सब बूमरैंग है

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सब बूमरैंग है
23 Dec 2021
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ऐसा अक्सर कहा जाता है, कि वक़्त एक बार बीत जाए तो कभी वापस नहीं आता और इस बात में कोई दो राय नहीं कि यह शत-प्रतिशत सत्य है। कहने का मतलब है कि वक़्त इसकी कैद में सब है मगर, यह किसी की कैद में नहीं। बीते वक़्त में हमने जो कुछ अच्छा किया या बुरा किया, उन सभी का निचोड़ ही बूमरैंग है क्या। आइये जानते हैं।

ऐसा अक्सर कहा जाता है, कि वक़्त एक बार बीत जाए तो कभी वापस नहीं आता time wil never come और इस बात में कोई दो राय नहीं कि यह शत-प्रतिशत सत्य है। कहने का मतलब है कि वक़्त, इसकी कैद में सब है मगर, यह किसी की कैद में नहीं। आपने लोगों से कहते सुना होगा कि बीते वक़्त में हमने जो कुछ अच्छा या बुरा किया, उन सभी का निचोड़ हमें आगे आने वाले समय में देखने को मिल ही जाता है, किसी न किसी दूसरे आयाम में, दूसरे पहलुओं या दूसरे तरीके से, क्या आप इसको एक शब्द में यह नहीं कह सकते कि यह सब "बूमरैंग" boomerang है। 

जब पूरी दुनिया में महामारी फैली हुई थी तब सारी दुनिया तीन भागों में बंट गयी, एक वे लोग थे जिनके पास संसाधन होने के बाबजूद भी वे सिर्फ़ अपनी ही चिंता में लिप्त थे, एक वे लोग थे जिनके पास सुविधायें न होने के बाद भी जितना उनसे हो सका उन्होंने किया और एक वे थे जिन्होंने अपने धन, अपने भाव को उस वक़्त ढाल बनाया जिस वक़्त पूरी दुनिया महामारी के ज़हरीले प्याले को न चाहते हुए भी पी रही थी। उस वक़्त ऐसी हालत थी कि कुछ लोगों को बेघर, बेरोजगार होना पड़ा तथा, और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। हम अपने चारों ओर गरीबी देख सकते थे। लोग ऐसी कठोर स्थिति hard time में जी रहे थे, जहां वे सचमुच पैसे, भोजन और आश्रय के लिए संघर्ष कर रहे थे। भूख से लोगों की मौत भी हो रही थी। इतना ही नहीं लगभग हर जगह गरीब लोगों के साथ हमेशा बुरा व्यवहार किया जाता रहा। यहाँ कोविड के दौर का इसलिए ज़िक्र किया, क्योंकि यह सबसे ताज़ा उदाहरण है इन तीनों अवस्थाओं को समझने का। उस दौर में किसने किसके साथ अच्छा किया, किसके साथ बुरा किया, वह सब लौट के कही न कहीं इनमें देखनें को मिल सकता है, इसी प्रक्रिया को बूमरैंग कहते हैं। 

अगर हम बूमरैंग का शाब्दिक अर्थ समझें तो, इसका अर्थ है कि एक ऐसी काष्टखंड या wood segment सेगमेंट जिसको जिस तेजी से फेंकेंगे वह उसी तेजी से लौट कर भी आती है। हाँ अगर मनुष्य बाबत देखा जाए तो इसमें समय का थोड़ा हेर फेर देखने को मिल सकता है मगर, चीज़ें लौट कर आएंगी ये हक़ीक़त है। इस बात को आप प्राकृतिक स्तर पर देख सकते हैं, जिस तरह से मनुष्य ने पेड़ों को काटकर जंगलों को नष्ट कर देने की पूरी कोशिश की, अब उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज हम ऑक्सीजन oxygen के लिए तड़प रहे हैं। प्रदूषण pollution का स्तर इतना बढ़ गया है कि हर किसी को दमा(अस्थमा) जैसी बीमारियां diseases होने लगी हैं। कल को कैंसर बहुत गिने चुने लोगों को होने वाली बीमारी हुआ करती थी परन्तु आज, आज इसको आप आम तौर पर सुन लेते हैं कि कैंसर के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं। इस दुष्चक्र का सिलसिला किस कारण हुआ इसका सीधा सा उत्तर है, हम लोगों के द्वारा किया गया प्राकृतिक हनन। सीधा-सीधा गणित है, पहले हमनें प्रकृति को हानि पहुंचाई, आज अगर प्रकृति हमारे साथ खिलवाड़ कर रही है तो इसके लिए हम ही दोषी हैं। इसीलिए तो कहते हैं सब बूमरैंग है।

अब सोचना और समझना हमें है कि हमें किस तरह का बूमरैंग चाहिए धनात्मक या ऋणात्मक, क्योंकि यहाँ सब क्या हैं, यहाँ सब बूमरैंग है।