Statue of Liberty कैसे बनी अमेरिका की पहचान

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Statue of Liberty कैसे बनी अमेरिका की पहचान
28 Dec 2021
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यह अनोखी प्रतिमा केवल देखने में ही अनोखी नहीं है, इसका एक असाधारण तथा रोचक इतिहास भी है। यह दो देशों के मध्य मधुर संबंध का प्रतीक है। यह पूरे ब्रह्मांड में आज़ादी तथा विश्व में लोकतांत्रिक व्यवस्था democratic system को प्रोत्साहन देने का प्रतीक है। अमेरिका में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति आखिर कैसे बनीं इस देश की शान?

Statue of Liberty इस नाम से कौन परिचित नहीं होगा। विश्व की चुनिंदा विशाल प्रतिमाओं में से एक यह प्रतिमा अपने साथ इतिहास की विशाल गाथा लिए खड़ी रहती है, जो बीते समय में तो चर्चा का विषय थी ही परन्तु वर्तमान में भी यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस प्रतिमा के आकार तथा अनोखी कलाकृति की तुलना किसी अन्य चीज़ से नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि लोग इसे देखने के लिए दूर-दूर स्थानों से आते हैं। यह अमेरिका America का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल tourist spot है, जो विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका United States of America का चेहरा माना जाता है। स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की छवि अपने आप हमारे मन में अंकित हो जाती है, जब हमारे सामने अमेरिका का नाम आता है। यह अनोखी प्रतिमा केवल देखने में ही अनोखी नहीं है, इसका एक असाधारण तथा रोचक इतिहास interesting history भी है। यह दो देशों के मध्य मधुर संबंध का प्रतीक है। यह पूरे ब्रह्मांड में आज़ादी तथा विश्व में लोकतांत्रिक व्यवस्था democratic system को प्रोत्साहन देने का प्रतीक है। अमेरिका में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति आखिर कैसे बनीं इस देश की शान?

बहुत ही कम लोगों को यह मालूम होगा कि इसका पूरा नाम लिबर्टी इनलाइटेनिंग द वर्ल्ड Liberty enlightening the world है। जिसे अमेरिका को फ्रांस France ने तोहफ़े में दिया था। इस मूर्ति में जिसकी छवि को चित्रित किया गया है, उन्हें रोमन सभ्यता Roman culture में आज़ादी की देवी goddess of freedom माना जाता है, जिसकी प्रतिमा 93 मीटर लंबाई ऊंची तथा 204 मीट्रिक टन वजनी है।

प्रतिमा में महिला अपने हाथ में जिस मशाल तथा टैबलेट को लेकर खड़ी है उस पर वह तारीख लिखा गया है, जिस दिन अमेरिका के स्वतंत्र होने की घोषणा की गई थी। शायद यही कारण है कि अमेरिका को तोहफ़े में आज़ादी की देवी की प्रतिमा को दिया गया। प्रतिमा के सबसे शीर्ष अर्थात मुकुट वाले स्थान तक पहुंचने के लिए 354 सीढ़ियां चढ़ना पड़ता है तथा इस मुकुट में कुल 25 खिड़कियां हैं, जो कि सोचने में ही कितना रोचक लगता है।

लबौलय Laboulaye फ्रांस के नागरिक थे, जिन्होंने फ्रांस France द्वारा अमेरिका को इस प्रतिमा को भेंट करने का विचार किया। ये दास-प्रथा slavery system के ख़िलाफ़ थे तथा इसके लिए उन्होंने आवाज़ भी उठाई थी, इन्हीं की देन है कि आज युनाइटेड स्टेट्स के पास इतनी कीमती धरोहर है। इसके ज़रिए इन्होंने दोनों देशों के बीच अच्छा संबंध स्थापित करने का प्रयास किया और इसमें वे सफ़ल हुए। इसके निर्माण के ख़र्च में दोनों ही देशों ने मिलकर लागत लगाई। जिस समय यह बनकर तैयार हुई थी, यह पहला सबसे लंबा ढ़ांचा था, जो लोहे से बनकर तैयार हुआ था।

स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी ख़ास इसलिए भी बन जाती है, क्योंकि इसका निर्माण उन्हीं कारीगरों ने किया था, जिन्होंने की फ्रांस की शान कहे जाने वाले आइफ़िल टॉवर Eiffel tower को बनाया था। हालांकि स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का रंग दिन-प्रतिदिन बदलता जा रहा है, क्योंकि यह जिन तत्वों से बनी है उसका रंग ऑक्सीकरण oxidation के कारण परिवर्तित हो रहा है। वर्ष 1984 में ही युनेस्को UNESCO ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट World Heritage site में शामिल कर लिया था।