झारखंड -हाथ के हुनर में रोज़गार की संभावनाएं

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झारखंड -हाथ के हुनर में रोज़गार की संभावनाएं
21 Feb 2022
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शिल्पकारों के उत्पादों की मांग आज पूरे विश्व में बढ़ी है इसलिए झारखंड के हस्तशिल्प कला में रोज़गार की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। स्वरोज़गार की दिशा में सरकार के प्रयासों का लाभ भी लोगों को मिल रहा है और इससे शिल्पकारों की प्रगति हो रही है। झारखंड सरकार इस हाथ के हुनर को राष्ट्रीय पहचान दे रही है। झारखंड में डोकरा शिल्प, बंबू क्राफ्ट, एप्लिक, हैंडलूम, काथा स्टिच, टेराकोटा जूट और रेशम सहित कई हस्तशिल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है। डोकरा शिल्प की मांग तो आज पूरे विश्व में है। वहीं झारक्राफ्ट के माध्यम से भी राज्य सरकार झारखंड के हस्तशिल्प उत्पादों को आगे बढ़ाने में लगी है।

हस्तशिल्प कला वैसे तो प्राचीन समय से चली आ रही है जो मोहनजोदड़ो सभ्यता Mohenjo Daro Civilization के समय से चली आ रही है लेकिन हस्तशिल्प कला handicraft art में माहिर लोग आज भी अपना हुनर दिखा रहे हैं। कई हुनरमंदों की रोजी रोटी आज भी इसी से चल रही है। ऐसे ही हमारे देश के झारखंड Jharkhand में हस्तशिल्प कला में रोज़गार employment की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं और इस हाथ के हुनर को राष्ट्रीय पहचान National identity भी मिल रही है। झारखंड में हस्तशिल्प के कई शिल्पकार अब हुनरमंद बन रहे हैं। इन्हें झारखंड सरकार Jharkhand Government द्वारा भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। चलिए जानते हैं हस्तशिल्प कला के कई शिल्पकारों के बारे में कि कैसे ये अपने हुनर में रोज़गार की संभावनाएं तलाश रहे हैं और अपने परिवार को आर्थिक परेशानियों से भी बचा रहे हैं। 

झारखंड के पारंपरिक हस्तशिल्प की मांग 

झारखंड के हस्तशिल्प उत्पादों handicraft products की आज काफी मांग है। ये हस्तशिल्प कला बहुत ही प्राचीन है। जो मोहनजोदड़ो सभ्यता के समय से चल रही है। झारखंड में शिल्पकारों के द्वारा तरह-तरह के उत्पाद बनाये जाते हैं। कुछ उत्पाद तो यहाँ के विश्व प्रसिद्ध world famous हैं। यहाँ शिल्पकारों द्वारा बंबू क्राफ्ट bamboo craft, डोकरा शिल्प dhokra craft, एप्लिक, हैंडलूम handloom, रेशम, काथा स्टिच Kantha Stitch, टेराकोटा और जूट कई तरह के हस्तशिल्प बनाये जाते हैं। इनकी मांग को देखते हुए इन्हें वस्त्र मंत्रालय Ministry of Textiles, भारत सरकार और झारखंड सरकार का हस्तशिल्प, रेशम एवं हस्तकरघा विभाग लोगों को प्रशिक्षण दे रहा है जिससे मांग के अनुरूप वे लोग अपने उत्पाद बना सकें। हस्तशिल्प के माध्यम से शिल्पकारों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता भी मिल रही है। यहाँ के डोकरा शिल्प की मांग तो अमेरिका America, मलेशिया Malaysia, मिस्र Egypt, चीन, नाइजीरिया Nigeria और फ्रांस France सहित विश्व के अन्य कई देशों में है। दरअसल डोकरा शिल्प कांसा, पीतल, मोम और मिट्टी से बनाए जाते हैं। इसके अलावा शिल्पकार के द्वारा कई तरह का सजावट का सामान भी बनाया जाता है जैसे महिलाओं का सजावट के सामान, हाथी, घोड़ा, बर्तन आदि बनाये जाते हैं। तसर सिल्क Tasar Silk की भी काफी डिमांड है। क्योंकि सिल्क के कपडे में काथा स्टिच का वर्क हो जाने से उसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। पूरे देश का 70 प्रतिशत सिल्क का उत्पादन झारखंड में होता है। 

बंबू क्राफ्ट राज्य का प्रमुख उद्योग

यहाँ बंबू Bamboo से बने उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि यहाँ का बंबू क्राफ्ट bamboo craft राज्य का प्रमुख उद्योग बन गया है। झारखंड में बंबू मिशन Bamboo Mission के प्रयास से बांस के उत्पादन, लघु एवं कुटीर उद्योग small and cottage industries एवं हस्तशिल्प को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि बंबू क्राफ्ट से कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। यहाँ के कई परिवार पारम्परिक रूप से कई सालों से इस काम को कर रहे हैं और इसी काम के जरिये उनकी रोजी रोटी चलती है। इसके लिए इन्हे प्रशिक्षण भी दिया जाता है। झारखंड में काफी बड़े क्षेत्र में बांस का उत्पादन किया जाता है। यहां के बंबूसा बालकोआ Bambusa Balcooa, बंबूसा टुलडा Bambusa Tulda और बंबूसा नूतनस Bambusa Nutans की मांग पूरे विश्व में है। यहाँ बंबू क्राफ्ट का काम काफी तेजी से हो रहा है। यहाँ लगभग 500 से अधिक प्रकार के उत्पाद बांस के बन रहे हैं और अन्य राज्यों में भेजे जा रहे हैं। इससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। बांस से बहुत अच्छे अच्छे उत्पाद बनाये जा रहे हैं और इसके लिए बड़ी बड़ी कंपनियां सामान खरीदने के लिए तैयार रहती हैं। बांस से सोफा सेट, टेबल, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, फर्नीचर का सामान, बैग और भी अन्य कई चीज़ें बनायीं जा रही हैं और इनकी मांग बढ़ने से विश्व व्यापार world Trade में भी बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही नेशनल बंबू मिशन बांस की खेती के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है। जिससे लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिल सकेगा एवं वो बंबू क्राफ्ट के जरिये एक सुखी जीवन व्यतीत कर पायेंगे और ऐसा हो भी रहा है। 

झारक्राफ्ट के जरिये मिला है प्रोत्साहन

झारखंड के पारंपरिक हस्तशिल्प को झारक्राफ्ट Jharcraft के जरिये काफी बढ़ावा मिला है। दरअसल Jharkhand Silk Textile & Handicraft Development Corporation Ltd झारखंड सिल्क, टेक्सटाइल एंड हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (Jharcraft) का गठन रेशम उत्पादन, हथकरघा, हस्तशिल्प आदि के आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए किया गया था। झारक्राफ्ट से राज्य में निर्मित उत्पाद अथवा ब्रांड को बाजार में अधिक से अधिक बढ़ावा मिल रहा है। झारक्राफ्ट इसके लिये एक बेहतर कार्य योजना तैयार कर रहा है और इसका फायदा लोगों को हो भी रहा है। झारक्राफ्ट से जुड़ने के बाद लोगों की skills और भी बेहतर हो रही हैं। वस्तुओं के निर्माण के साथ-साथ लोगों को इनकी मार्केटिंग में भी सहायता मिल रही है। इसका फायदा ये है कि इससे रोज़गार की संभावनाएं भी खुल रही हैं और लोग हाथ के इस हुनर की वजह से अपने परिवार का पालन कर पा रहे हैं। वे लैंप स्टैंड, बांस से बने गुलदस्ता, पेन स्टैंड, दीवार पर सजाने वाले फूलदान, सजावट की चीज़ें और भी अन्य कई सुंदर वस्तुएं बना रहे हैं। झारखंड के शिल्पकारों की बनायीं हुई वस्तुओं को आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। यहाँ पर ये चीज़ें काफी सुन्दर बनाई जाती हैं जैसे सोहराई, बांस के सामान, टेराकोटा आर्ट terracotta art, डोकरा आर्ट, जूट के सामान, जादूपटिया पेंटिंग, चमड़े के उत्पाद, जैसे पर्स, नगाड़ा, ढोलक आदि। इन सभी वस्तुओं की कारीगरी को झारक्राफ्ट के माध्यम से प्रोत्साहन मिल रहा है। झारक्राफ्ट ने लोगों को मांग के अनुसार हस्तशिल्प उत्पादों को तैयार करने और कैसे उसकी marketing करें इसकी जानकारी दी है। कारीगरों के हस्तशिल्प की बिक्री के लिए दूसरे राज्यों में भी इंपोरियम बनाये गये हैं।