जानिए विज्ञान की नजर में रुद्राक्ष के फायदे

Share Us

2424
जानिए विज्ञान की नजर में रुद्राक्ष के फायदे
20 Feb 2022
8 min read

Blog Post

विज्ञान की नजर से रुद्राक्ष के इतने गुणों और फायदों को देखकर वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं। हम में से बहुत से लोगों ने रुद्राक्ष माला को ज्यादातर साधु और संन्यासी लोगों के गले या हाथ में देखा है। लेकिन क्या आपको इसके वैज्ञानिक महत्व के बारे में पता है कि ये हमारे विज्ञान से इतना जुड़ा हुआ क्यों है? हमें जहाँ तक पता है वो ये की  इसे शिव जी इसे अपने गले में धारण करते थे इसलिए हम इसे भगवान शिव जी से जोड़ते हैं और बहुत पवित्र मानते है लेकिन आज हम इससे जुड़े सभी वैज्ञानिक फ़ायदों के असली महत्व के बारे में आपको बतायेंगे।

हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। क्योंकि रुद्राक्ष को भगवान शिव जी से जोड़ा जाता है। लेकिन विज्ञान ने इसे अलग नज़र से देखा है जहाँ उन्होंने इनके अनेक फ़ायदों को बताया है। धार्मिक महत्व से देखा जाये तो लोग रुद्राक्ष माला (rudraksha mala) से शिव का जाप करते हैं। हालांकि ये भारत में ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों के पास भी देखी गई है। ये बहुत पवित्र मानी जाती है और कहा जाता है कि इस माला को पहने से लोगों के कष्ट और दुख दूर होते हैं। वहीं विज्ञान ने भी अपनी विज्ञानी मान्यताओं और रिसर्च से इसे बहुत लाभकारी बताया है जो रुद्राक्ष के इस महत्व को और बढ़ाता है। तो आइए जानते है:-

रुद्राक्ष होता क्या है ?

रुद्राक्ष होता क्या है ये शायद बहुत से लोग नहीं जानते लेकिन आपको बता दें कि रुद्राक्ष का एक पेड़ होता है और जो उसमें फल लगते है उसे रुद्राक्ष कहते है। ये हिमालय क्षेत्र में अधिक पाया जाता है क्योंकि इस पेड़ के लिए हिमालय की जलवायु,मिट्टी और ऊंचाई इस पेड़ की अच्छी पैदावार लिए सहायक माना जाता है। ये पेड़ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में थाईलैंड (Thailand) और इंडोनेशिया (indonesia) में भी पाया जाता है। इन पेड़ों का इस्तेमाल रेलवे स्लीपर बनाने के लिए किया जाता है जिसकी वजह से इन्हें काटा जाता है और अब ये दिखने में भी अब दुलर्भ हो गए है।

इसे दो तीन कारणों से अधिक माना गया है जो धार्मिक और वैज्ञानिक है। तो आइए पहले इसके धार्मिक मान्यताओं के नजरिए से देखतें है।

रुद्राक्ष का धार्मिक आधार

भगवान शिव (Lord Shiva) का दूसरा नाम 'रुद्र' है,हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष का महत्व प्राचीन समय से बहुत प्रचलित है क्योंकि हिंदू धर्म (Hindu Religion) में माना जाता है कि रुद्राक्ष का ये पेड़ (Rudraksha tree) भगवान शिव जी के आंसुओं से बना है जो ज़मीन पर गिर गये थे। कहा जाता है कि शिव जी ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या और जब किसी कारणवश उन्होंने जब आँख खोली तब उनकी आँखों से आँसू निकल गए और जैसे ही उनके आँसू गिरे तो रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति  हुई । इसलिए इसे बहुत लाभकारी, पूजनीय और बहुत पवित्र माना जाता है। इसके अलावा सबसे बड़ा महत्व इसको हमारे वैज्ञानिको ने दिया है जिससे जानकर वो भी अभी तक इसके फ़ायदों से हैरान है।

रुद्राक्ष का वैज्ञानिक महत्व

आजकल लोगों के भागदौड़ भरे जीवन और आधुनिकता के कारण स्वास्थ्य से सबंधित कई बीमारियों (health related problems) जैसे हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), मधुमेह (Diabetes),  ह्रदय रोग (heart disease) और  अनिद्रा (insomnia) जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। हमें हमारे लिए समय ही नहीं है जो हम खुद का ध्यान रख सकें। इन सब बीमारियों से बचने के लिए हमारे जीवन में दवाइयां बहुत अहम भूमिका निभाती है लेकिन रिसर्च के अनुसार वैज्ञानिको का माना है कि इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण electromagnetic properties होते हैं, भारतीय वैज्ञानिक डॉ. एस.के. भट्टाचार्य Indian scientist Dr. S.K. Bhattacharya ने 1975 में रुद्राक्ष के फार्माकोलॉजिकल गुणों pharmacological properties के बारे में रिसर्च करके बताया कि ये इसमें प्रकृति इलेक्ट्रोमैग्नेटिक व पैरामैग्नेटिक गुण पाए जाते है और इसमें डायनामिक पोलेरिटी dynamic polarity जैसी अद्भुत विशेषता होती है। जिसकी वजह से ह्रदय रोग के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। 

यही नहीं वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च गए गए परिणामों में बताया कि रुद्राक्ष में कोबाल्ट, जस्ता, निकल, लोहा, मैग्नीज़, फास्फोरस, एल्युमिनियम, कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, सिलिका एवं गंधक आदि तत्वों को पाया जाता है। रुद्राक्ष में इतने तव्वों की उपस्थिति होने के कारण ये पानी में रखने से डूब जाता है। हमारे वैज्ञानिकों ने इस विषय पर अधिक अध्ययन किये है जिसके कारण उन्होंने पाया कि रुद्राक्ष में जीवाणु (bacteria), विषाणु (virus), फफूंद (fungus) आदि प्रतिरोधी गुणों को पाया है। अभी तक रुद्राक्ष में वैज्ञानिकों ने इतने गुणों को देख लिया है कि वो भी रुद्राक्ष के फायदों से आश्चर्यचकित हैं।

ध्यान दें यदि आप सही पहचान करके रुद्राक्ष को धारण करते हैं तभी आप वैज्ञानिकों (Scientist's)द्वारा बताये गए इतने फायदों का लाभ उठा सकतें है। इसलिए इसकी सही पहचान की जानकारी होना आपके लिए बहुत जरूरी है। 

असली रुद्राक्ष की ये है पहचान

कहीं आपका रुद्राक्ष नकली तो नहीं है? हमारे भारत में रुद्राक्ष की कुल प्रजातियां 33 है हालांकि बाजार तीन मुखी से नीचे और सात मुखी से ऊपर बेचे जाने वाले ज्यादातर सभी रुद्राक्ष नकली है। वैज्ञानिकों द्वारा रुद्राक्ष की इलेइओकार्पस गैनीट्रस प्रजाति Ileocarpus ganitrus species को शुद्ध माना है। जबकि इलेइओकार्पस लेकुनोसस ileiocarpus leucunosus को नकली प्रजाति बताया गया है। आइये इसकी सही पहचान को जाने-

ऐसे समझें असली रुद्राक्ष और नकली रुद्राक्ष में अंतर

-सबसे पहली पहचान तो ये है रुद्राक्ष में पहले से ही छोटे-छोटे छिद्र होते है जबकि नकली रुद्राक्ष को ख़ुद आकार देकर बनाया जाता है।

- यदि आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल (mustard oil) में डालते हैं और वो अपना रंग छोड़ता देता है तो वे नक़ली रुद्राक्ष है क्योंकि असली रुद्राक्ष कभी अपना रंग नहीं छोड़ता।

- जैसा कि हमनें ऊपर बताया कि आप यदि अपने रुद्राक्ष को पानी में डालते है और वो डालते ही डूब जाता है तो वे असली रुद्राक्ष की पहचान है जबकि नकली रुद्राक्ष पानी में डूबता नहीं तैरता है।

अंत में दोस्तों रुद्राक्ष हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी गई घातक बीमारियों के लिए कितना लाभदायक है ये बात खुद साइंस भी मान चुकी है। इससे जुड़े सारे विज्ञानिक कारकों को हमनें इस आर्टिकल में बताया है। वैसे तो आप रुद्राक्ष के हिन्दू धर्म से जुड़े कई कारणों को जानते होंगे लेकिन आज आप वैज्ञानिक द्रष्टिकोण से ये जानेंगे कि ये आपके शरीर को कैसे लाभ पहुँचाता है। हमें पूरी उम्मीद है कि ये जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी।