भारत-जापान का चंद्रयान-5 LUPEX मिशन: मोदी ने बताया ऐतिहासिक कदम

News Synopsis
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के बीच होने वाले चंद्रयान-5 मिशन के ऐतिहासिक समझौते का स्वागत किया। यह मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) कार्यक्रम के तहत होगा, जो भारत और जापान के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग का प्रतीक है।
ISRO-JAXA का संयुक्त मिशन ISRO-JAXA join hands for Chandrayaan-5 LUPEX
यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) की खोज करेगा, जहाँ पानी की बर्फ और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों की संभावना मानी जा रही है। चंद्रयान-5 भारत का पाँचवाँ चंद्र मिशन होगा, जो 2023 में सफल चंद्रयान-3 की उपलब्धियों पर आधारित है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ बैठक के बाद कहा कि यह सहयोग "मानवता की अंतरिक्ष यात्रा में प्रगति" का प्रतीक है और वैश्विक साझेदारी में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
ऐतिहासिक समझौता हुआ औपचारिक A landmark partnership formalised
LUPEX परियोजना के लिए लागू व्यवस्था (Implementing Arrangement) पर हस्ताक्षर JAXA की उपाध्यक्ष मात्सुओरा मायूमी और भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने किए। यह समझौता भारत की लैंडिंग क्षमता और जापान की अत्याधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी को जोड़ते हुए गहरे अंतरिक्ष अभियानों का मार्ग खोलेगा।
चंद्रयान-3 की प्रेरणा से LUPEX Chandrayaan-3’s success inspires LUPEX
चंद्रयान-3 ने 2023 में इतिहास रचते हुए भारत को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि LUPEX उस सफलता को आगे बढ़ाएगा और चंद्रमा के स्थायी रूप से छायांकित क्षेत्रों (Permanently Shadowed Regions - PSRs) का अध्ययन करेगा। ये क्षेत्र अब तक सूर्य की रोशनी से अछूते रहे हैं और इनमें पानी की बर्फ होने की संभावना है, जो भविष्य में मानव बस्तियों और अंतरग्रहीय अभियानों के लिए बेहद अहम होगी।
भारत-जापान का तकनीकी सामंजस्य India-Japan synergy in space technology
मोदी ने कहा, “जापानी तकनीक और भारतीय प्रतिभा एक विजयी संयोजन है।” उन्होंने इस सहयोग की तुलना दोनों देशों के हाई-स्पीड रेल, पोर्ट, एविएशन और शिपबिल्डिंग साझेदारी से की। LUPEX इस साझेदारी को और गहराई देगा और तकनीकी नवाचार में नई संभावनाएँ खोलेगा।
भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के परिणाम Outcomes of the 15th India-Japan Annual Summit
यह घोषणा 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। इस शिखर सम्मेलन में उन्नत तकनीक, ऊर्जा, मोबिलिटी और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग के समझौते हुए। LUPEX इन पहलों का प्रमुख आकर्षण रहा।
चंद्रयान-5 LUPEX के तकनीकी विवरण Technical details of Chandrayaan-5 LUPEX
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यह मिशन जापान के H3-24L रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
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ISRO चंद्रमा पर उतरने वाला लैंडर विकसित करेगा, जिसमें कई वैज्ञानिक उपकरण होंगे।
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JAXA एक उन्नत रोवर प्रदान करेगा, जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अन्वेषण करेगा।
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मिशन का लक्ष्य होगा: संसाधनों का नक्शा बनाना, पानी की बर्फ की खोज और लंबे समय तक चंद्रमा पर टिकाऊ उपस्थिति सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष Conclusion
यह सहयोग केवल एक अंतरिक्ष मिशन भर नहीं है, बल्कि यह विज्ञान, तकनीक और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी की नई ऊँचाइयों को दर्शाता है। ISRO और JAXA मिलकर न केवल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अनुसंधान करेंगे, बल्कि यह साबित करेंगे कि जब दो देश अपनी विशेषज्ञता और संसाधनों को साझा करते हैं, तो अंतरिक्ष अन्वेषण की सीमाएँ और भी विस्तृत हो जाती हैं।
यह मिशन भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उद्देश्य चंद्रमा पर मानव उपस्थिति और एक टिकाऊ आधार (sustainable base) की संभावनाओं को मजबूत करना है। भारत की चंद्रमा पर बार-बार सफलताओं और जापान की तकनीकी दक्षता का संगम वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को नए अवसर प्रदान करेगा।
यह सहयोग भारत-जापान मैत्री को और गहरा बनाएगा और दोनों देशों को एक साझा विज़न के तहत अंतरिक्ष में अग्रणी स्थान दिलाने में मदद करेगा। वास्तव में, यह अभियान मानवता की सामूहिक प्रगति और सहयोग का उज्ज्वल उदाहरण है।