एक अच्छा श्रोता कैसे बनें ?

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एक अच्छा श्रोता कैसे बनें ?
16 Dec 2021
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वक्ता एक ऐसा कलाकार होता है जिसके पास विभिन्न प्रकार के विचार होते हैं और उन्हें व्यक्त करने के तरीके भी शानदार होते हैं। बिना सुने आप ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते हैं और उसे सटीक तरह से प्रस्तुत करना भी एक कला है। जिस तरह हर कोई बोलने वाला वक्ता नहीं होता उसी तरह हर सुनने वाला अच्छा श्रोता नहीं होता। एक अच्छा वक्ता और श्रोता होना भी एक कला है।

एक अच्छा वक्ता बनने के लिए सर्वप्रथम हमें एक अच्छा श्रोता बनने की कोशिश करनी चाहिए। आज कल हम बिना सोचे बोलने की वजह से समाज में कहीं कहीं मात खा जाते हैं। हमें बोलते वक्त मन में विचार करना आवश्यक है। सामने वाले के भावनाओं की आदर करते हुए यदि किसी भी प्रकार का मत-भेद है तो उसे भी शांत भाव से सुनना चाहिए और हमेशा बिना रोष के जवाब देना चाहिए। ज़ुबान का इस्तेमाल, यह रिश्तों को बना भी सकती है और बर्बाद भी कर सकती है। हम सुनने वालों को बहुत पसंद करते हैं, उनसे हम अपने दिल में छुपे हर राज़ को बता देते हैं। आज के ज़माने में हर कोई अच्छा वक्ता बनना चाहता है लेकिन सुनना और समझाना Listen and Understan बहुत कम ही लोग चाहते है एकाग्रता से सुनकर हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और सामने वाले को परख सकते हैं उसको उसी तरह से समझ सकते हैं। अक्सर देखा गया है कि जो लोग बिना बात काटे सामने वाले की बात सुन लेते हैं वह काफी भरोसेमंद होते हैं, चलिए जानते हैं हम कैसे एक अच्छा श्रोता good listener बन सकते हैं -

यदि हम अपने विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करने से खुद पर नियंत्रित कर सकते हैं और सामने वाले की बात को ध्यान से सुन लेते है ऐसे में फिर हम एक अच्छा श्रोता बन सकते हैं। इसके लिए हमें धैर्य की काफी जरूरत होती है। आपकी बातों में हामी भरने वाले शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। और यदि आपको सामने वाली की बात अच्छी नहीं लगती या किसी प्रकार की असहमति लगती है तो आपको बीच में नहीं बोलना चाहिए। आपको बात खत्म होने का धेर्यपूर्वक इंतजार करना चाहिए उसके बाद यदि सामने वाला आपकी बात सुनने में रूचि दिखा रहे हैं तभी आप उसके सामने अपने विचार व्यक्त करें अन्यथा बात को एक अच्छे मोड़ पर खत्म करें।

सुनते समय हमें अपने बॉडी body language पर भी ध्यान देना चाहिए। यदि हम किसी की बात सुन रहे हैं तो हमारी body language भी बहुत attentive और ऊर्जावान होनी चाहिए। हम सब जब सुनते हैं तो बीच-बीच में ध्यान बातों से हट जाता है या उबासी लेने लगते हैं। इन सब के कारण वक्ता बोलते वक्त घबराने लगता है या खुद को कमतर समझने लगता है। इसलिए सुनते वक्त हमें अपने हाव-भाव पर ध्यान देना चाहिए।

अक्सर हम सामने वाले व्यक्ति के विचारों से खुद के विचार को जन्म देने लगते हैं उसकी बातों में हम अपनी कहानी सोचने लगते हैं और फिर हम सुनने से ज्यादा बोलने लगते हैं जिसके कारण हमारे इर्-गिर्द लोग हमसे बात करने से कतराते हैं। क्योकि हम सब चाहते हैं हमारी बातों को ध्यान से सुना जाए और उसे समझा भी जाये। अन्यथा हमें समाज में दरकिनार होना पड़ेगा या खिल्ली उड़ने का डर भी सताते लगता है। बोलते वक्त हमें वक्ता से आंखे मिलाकर eye contact उसकी बातों को सुनना चाहिए।

एक अच्छा श्रोता लोगों की बातों में अपने काम के मतलब को संचित कर लेते हैं और बाकी बातों को सुनने के बाद अनसुना कर देते हैं। आज कल बड़बोले लोगों को अज्ञानी माना जाता है। वहीं शांत रहने वालों को कभी-कभी rude समझा जाता है। दोनों ही गलत है, हर इंसान अलग है यदि वह शांत स्वभाव का है या कम बोलता है और उसे सुनना पसंद है तो वह एक बहुत अच्छा श्रोता होगा और साथ ही एक अच्छा वक्ता भी। क्योंकि वक्ता एक ऐसा कलाकार होता है जिसके पास विभिन्न प्रकार के विचार होते हैं और उन्हें व्यक्त करने के तरीके भी शानदार होते हैं। बिना सुने आप ज्ञान अर्जित नहीं कर सकते हैं और उसे सटीक तरह से प्रस्तुत करना भी एक कला है। जिस तरह हर कोई बोलने वाला वक्ता नहीं होता वहीँ हर सुनने वाला अच्छा श्रोता नहीं होता। एक अच्छा वक्ता और श्रोता होना भी कला है।