, नर्स, डॉक्टर, चिकित्सा उपकरण (किराया या बिक्री), दवाओं की होम डिलीवरी, रक्त परीक्षण (होम कलेक्शन)

-गैर-चिकित्सा सेवाएं - गृह रखरखाव, गृह सुरक्षा, कानूनी और वित्त, दैनिक सहायता; किराना, कार रखरखाव, कूरियर और उपहार, कैब, ज्योतिष,सौंदर्य और स्पा, अंतिम संस्कार सेवाएं, आदि।

-वरिष्ठ देखभाल से सम्बंधित विभिन्न  उत्पाद और उपकरण

-मनोरंजन और ऑनलाइन कार्यक्रम, वेबिनार और शैक्षिक कार्यक्रम

 इस सभी अलावा यह  मुफ्त लाइव कार्यक्रम, मनोरंजन और आपसी जुड़ाव की गतिविधियों का आयोजन भी करते हैं ताकि हमारे सम्मानित बुजुर्ग अपने जीवन को पूरी तरह से जी सकें। यह ऑनलाइन समुदाय निर्माण और पारस्परिक सहायता समूहों के गठन को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। 

एपोच Epoch -

बुजुर्गों  के जीवन को बेहतर बनाने के दिशा में अग्रसर एपोच  को 2012 में स्थापित किया गया।  यह , एक होलिस्टिक एप्रोच के साथ व्यक्ति केंद्रित देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध प्लेटफार्म है जो  बुजुर्गों को जीवन की उच्चतम गुणवत्ता highest quality of life  प्राप्त करने में सक्षम बनाता है एपोच को भारत में कार्य करने का 10 वर्षों का अनुभव है, और यह प्रामाणिक वैश्विक सर्वोत्तम मानदंडों  का पालन करता है। एपोच असिस्टेड लिविंग और डिमेंशिया केयर Assisted Living and Dementia Care में विशेषज्ञता प्राप्त है। 

एपोच एल्डर केयर की स्थापना भारत में बुजुर्गों की देखभाल और सेवाओं की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए एक घरेलू देखभाल प्रदाता के रूप में की गई थी। कबीर चड्ढा और नेहा सिन्हा Kabir Chadha and Neha Sinha द्वारा संचालित एपोच एल्डर केयर ने बुजुर्गों के देखभाल सम्बंधित जरूरतों पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए कम्पैनियन केयर , मनोवैज्ञानिक सहायता और गृह प्रबंधन Companion Care, Psychological Support and Home Management पर विशेष ध्यान दिया, एपोच ने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और पुणे में 400 से अधिक बुजुर्गों को सेवाएं प्रदान कीं। अपने अनुभवों से सीखते हुए समय के साथ, इनकी समर्पित टीम ने महसूस किया कि सिर्फ घरेलू देखभाल प्रदान करना पर्याप्त नहीं था। कई बुजुर्गों  को लगातार  देखभाल और पर्यवेक्षण की आवश्यकता थी, और इनमे से कइयों के पास कोई पारिवारिक सहयोग family support भी नहीं था और उनका जीवन बहुत कष्टदाई था।  इस तरह 2014 में, इन्होने अपने मॉडल को बदलने और आवासीय देखभाल residential care  को भी अपनी सर्विसेज में शामिल करने का फैसला किया और इस तरह एपोच असिस्टेड लिविंग आश्रय हीन बुजुर्गों  shelterless elderly के जीवन की एक नयी उम्मीद और आशा की किरण बन के आया। नेहा सिन्हा ने दिसंबर 2014 में एपोच के सीईओ के रूप में पदभार संभाला। बहुत कम समय में, एपोच बुजुर्ग और डिमेंशिया देखभाल दोनों में एक अग्रणी संस्थान  बन गया है यह एक ऐसा नाम है  जिसपर तमाम  परिवारों द्वारा अपने प्रियजन की देखभाल के लिए भरोसा किया जाता है। किसी भी बुजुर्ग मरीज के लिए, ऑपरेशन के बाद रिकवरी और पुनर्वास सबसे  महत्वपूर्ण होता है - इसमें  हिप रिप्लेसमेंट, घुटने की सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, मोतियाबिंद Hip Replacement, Knee Surgery, Cardiac Surgery, Cataract या कोई अन्य सर्जरी  भी हो सकती है। एपोच एल्डर केयर घर जैसे वातावरण में ऑपरेशन के बाद की देखभाल के लिए एक मजबूत राहत प्रबंधन प्रणाली प्रदान करता है, ताकि बुजुर्ग सामान्य स्थिति में लौट सकें।

एपोच एल्डर केयर मानता है  कि हमारे बड़ों की देखभाल करना एक नैतिक दायित्व है,और यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बड़ों की जिम्मेदारी से देखभाल करें, उनके साथ सम्मान से पेश आएं और उन्हें उच्चतम स्तर की देखभाल प्रदान करें। एपोच एल्डर केयर वरिष्ठ नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले घर प्रदान करता है। एपोच असिस्टेड लिविंग होम समग्र, व्यक्ति केंद्रित देखभाल प्रदान करते हैं जो बुजुर्गों को जीवन की उच्चतम गुणवत्ता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। 

एपोच एल्डर केयर के प्राथमिक सेवाएं निम्न हैं -

रिकवरी और पुनर्वास देखभाल- Recovery & Rehabilitation Care-

एपोच एल्डर केयर एक असिस्टेड लिविंग होम है। यह कोई नर्सिंग होम या धर्मशाला नहीं है। यह किसी भी बुजुर्ग के लिए देखभाल और सहायता प्रदान करने वाली सेवाएं प्रदान करता है जो बंधनों से मुक्त होना चाहते हैं लेकिन उन्हें रोज़मर्रा की गतिविधियों में कुछ सहायता की आवश्यकता होती है। इन घरों में  प्रत्येक में लगभग 12-14 बुजुर्ग रहते हैं और इन्हे इस तरह से सुसज्जित और डिज़ाइन किया गया है जो उन्हें घर जैसा अहसास दे सके। एपोच एल्डर केयर एक असिस्टेड लिविंग होम है इस टीम में कुशल, अनुभवी और पंजीकृत नर्स शामिल हैं, जो नियमित रूप बुजुर्गों के स्वस्थ्य सम्बन्धी जरूरतों का ख्याल रखती  हैं। यह नर्सिंग टीम एपोच होम्स में 24x7 मौजूद है और इसलिए किसी भी आपात स्थिति या विशेष नर्सिंग जरूरतों की देखभाल के लिए लगातार उपलब्ध है जो दिन या रात कभी भी उत्पन्न हो सकती है।

डेमेंटिया केयर Dementia Care-

एपोच एल्डर केयर डिमेंशिया देखभाल में  विशेषज्ञ है। यह  किसी भी प्रकार के और सभी चरणों में मनोभ्रंश Dementia  से पीड़ित बुजुर्गों के लिए एक विशेष  देखभाल कार्यक्रम प्रदान करता है । इस देखभाल में बुजुर्गों  की भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक भलाई के पहलुओं को ध्यान में रख कर एक सधी हुई रणनीति के तहत कार्य होते हैं । 

इसके अलावा इनकी अन्य प्रमुख सेवाएं निम्न है -

-मनोभ्रंश देखभाल - टेली परामर्श Dementia Care 

-असिस्टेड लिविंग Assisted Living -

-किसी भी बुजुर्ग के लिए उनकी दैनिक जीवन की गतिविधियों जैसे स्नान, ड्रेसिंग, परिवहन और उनकी दवा के नियमों का पालन करने में सहायता आदि। 

हेल्पएज इंडिया HelpAge India-

हेल्पएज इंडिया की  स्थापना  1978 में हेल्पएज इंटरनेशनल (यूके) HelpAge International (UK)  के संस्थापक सेसिल जैक्सन कोल Cecil jackson Cole ने की जो इसके पहले अध्यक्ष थे । इस समय के आसपास हेल्पएज इंडिया  में दो अन्य लोगों  को  शामिल किया गया - जॉन एफ। पियर्सन और सैमसन डैनियल John F. Pearson and Samson Daniel 

मार्च 1974 में, जब कोल ने भारत का दौरा किया, सैमसन डैनियल नामक एक व्यक्ति  ने दिल्ली में एक सदस्य संगठन स्थापित करने के लिए  इनसे वित्तीय मदद के लिए उनसे संपर्क किया। कोल एक  दूरदर्शी व्यक्ति थे  उन्होंने  डैनियल को धन जुटाने के लिए प्रशिक्षित करने की पेशकश की। लंदन में तीन महीने के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के बाद, श्री डेनियल और उनकी पत्नी भारत लौट आए और दिल्ली में स्कूली बच्चों के साथ एक प्रायोजित कार्यक्रम  का आयोजन किया। यह इतना सफल रहा कि 1975 में हेल्पएज इंटरनेशनल ने बॉम्बे, मद्रास और कलकत्ता को कवर करने के लिए बहुत सारे कर्मचारियों की भर्ती की।

हेल्पएज इंडिया भारत में एक गैर-लाभकारी संगठन है।  संगठन 'वंचित वृद्ध व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करता है। हेल्पएज एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहां हमारे समाज के बुजुर्गों को सक्रिय, स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन का अधिकार हो। यह संगठन हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान  बुजुर्गों  को राहत राहत पहुंचाने के व्यापक प्रयासों और जनसंख्या के मुद्दों में  उत्कृष्ट योगदान देने  के लिए 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार 2020' 'United Nations Population Award 2020' से सम्मानित होने वाला पहला और एकमात्र भारतीय संगठन बन गया है। भारत में वृद्ध व्यक्तियों के अधिकारों की के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले अग्रणी संगठनों में इसका नाम शुमार है ।

 हेल्पएज इंडिया भारतीय वृद्ध समुदाय की  चिंताओं को समझता है और उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन के उनके अधिकारों को सुनिश्चित करता है और यह बुजुर्गों के अनुकूल नीतियों और उनके कार्यान्वयन की वकालत करता है। यह भारत भर में 26 राज्य कार्यालयों के माध्यम से काम करता है, कई कार्यक्रम चलाता है। संगठन के कार्यक्रम हेल्थकेयर (मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट, मोतियाबिंद सर्जरी), एजकेयर (हेल्पलाइन, सीनियर सिटीजन केयर होम और डे केयर सेंटर, फिजियोथेरेपी), आजीविका (वृद्ध-स्व-सहायता समूह; सरकार के साथ जुड़ाव) के क्षेत्रों में सीधे हस्तक्षेप पर केंद्रित हैं।  

 हेल्पएज इंडिया बुजुर्गों के लिए निम्न सर्विसेज प्रदान करता है -

मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट:Mobile Healthcare Unit:

यह सेवा बुजुर्गों और उनके लिए स्थायी स्वास्थ्य देखभाल का समुदाय कार्यक्रम है मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट (एमएचयू) जरूरतमंद बुजुर्गों की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, के लिए प्रतिबद्ध है यह यूनिट समुदाय को भी  शिक्षित एवं जागरूक करता है । प्रत्येक एमएचयू में एक डॉक्टर,फार्मासिस्ट और एक सामाजिक कार्यकर्ता है। 22 राज्यों में  170 से अधिक मोबाइल हेल्थकेयर इकाइयां हैं। 

दृष्टि की बहाली:Restoration of Vision: भारत  अधिकतर बुजुर्ग  मोतियाबिंद के शिकार हैं। उनका अंधकारमय जीवन उनकी परेशानियों को और अधिक बढ़ा देता है  हेल्पएज इंडिया द्वारा प्रामाणिक  नेत्र चिकित्सालयों का चयन किया जाता है और ऐसे बुजर्गों को चिन्हित कर  उनकी सर्जरी कराता है सभी सर्जरी केवल स्थाई अस्पतालों में की जाती हैं ना की अस्थायी शिविरों में। अब  तक  हेल्पएज इंडिया  9 लाख से अधिक बुजुर्गों की  जिंदगी में रोशनी ला चुका है। 

एक बुजुर्ग को सपोर्ट करे Support a Gran:

ऐसे  हजारों बेसहारा  बुजुर्ग है जिन्हें बुनियादी सुविधाएं तक मुहैया नहीं है । पिछले कुछ वर्षों में हेल्पएज इंडिया ने 30,000 से अधिक निराश्रितों को सहारा दिया और उन्हें आश्रय दिलाया है। भोजन राशन, कपड़े और बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल। जरूरतमंद बुजुर्गों को उनके दिन-प्रतिदिन के भरण-पोषण की व्यवस्था करता है  ताकि वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें।

वृद्धाश्रम Old Age Homes:

आश्रय हीन बुजुर्गों  के सर पर एक स्थाई छत की व्यवस्था करने के लिए हेल्पएज इंडिया ने पंजाब में पटियाला और गुरदासपुर, तमिलनाडु में कुड्डालोर और पश्चिम बंगाल में कोलकाता जैसे स्थानों में वृद्धों के लिए मॉडल घरों की स्थापना की है। हेल्पएज 300 वृद्धाश्रमों को सपोर्ट  करता है और भारत में वृद्धों के लिए 5 बैरियर होम भी चलाता है। इन आश्रमों में बुजुर्गों की देखभाल से सम्बंधित सभी मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है। 

आजीविका सहयोग -Livelihood Support:

आत्मसम्मान से जीने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए  हेल्पएज एल्डर-सेल्फ-हेल्प-ग्रुप्स (ईएसएचजी) के गठन के माध्यम से बुजुर्गों को अपनी स्वयं की आय सृजन के स्थायी तरीकों पर बहुत जोर देता है । इन ईएसएचजी को फिर उच्च स्तरीय सामुदायिक संस्थानों में संघटित किया जाता है ताकि वे और अधिक मजबूती प्राप्त कर सकें। हेल्पएज इंडिया के इस मॉडल को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपनाया है। हेल्पएज भारत के 16 राज्यों में 95,584 बुजुर्गों के साथ 7,415 समूहों का सहयोग करता है, जिससे बुजुर्गों को उनकी खोई हुई गरिमा फिर से हासिल करने में मदद मिलती है। और वो स्वतंत्र और आत्मनर्भर जीवन जीने की ओर उन्मुख होते हैं। 

बुजुर्गों  के लिए हेल्पलाइन Elder Helplines:

हेल्पएज भारत के 21 राज्यों की राजधानियों में जरूरतमंद बुजुर्गों को सहायता प्रदान करने के लिए एक टोल-फ्री एल्डर हेल्पलाइन चलाता है। इसके अंतर्गत  - परित्यक्त बुजुर्गों का बचाव, संकट में पड़े  बुजुर्गों की काउंसलिंग, स्वास्थ्य देखभाल, कानूनी सहायता, विभिन्न उपलब्ध सेवाओं से संबंधित जानकारी आदि। हेल्पलाइन बुजुर्गों को विभिन्न संस्थानों जैसे वृद्धाश्रम, अस्पताल, पुलिस, सरकारी और गैर- सरकारी संगठन से सम्बद्ध करने में भी मददगार होती है ।

हेल्पएज इंडिया हेल्पलाइन नंबर है -1800 -180 -1253 

इनके आलावा भी हेल्पएज इंडिया मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, कैंसर केयर आदि विभिन्न आवश्यक मुद्दों पर बुजुर्गों के जीवन को सुलभ बनाने के अपने प्रयास के साथ आगे बढ़ रहा है और अधिक से अधिक जरूरतमंद बुजुर्गो तक अपनी पहुंच बनने के लिए प्रत्नशील है।

माँ -बाप उन मधु मक्खिओं की तरह होते है जो दर-दर भटक कर, तमाम दुश्वारिओं को झेलते हुए तिनका-तिनका चुन अपने बच्चों को एक मजबूत छत्ता  रूपी घर और शहद रूपी अमृत इकठ्ठा करते है जो उनकी जिंदगी को पोषित कर हर तरह के तूफ़ान, कड़ी धूप और बारिश से उनकी न सिर्फ सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि उनके स्वस्थ समृद्ध जीवन की आधारशिला रखता है। पर जीवन के अंतिम पड़ाव पर वो खुद अपने ही घर से निकाल दिए जाते है और अपने ही शहद की एक-एक बूँद को तरस जाते है। जब तक बुजुर्ग दंपती साथ होते है तो किसी तरह एक दूसरे के सहारे जीवन काटते है पर एक के भी न रहने पर या कई बार जीते जी उन्हें दो बच्चों की बीच किसी चीज़ की तरह बाँट दिया जाता है। उस पर बच्चों की उपेक्षा और उन्हें स्टोर रूम में रखे पुराने सामान के जैसे उपयोगहीन समझने का अपमानजनक एहसास उन्हें जो आंतरिक वेदना देता है उससे उनकी जीने की इच्छा ही समाप्त हो जाती है। पर इन सब के बावजूद माँ-बाप की झोली में अपने बच्चों के लिए दुवाएँ ही होती है। माँ बाप एक नेमत हैं,भगवान् से पहले उनका स्थान है। याद रखो अपनी जड़ों से कट कर कोई भी शाख फलती फूलती नहीं है। उनकी दुआ में इतना असर है तो सोचिये अगर वो  बद्दुआ दे तो क्या होगा ?

ये संस्थाए जो काम कर रही है, ये हमारा और आपका यानि हम बच्चों का काम है। हमें शर्म और ग्लानि से चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए अगर हमारे माँ बाप हमारे होते किसी ओल्ड ऐज होम में आश्रय लें। शुक्रिया इन संस्थाओं का जो न सिर्फ उनके बुढ़ापे की लाठी बन रही हैं बल्कि उन्हें जीने और हंसने की वजह भी दे रही हैं। लिखने को बहुत है पर अब जी भर आया है ये सोच कर कि आखिर बूढा तो मैं भी होऊंगा कभी, और आप सब भी। 

“You don't stop laughing when you grow old, you grow old when you stop laughing.” - George Bernard Shaw

Tags: Seniors Firs, Joint Family System, Imoha Elder Care, Shelterless Elderly

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