कोरोना और मानसिक सेहत

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कोरोना और मानसिक सेहत
09 Nov 2021
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किसे पता था कि यह लॉकडाउन और कोरोना इतना लंबा चलने वाला है। धीरे-धीरे कोरोना ने पहली लहर और दूसरी लहर के माध्यम से लोगों के घर उजाड़ दिए। लाखों लोगों ने अपनों को खोया, देश में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी हों, पुलिसकर्मी हों या फिर कोई अन्य, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई।

Corona ने जिस तरह मार्च 2020 में भारत में दस्तक दी, किसी ने अनुमान नहीं लगाया था कि कोरोना भारत देश में इस भयावह रूप में पांव पसारेगा। जब पहली बार लॉक डाउन की शुरुआत हुई और लोगों को घर से काम करने का मौका मिला, कहीं ना कहीं लोग यह सोच रहे थे कि अच्छा मौका है, हम घर पर अपना समय भी बिता लेंगे और काम भी कर लेंगे, लेकिन किसे पता था कि यह लॉकडाउन और कोरोना इतना लंबा चलने वाला है।

धीरे-धीरे कोरोना ने पहली लहर और दूसरी लहर के माध्यम से लोगों के घर उजाड़ दिए। लाखों लोगों ने अपनों को खोया, देश में मौजूद स्वास्थ्यकर्मी हों या फिर पुलिसकर्मी या फिर कोई अन्य, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं लोग घर पर अपने काम कर रहे थे और आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच धीरे-धीरे भारत की आबादी कहीं ना कहीं विचलित होने लगी और घर पर रहना, जो शुरूआती दौर में ठीक लग रहा था, वह अब सिर दर्द बन चुका था। लोगों की मानसिक सेहत बिगड़ने लगी थी। लोग घर में रह-रह कर भी घबड़ाने लगे थे। लोगों के मन में चिंताएं बढ़ चुकी थी और लोग सोच रहे थे कि किस तरह इस कोरोना नामक जाल से निकला जाए।

कोरोना से हर वर्ग का व्यक्ति हुआ प्रताड़ित 

पहली लहर में तो कोरोना ने भयंकर कहर बरपाया, लेकिन धीरे-धीरे लोग इससे निकलने लगे और मानसिक तौर पर परेशान होते हुए भी अपने आप को संभाला। दूसरी लहर ने भी लोगों का जीना हराम कर दिया। मानसिक सेहत कोरोना की दोनों लहरों के दौरान बिगड़ती चली गई। 

लोगों को छोटी से लेकर बड़ी मानसिक सेहत से जुड़ी समस्याएं होने लगी। इसे लेकर कई लोगों ने ऑनलाइन डॉक्टरों से भी संपर्क किए और इलाज भी लिया।

मानसिक सेहत को लेकर हर नागरिक परेशान हुआ। कई लोगों ने अपने व्यवसाय खो दिए, कई लोगों ने नौकरियां खो दी, कई लोगों ने कोरोना से अपनी जान गंवा दी, कई फांसी पर लटक गए, क्योंकि वह मानसिक सेहत को लेकर जूझ रहे थे और अंत में उन्हें खुदकुशी की राह पर चलना पड़ा। सामान्य वर्ग तो छोड़िए, इस कोरोना की भयंकर महामारी ने बड़े से बड़े व्यक्ति को भी नहीं छोड़ा, मानसिक रूप से हर वर्ग का व्यक्ति प्रताड़ित हुआ।

कई शोध और आंकड़े बताते हैं…

कोरोना महामारी के चलते मानसिक सेहत को लेकर कई शोध हुए, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने इस पर गहन चिंतन किया। कई आंकड़ों में सामने आया कि चाहे घर में काम कर रहे मां-बाप हों, या फिर घर में एक छोटा सा बच्चा या फिर घर का कोई बड़ा बुजुर्ग, हर एक व्यक्ति कोरोना महामारी के चलते मानसिक सेहत से परेशान हुआ है। चाहे छोटी दिक्कत हो या बड़ी दिक्कत हर इंसान को कहीं ना कहीं कोरोना महामारी ने मानसिक तौर पर तोड़ कर रख दिया।

कई लोग अपनी नौकरी खोने से तनाव में आ गए, तो कई लोग घर में संस्था द्वारा ढ़ेर सारा काम कराने को लेकर परेशान थे। घर की महिलाएं काम के साथ-साथ घर भी संभाल रही थी। इसे लेकर उनका भी तनाव बढ़ रहा था। बच्चे घर में रह-रह कर स्कूल जाने को तरस गए, प्ले ग्राउंड में खेलने को तरस गए, उनके मन में उदासी तो थी साथ ही उनका तनाव वह किसी के साथ साझा भी नहीं कर पाते थे। छोटी सी उम्र में अपने तनाव को आज भी बच्चे दिल में दबाए बैठे हैं। बुजुर्गों के मन में नकारात्मकता का भाव पनपने लगा अपनी सेहत को लेकर बाहर घूमने से हटकर वह घर में रहने को मजबूर हो गए।

नकारात्मकता और फोबिया भी बढ़ गया

कोरोना में मानसिक रूप से प्रताड़ित लोग नकारात्मकता से जूझ रहे हैं, वहीं साफ-सफाई और मास्क लगाने या अन्य किसी फोबिया को लेकर विचलित हैं। लोग आज भी सेहत और साफ-सफाई को लेकर इतने परेशान हैं कि मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। कई लोग आज भी घर में चार दफा नहा रहे हैं और मास्क तो जैसे फोबिया के चलते छूटता ही नहीं, लोगों के चेहरों पर मायूसी छाई रहती है पर अभी भी कोरोना महामारी पीछा नहीं छोड़ रही है। 

आज भी लोग दफ़्तर शुरू होने के बाद भी घर से काम करने पर मजबूर हैं, उन्हें आज भी डर है कि अगर वह दफ़्तर गए और उन्हें कोरोना की बीमारी हो गई, तो उनकी जान ना चली जाए। कई लोग अगर हिम्मत करके दफ़्तर या व्यवसाय कर भी रहे हैं तो उनके मन में कोरोना का खौफ हमेशा बना रहता है।

कोरोना के इस खौफनाक दौर ने मानसिक तौर पर आज भी अपने पांव पसारे हुए हैं, फिलहाल कोरोना टीकाकरण का दौर जारी है और सभी को उम्मीद है कि जल्द से जल्द सभी लोग टीका लगवाकर इस कोरोना नामक बला से दूर रह पाएं। जैसे धीरे-धीरे ज़िंदगी की गाड़ी फिलहाल सही पटरी पर चलती नजर आने लगी है, उसी तरह मानसिक सेहत से जूझ रहा हर इंसान भी सही पटरी पर लौट आने का विश्वास लिए सफ़र कर रहा है।