हिंदी की घटती प्रासंगिकता

Share Us

1664
हिंदी की घटती प्रासंगिकता
16 Oct 2021
8 min read

Blog Post

हिंदी भाषा जो भारत की सबसे महत्वपूर्ण भाषा है जिसका उपयोग हर इंसान लगभग हर जगह करता है लेकिन लगता है सिर्फ हिंदी दिवस पर ही इसका महत्व लोगों को समझ में आता है, बाकी के दिनों में तो लोग अपने आपको अंग्रेजी बोल कर बड़ा महान समझते हैं।

हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण विषय पर आज हम इसकी प्रासंगिकता को लेकर बात करने वाले हैं। हम बात करेंगे हिंदी भाषा की जो भारत की सबसे महत्वपूर्ण भाषा है जिसका उपयोग हर इंसान लगभग हर जगह करता है लेकिन लगता है सिर्फ हिंदी दिवस पर ही इसका महत्व लोगों को समझ में आता है, बाकी के दिनों में तो लोग अपने आपको अंग्रेजी बोल कर बड़ा महान समझते हैं। 

क्यों घट रही हिंदी की प्रासंगिकता

हिंदी की प्रासंगिकता को लेकर अगर हम बात करें तो इसे लेकर अलग-अलग लोग अपने अलग-अलग विचार सामने रखेंगे कुछ लोगों को लगेगा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है और कुछ लोगों को लगेगा कि वाकई यह सच्चाई है। इसकी सच्चाई यह भी है कि कहीं ना कहीं हिंदी की प्रासंगिकता में काफी फर्क पड़ा है क्योंकि लोग आजकल हिंदी को ज्यादा महत्व नहीं दे रहे हैं। आजकल के नए दौर के ज़माने में सभी कार्य अंग्रेजी में होता है अगर कोरोना काल की बात की जाए तो आजकल सारी चीजें ऑनलाइन हो रही हैं। बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन हो रही है लेकिन यह सारी पढ़ाई इन सभी प्लेटफार्म पर तभी की जा सकती है जब आप अंग्रेजी में परिपूर्ण हों, जब इंग्लिश को इतनी तवज्जो दी जाएगी तो कहां से हिंदी का महत्व बढ़ेगा। हिंदी को अच्छी तरह बच्चों के उपयोग में नहीं लाएंगे तो किस तरह इसका उपयोग और इसकी प्रासंगिकता को बढ़ावा मिलेगा। 

युवाओं में बढ़ेगा रुझान तो बढ़ेगी प्रासंगिकता

आज के दौर के बच्चे और युवा अगर हिंदी के प्रति अपना रुझान बढ़ा लें तो शायद इसकी प्रासंगिकता पर गहरा असर पड़ेगा क्योंकि आजकल के ज़माने में यही सिखाया जाता है कि किस तरह आप अंग्रेजी बोल कर अपने आप को कहीं भी साबित कर सकते हैं क्योंकि अंग्रेजी आजकल हर जगह मुख्य भाषा हो गई है।युवाओं में हिंदी बोलने में हिचक होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर इंग्लिश बोलेंगे तो उन्हें लोग ज्यादा आत्म विश्वासी समझेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है अगर हम हिंदी को भी युवाओं में और बच्चों के दिलो-दिमाग में भरेंगे तो इसकी प्रासंगिकता को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही इस भाषा को लेकर बच्चों और युवाओं में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा जो कि कहीं ना कहीं फीका नजर आने लगा है।  

सभी से एक कड़वा प्रश्न

हम एक प्रश्न आप सभी से पूछना चाहते हैं कि सिर्फ हिंदी दिवस के दिन ही आप हिंदी को इतना महत्व क्यों देते हैं?  रोजमर्रा की ज़िन्दगी में लोगों से मिलते वक़्त, बात करते वक़्त अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग कर उसको महत्व देना और साथ ही अपने आपको इंग्लिश का मास्टर बताना कहां की समझदारी है? अगर आप हिंदी को सच में चाहते हैं, तो फिर आपको उसे दिल से अपनाना चाहिए।

 कई जगह होता है यह अनुभव

हम अपना अनुभव बता रहे हैं जैसे आजकल हम देखते हैं कि अगर कोई हिंदी बोले तो समझा जाता है कि इसकी अंग्रेजी बिल्कुल ठीक नहीं है और वही इंसान अगर अंग्रेजी में बात करे तो उसे बड़ा महत्व दिया जाता है। यहां हम अंग्रेजी की बुराई नहीं कर रहे हैं यह भी अपने आप में बहुत जरूरी है। यहां हमारी बात रखने का मत सिर्फ इतना ही है कि आप हिंदी को सिर्फ हिंदी दिवस पर न अपनाएं बल्कि रोजमर्रा की ज़िन्दगी में भी उसे अपना समझें। बड़ी-बड़ी संस्थाओं में मैंने देखा और पाया कि लोग अंग्रेजी में साक्षात्कार (इंटरव्यू) रखते हैं और और अगर इंसान इंटरव्यू में अंग्रेजी न बोले तो उसे कई जगह रिजेक्ट कर दिया जाता है। जब हमारे देश में हिंदी को इतना महत्व दिया जाता है तो फिर हर जगह इंटरव्यू में या किसी भी प्रकार की बात की जाए तो अंग्रेजी को इतना महत्व देने का क्या औचित्य है ? 

हिंदी  दिल के तार जोड़ती है

हिंदी हमेशा दिल के तार जोड़ती है, दिल से दिल को मिलाती है। इसका एक एक शब्द इंसान के दिल तक पहुंचता है तो अगर आप भी हिंदी दिवस पर सिर्फ बधाई प्रेषित करने के लिए हिंदी को महत्व दे रहे हैं, तो गलत कर रहे हैं कृपया हिंदी को इतना महत्व दें कि प्रतिदिन यह लगे कि आपकी ज़िन्दगी में हिंदी दिवस मन रहा हो। हिंदी है, तो ज़िन्दगी है, हिंदी है तो हम हैं। भारत देश तभी सर्वश्रेष्ठ है जब हिंदी हर इंसान की ज़ुबां पर हो।