वस्तुओं और सेवाओं पर समान टैक्स क्रेडिट रिफंड नहीं

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भारत के संविधान में कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्य को विभाजित किया है। जिसके आधार पर देश की कार्यप्रणाली चलती है। वैसे तो न्यायपालिका को प्रत्येक मुद्दे की सुनवाई का अधिकार है परन्तु कुछ मामलों में न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। उन पर निर्णय लेने का अधिकार केवल कार्यपालिका यानि कि भारत की संसद को होता है। सुप्रीम कोर्ट ने GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट के हवाले से इस बात को स्पष्ट कर दिया कि कुछ मुद्दों पर बदलाव के लिए वह कार्यपालिका से केवल आग्रह कर सकता है उस पर निर्णय नहीं ले सकता है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि करों की दर निश्चित करने का अधिकार संसद को होता है हम इसमें कोई भी दखलंदाजी नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही न्यायलय ने GST में इनपुट क्रेडिट टैक्स को सामान और सेवा के नज़रिये से भिन्न माना है। अर्थात दोनों पर एक जैसे इनपुट क्रेडिट टैक्स नहीं लग सकते हैं। गौरतलब है कि इनपुट क्रेडिट टैक्स के माध्यम से यदि हमने इनपुट पर अधिक टैक्स दिया है तो हमें मिलने वाले आउटपुट पर हम कम टैक्स देते हैं। उच्च न्यायलय ने गुजरात और मद्रास के उच्च न्यायालयों के विरुद्ध लिए गए फैसले पर अपना निर्णय सुनाया है। सर्वोच्च न्यायलय के मुताबिक किसी वस्तु पर टैक्स तथा वस्तु के आने-जाने में लगने वाले केंद्रीय गुड सर्विस टैक्स का आईएसटी सामान किसी भी रूप में एक नहीं हो सकता है।