बंटवारे ने स्थान के साथ प्रकृति को भी बांटा

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बंटवारे ने स्थान के साथ प्रकृति को भी बांटा
11 Apr 2021
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1947 में भारत और पाकिस्तान के बीच के बंटवारे ने अनगिनत सपनों के घरों को जला कर राख दिया था। किसी ने नहीं सोचा था कि बंटवारे में घर के बर्तन से लेकर प्रकृति की ख़ूबसूरती तक को बांट दिया जाएगा। 1947 में धन और लोगों के बंटवारे के साथ-साथ जमीन, जल यहां तक कि आसमान का भी बंटवारा किया गया। किसने सोचा था कि धर्म के नाम पर छिड़ी यह जंग ना जाने कितने रिश्तों को अलग कर देगा। एक ही धारा में एक नाम से बहने वाली नदी कब दो भागों में बंट गई इसका उसे अंदाजा भी नहीं लगा। धर्म कोई भी रहा हो परन्तु पुस्तकों का सम्मान दोनों ही धर्मों में एक समान किया जाता है। किस कदर सहमति ना बन पाने पर एक डिक्शनरी को दो भागों में बांट दिया गया होगा। साथ में रहने वाले दो पन्ने भी एक-दूसरे से दूर हो गए, जिनकी उन्होनें कल्पना भी नहीं की होगी। हरी-भरी वादियों से लेकर बेहतरीन कलाकारी से बनी इमारतें जो अभी तक हिन्दुस्तान का हिस्सा थीं, अब दो अलग मुल्कों के नाम लिख दी गईं। छोटी से लेकर बड़ी हर चीज ने इस बंटवारें में हिस्सा लिया और हो गया दो देशों का निर्माण। इतिहास आज तक कभी ऐसे बंटवारे का साक्षी नहीं रहा होगा। TWN के नजरिए से भारत और पाकिस्तान के बंटवारें ने लाखों की उम्मीदों, सपनों और प्रेंम को बांटा था, जिसकी याद आज भी कई लोगों के दिल पर घाव की तरह लगती होंगी।

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