ईद-उल-फ़ित्र: खुशियों, उमंग और एकता का त्यौहार

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ईद-उल-फ़ित्र: खुशियों, उमंग और एकता का त्यौहार
11 Apr 2024
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ईद-उल-फ़ित्र, जिसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह पवित्र रमजान महीने के अंत में मनाया जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीने तक रोज़ा रखते हैं। 2024 में, ईद-उल-फ़ित्र 11 अप्रैल को मनाया जा रहा है।

ईद का त्यौहार खुशियों, भाईचारे और क्षमा का प्रतीक है। इस दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को गले मिलते हैं, और ईद की बधाई देते हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है।

ईद का त्यौहार केवल खुशियां मनाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह ज़कात और दान का भी समय होता है। ज़कात एक धार्मिक दायित्व है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी कमाई का एक हिस्सा ज़रूरतमंदों को दान करते हैं।

ईद का त्यौहार Eid festival हमें सिखाता है कि हमें हमेशा खुश रहना चाहिए, और दूसरों के साथ भाईचारे और क्षमा का भाव रखना चाहिए। यह त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि हमें ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, और समाज में समानता लाने का प्रयास करना चाहिए।

ईद-उल-फ़ित्र का त्यौहार हमें सिखाता है कि हमें हमेशा खुश रहना चाहिए, और दूसरों के साथ भाईचारे और क्षमा का भाव रखना चाहिए। यह त्यौहार हमें यह भी सिखाता है कि हमें ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, और समाज में समानता लाने का प्रयास करना चाहिए।

"आपको और आपके परिवार को ईद मुबारक !"

ईद-उल-फ़ित्र: खुशियों, उमंग और एकता का त्यौहार Eid-ul-Fitr: A festival of happiness, joy and unity

ईद केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी एक विशिष्ट धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
'अध्यात्म' का अर्थ है मनुष्य का खुदा से संबंधित होना है या स्वयं का स्वयं के साथ संबंधित होना इसलिए हम कह सकते हैं कि ईद मानव का खुदा से और स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। 

ईद का यह त्योहार परोपकार एवं परमार्थ की प्रेरणा का सुन्दर अवसर भी है। कहा जाता है कि खुदा तभी प्रसन्न होता है, जब उसके जरूरतमंद बंदों की खिदमत की जाए, सेवा एवं सहयोग के उपक्रम किए जाएं, इसीलिए इसे दया और सद्भावना का दिन भी कहा जाता है।

वास्तव में, ईद बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है और बिखरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ने का मकसद है।
इसके साथ ही आनंद और उल्लास के इस पर्व का उद्देश्य मानव को मानव से जोड़ना भी है।

ईद-उल-फ़ित्र के बारे में कुछ रोचक तथ्य Some interesting facts about Eid-ul-Fitr :

  • ईद-उल-फ़ित्र का त्यौहार दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोग मनाते हैं।
  • ईद का त्यौहार खुशियों, भाईचारे और क्षमा का प्रतीक है।
  • इस दिन, लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को गले मिलते हैं, और ईद की बधाई देते हैं।
  • घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, और मिठाइयों का आदान-प्रदान होता है।
  • ईद का त्यौहार ज़कात और दान का भी समय होता है।
  • ज़कात एक धार्मिक दायित्व है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी कमाई का एक हिस्सा ज़रूरतमंदों को दान करते हैं।

ईद की शुरुआत Start of Eid

अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो ईद की शुरूआत मदीना नगर से हुई थी, जब पैगंबर मोहम्मद साहब Prophet Mohammed मक्का से मदीना आए थे।
उस समय मोहम्मद साहब ने कुरान में दो पवित्र दिनों को ईद के लिए निर्धारित किया था। यही कारण है कि साल में दो बार ईद मनाने की परंपरा है।

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, ईद उल फ़ित्र की शुरूआत जंग-ए-बद्र Jang-E-Badar के बाद हुई थी।
जिसमें पैगंबर मुहम्मद साहब की अगुवाई में मुसलमानों को जीत हासिल हुई थी और इसी जीत की खुशी में लोगों ने ईद मनाई थी।

ईद का त्योहार अमीर और गरीब सभी खुशी से मना सके इसके लिए इस्लाम में इस समय ग़रीबों को ज़कात और फितरा भी दिया जाता है और साथ ही ईद के दिन लोग एक दूसरे से गले मिलकर आपसी प्यार को बढ़ाते हैं।

ईद-उल-फ़ित्र का महत्व Importance of Eid-ul-Fitr

ईद-उल-फ़ित्र के दिन लोग नमाज अदायगी करने के साथ ही खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं और फिर शुरू होता है ईद का त्योहार।
लोग नए कपड़े पहनते हैं, खुशियां बांटते हैं। एक-दूसरे के यहां जाते हैं और गले मिलते हैं, इस दिन बधाईयों के साथ उपहारों का भी आदान-प्रदान होता है।

लोगों के घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, खासतौर से मीठी सेवईंयां, जो ईद-उल-फ़ित्र की ट्रेडिशनल डिश है। हर मुस्लिम घर में आपको इस दिन मीठी खीर का स्वाद चखने को मिल जाएगा।
इस दिन एक और खास काम जो लोग करते हैं वो है ज़कात यानी दान। इस दिन अपनी कमाई का एक हिस्सा दान किया जाता है। हालांकि, लोग अपनी क्षमता के हिसाब से दान करते हैं, जिससे इस त्यौहार की एहमियत और बढ़ जाती है।

इस प्रकार, ऊंच नीच, जात-पांत के भेद और रंग की सभी सीमाएं इस अवसर पर मिट जाती हैं और सभी को समान मनाकर इसदिन खुले मन से केवल खुशियां मनाई जाती हैं।
हजरत मोहम्मद ने यह संदेश दिया है कि जो लोग साधन संपन्न होते हैं उनका कर्तव्य है कि वह निर्धनों और कमजोरों की यथासंभव सहायता करें।

यदि आपके सामने कोई कमजोर या निर्धन है जिसके पास खाने और पहनने को कुछ न हो तो सब कुछ होते हुए भी आपकी खुशी निरर्थक है।
इसलिए ईद की खुशियों में उन बेबस, लाचार और मजबूर लोगों को भी सम्मिलित करना जरूरी है, जिससे खुशियों में चार चाँद लग जाएँ। 

रमज़ान के प्रत्येक मुसलमान ईद की नमाज पढ़ने के लिए ईदगाहों में एकत्रित होते हैं और आपस में गले मिलते हैं, दान करते हैं।
एक संतुलित एवं स्वस्थ समाज निर्माण का यह एक आदर्श तरीका है। ईद का संदेश मानव कल्याण और प्रेम की भावना को बढ़ाना ही है। 

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इस्लाम के 5 सबसे पवित्र स्थल 5 holiest places in Islam

1. अल-मस्जिद अन-नबवी (पैगंबर की मस्जिद), मदीना  Al-Masjid an-Nabawī (The Prophet’s Mosque), Medina

अल-मस्जिद अन-नबवी, मदीना में स्थित है और यह इस्लाम के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह पैगंबर मोहम्मद की मस्जिद है जहां उन्होंने उनके जीवन के अंतिम वर्षों में भोजन और धर्म विवेक की उपदेश दिए थे।इस मस्जिद में कई विशालकाय मीनार और कई आकर्षक तख्त-ए-रसूल (पैगंबर की सिंहासन) हैं।

अल-मस्जिद अन-नबवी, मदीना दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक श्रद्धालु स्थल है जहां उन्हें धर्म और आध्यात्मिकता की अनुभूति मिलती है। यह मस्जिद अपनी सुंदरता, विस्तृतता और अलग-थलग विशेषताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मस्जिद में आकर्षक सजावट और मजबूत वास्तुकला की विविधता होने के साथ-साथ इसमें पैगंबर मोहम्मद के रिश्तेदार और सहाबियों के कब्रों के साथ-साथ पैगंबर के खुद के कब्र स्थान भी हैं। इसमें कुछ स्थानों पर व्हाट्सएप, ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का प्रयोग भी किया जाता है जो मस्जिद में उपलब्ध Wi-Fi की सुविधाओं के साथ सम्बंधित हैं।

2. अल-मस्जिद अल-अक्सा, जेरूसलम Al-Masjid Al-Aqṣā, Jerusalem

अल-मस्जिद अल-अक्सा जेरूसलम में स्थित है और इस्लाम के तीन सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।यह पैगंबर मोहम्मद के बाद दो वेब्रानी में आकर बनाया गया था।इस मस्जिद में बेहद आकर्षक आर्किटेक्चर, बड़े आवानों, आकाश उभार, बारह द्वार और तख्त-ए-सुलेमान होता है।

अल-मस्जिद अल-अक्सा, जेरूसलम में स्थित इस मस्जिद को जनता अल-अक्सा के नाम से भी जानती है। इस मस्जिद में दो मीनार होते हैं जिनकी ऊँचाई ८० मीटर से भी ज्यादा है। यहाँ पर मुसलमान धर्म के अनुयायी अल-बुराक के नाम से जाने जाने वाले पशु के संदेशवाहक जैसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक भी होता है। इसके अलावा यह मस्जिद मुसलमान धर्म के साथ ही यहूदी धर्म और ईसाई धर्म के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यहाँ पर पुरानी तस्वीरें और नकशे संजोए गए हैं।

3. इमाम अली, इराक Imam Ali, Iraq

इमाम अली नजफ, इराक में स्थित है और इस्लाम के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्वों में से एक है। यह स्थान इस्लामी धर्म के तीन महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है, जो कि स्वर्ग, जहन्नुम और नजफ होते हैं। यह स्थान शीया मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे इस स्थान को अपने अलगावों के लिए स्थान मानते हैं।

इमाम अली की मस्जिद यहां स्थित है और इसलिए इसे दुनिया का सबसे अधिक महत्वपूर्ण शिया स्थल माना जाता है। मस्जिद नजफ में कई लाख शिया मुसलमान हर साल यहां यात्रा करते हैं जो अपने धर्म संबंधी काम यहां देखते हैं।

इमाम अली बाकी मुस्लिम दुनिया में भी महत्वपूर्ण हैं। उन्हें सुन्नी मुस्लिम समुदाय भी सम्मान देते हैं क्योंकि वे इस्लाम के चार सहाबियों में से एक थे। इसके अलावा, उन्होंने इस्लाम के लिए बहुत से महत्वपूर्ण काम किए थे।

4. मस्जिद कुब्बत अस-सखराह, जेरूसलम Masjid Qubbat As-Sakhrah, Jerusalem

मस्जिद कुब्बत अस-सखराह, जिसे दुनिया भर में दोस्ती के लिए जाना जाता है, इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। इस मस्जिद का निर्माण 7वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। इस मस्जिद के भीतर अल-अक्सा मस्जिद होती है जो दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है।

मस्जिद कुब्बत अस-सखराह उस इलाके में स्थित है जो ईसाई धर्म के साक्ष्यों से भरा पड़ा है। इसका नाम उस चट्टान से लिया गया है जो इसके ऊपर तख्ता-ए-सुलेमान स्थित है। इस मस्जिद का आकार लगभग 15 एकड़ है और इसकी मुख्य इमारत गोल होती है जिसके ऊपर एक सुंदर गुंबद होता है। यहाँ पर एक नहीं, बल्कि दो लोगों को एक साथ नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाती है जो इस्लाम में बड़ी अहमियत रखता है। इस मस्जिद में बेहद सुंदर अरबी खत्त है जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है।

5. जेने, माली की महान मस्जिद Great Mosque of Djenne, Mali

जेने मस्जिद या द्जेने की शानदार मस्जिद अफ्रीका में स्थित है। यह दुनिया की सबसे बड़ी मिट्टी की मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण स्थानीय मिट्टी, लकड़ी और बम्बू से किया गया था। जेने मस्जिद का निर्माण जबरदस्त संरचना और जादुई नक्शे के साथ किया गया है, जिसे देखकर हर कोई अविश्वसनीय हो जाता है।

जेने मस्जिद का निर्माण 13वीं सदी में हुआ था और इसका निर्माण माली के महान राजा कोउंतो द्वारा कराया गया था। इस मस्जिद में 3 मंजिले होते हैं, जो बड़े बड़े स्तंभों और बारीक नक्काशी से सजाए गए हैं। मस्जिद की छत पर स्तंभों पर बैठे चारों ओर के सैकड़ों लोग नमाज पढ़ने आते हैं। यहाँ का अर्किटेक्चर बेहद शानदार है और इसकी नक्काशी और भवन की बुनियादी ढांचे ने मुस्लिम संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निष्कर्ष Conclusion

ईद-उल-फ़ित्र खुशियों, भाईचारे, क्षमा और दान का खूबसूरत त्यौहार है। यह पवित्र रमजान के पश्चात आता है और हमें आत्मिक सुधार तथा परोपकार की सीख देता है। इस दिन हम न केवल खुशियाँ मनाते हैं, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी प्रयास करते हैं। ईद हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची खुशी साझा करने और दूसरों की भलाई में निहित है।