अपना देश अपनी भाषा फिर क्यों हिंदी से इतनी निराशा?

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अपना देश अपनी भाषा फिर क्यों हिंदी से इतनी निराशा?
13 Sep 2021
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हिंदी हम सबकी मातृभाषा है। यह विश्व में हमारी मातृभाषा के रूप में पहचानी जाती है। हिंदी धीरे-धीरे अब पूरी दुनिया में अपनी पहचान को मजबूत बना रही है। विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों का इसके प्रति लगाव बढ़ने लगा है। हमें अपनी राजभाषा के प्रति उदासीन नहीं होना है, बल्कि हमें इसको सम्मानपूर्वक विश्व में भाषा की उस श्रेणी में लाकर खड़ा करना है जहाँ से हिंदी खुद गौरवान्वित महसूस करे तथा इसे उन पर भी गर्व महसूस हो जो हिंदी को अपनी भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। ऐसा तभी संभव हो पायेगा जब हम अपनी हिंदी भाषा को लेकर गौरवान्वित रहेंगे और बिना झिझक अपनी शैली में सबके समक्ष हिंदी का इस्तेमाल करते रहेंगे।         

भाषा की महिमा(महत्वता) का कोई मोल नहीं होता। भाषा वह आधारशिला है जिसके ऊपर मनुष्य अपने मन की भावनाओं का मकान बनाना शुरू करता है। इसके आधार पर मनुष्य का दूसरे मनुष्य के साथ विचारों का आदान-प्रदान होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में भाषा का उतना ही महत्व है जितना कि एक बच्चे के जीवन में माँ का, क्योंकि जिस तरह माँ अपने भाव से हमें समाज से परिचित कराती है वैसे ही भाषा भी हमें समाज से परिचित कराती है। भाषा के बिना जीवन की कल्पना बिन पतवार के नाव सी प्रतीत होती है, जो एक समंदर में तैर रही है परन्तु जिस दिशा में जाना है उस ओर आगे कैसे बढ़ा जाये इसका कोई उपाय नहीं। भाषा की महत्ता दुनिया के प्रत्येक कोने में है। हां यह अलग बात है कि भाषा अनेक रूप में खुद को दुनिया के आँचल में विभिन्न सितारों जैसा जड़ित रखती है। दुनिया में कई देश हैं। उन देशों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा विभिन्न प्रकार की होती हैं। कुछ देशों में एक जैसी भाषा का उपयोग होता है। कुछ भाषाएं तो ऐसी हैं जो पूरे विश्व में जानी जाती हैं और लोग उसे अपनी प्रतिदिन के बोल-चाल की भाषा में प्रयोग में लाते हैं। कुछ देशों की भाषा तो उनके देश के नाम से मशहूर है और अन्य देशों में भी मुख्य भाषा के रूप में प्रयोग में ली जाती हैं। भाषा के माध्यम से लोग एक-दूसरे से संचार करते हैं। 

अच्छी बात यह है कि प्रत्येक देश अपनी भाषा के प्रति गौरवान्वित रहता है। प्रत्येक देश विश्व में अपनी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। भारत की अपनी एक मातृभाषा है, जो विश्व में एक अलग पहचान रखती है। पूरे विश्व में यह चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हालांकि पहले के दौर से अब के दौर में विश्व-पटल के साथ हिंदुस्तान में भी हिंदी कई चुनौतियों से गुजरते हुए खुद की पहचान को बनाये रखने के लिए संघर्ष कर रही है।       

देश की राजभाषा हिंदी

पूरी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जो विभिन्न प्रकार की भाषाओँ का संगम साथ लेकर चलता है। यहाँ पर प्रत्येक 20 किलोमीटर के बाद बोली बदल जाती है। यहाँ पर प्रत्येक राज्य में बोली जाने वाली भाषा भी अलग-अलग होती है। भारत की यह खासियत है कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषा बोले जाने के बावजूद यहां पर लोग अपनी मातृभाषा हिंदी को समझते और बोलते हैं तथा उसके प्रचार के लिए सदैव कोशिश करते रहते हैं। विभिन्न भाषाओँ के होने के बावजूद भी भारत में हिंदी वह भाषा है, जो प्रत्येक क्षेत्र में समझी जा सकती है। भले ही व्यक्ति हमेशा साधारण बोल-चाल में क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करता आया हो परन्तु वह हिंदी भाषा को भी समझता है। इसीलिए इसे भारत में राजभाषा का दर्जा दिया गया है। 

हिंदी प्राचीनतम भाषाओँ में से एक है। हिंदी भाषा की अपनी कोई उत्पत्ति नहीं यह संस्कृत भाषा के बदलते रूप का एक संस्करण है। प्राचीन संस्कृत भाषा से पाली भाषा में फिर पाली से प्राकृत भाषा में, प्राकृत से अपभ्रंश भाषा में तथा अपभ्रंश से शौरसैनी भाषा में उसके बाद शौरसैनी का हिंदी भाषा में रूपांतरण हुआ है। कुछ तथ्यों का यह भी मानना है कि शौरसैनी हिंदी भाषा का एक रूप है। 


हिंदी भाषा 11 स्वर और 35 व्यंजनों से मिलकर खुद को परिपूर्ण करता है। कुछ राज्यों में तो यह मूल भाषा का रूप है परन्तु जिन राज्यों में यह मूल भाषा नहीं है वहां पर भी इस भाषा का उपयोग कुछ रूपों में किया जाता है। हिंदी भाषा की उपस्थिति इसलिए भी मजबूत हो जाती है क्योंकि व्यक्ति के लिए देश के अंजान क्षेत्र में भी यह संचार का महत्वपूर्ण माध्यम रहता है। हिंदुस्तान में होने वाले अधिकतम सरकारी काम हिंदी भाषा में ही किये जाते हैं। हिंदी के बोल-चाल की भाषा से प्रत्येक देशवासी थोड़ा बहुत जरूर अवगत रहता है। 

अंग्रेजी भाषा के प्रति अधिक रुझान 

आज देश में अधिकतम लोग उस भाषा के पीछे भाग रहे हैं जो दूसरे देशों में अधिक बोली जाती है। आज कल देश में लोग अंग्रेजी भाषा को अधिक महत्व देते हैं। लोगों की विचारधारा में अब यह भावना घर बनाने लगी है कि अंग्रेजी भाषा को ही सीखकर वह अधिक साक्षर बन सकते हैं। अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही वह खुद की सफलता का आंकलन करते हैं। यही कारण है कि आने वाली पीढ़ी को अधिकाधिक अंग्रेजी भाषा की तरफ धकेला जा रहा है। आज परिस्थिति यह है कि मनुष्य अपनी मातृभाषा के प्रति नीरस होने लगा है।         

दूसरे देशों में भी हिंदी भाषा का प्रयोग 

परन्तु आज के समय में ही हिंदी भाषा को केवल हिंदुस्तान में नहीं विश्व के अनेक देशों में कई लोगों द्वारा बोला जाता है। इनमें वह लोग भी शामिल होते हैं जिनका मूल निवास भारत होता है तथा वह लोग भी शामिल हैं जो दूसरे देश के मूल निवासी होते हैं, जिनकी मूल भाषा कुछ और है परन्तु वह हिंदी भाषा के प्रति रूचि रखते हैं। दूसरे देशों में भी अब हिंदी भाषा का प्रभाव धीरे-धीरे दिख रहा है। अनेक व्यक्ति हिंदी भाषा में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। अब तो हिंदी भाषा को कई देशों में वैकल्पिक भाषा के रूप में पढ़ाया और सिखाया जाता है। टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल किये जाने वाली भाषाओँ में भी हिंदी भाषा को अब शामिल किया गया है और यह केवल राष्ट्रीय स्तर पर नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया गया है। धीरे-धीरे हिंदी भाषा पूरे विश्व में विस्तारित हो रही है।