मशरूम की खेती कैसे करें ?

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मशरूम की खेती कैसे करें ?
02 Feb 2022
8 min read

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पिछले कुछ समय से किसानों का झुकाव मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण है मार्केट में इसकी मांग का बढ़ना इसलिए किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी खेती कम जगह और कम समय के साथ आप शुरू कर सकते हैं। मशरूम की खेती में लागत कम है और मुनाफ़ा अधिक है। बस अगर आप मशरूम की खेती करने में इन कुछ बातों का ध्यान रखते हैं तो बाजार में आपको मशरूम का अच्छा दाम मिल जाएगा। मशरुम के काफी फायदे हैं इसलिए इसके हेल्थी और पोषक तत्वों nutritional properties के कारण लोग इसको आज पूरी दुनिया में काफी पसंद कर रहे हैं।

आजकल लोगों के द्वारा मशरूम Mushroom का इस्तेमाल काफी मात्रा में किया जा रहा है और इसके साथ ही किसानों का ध्यान भी मशरूम की खेती Mushroom farming की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में मशरुम का इस्तेमाल खाने और दवाइयों में किया जाता है। इसका कारण यह है कि मशरुम एक बहुत ही हेल्थी फ़ूड healthy food है। साथ ही इसका सेवन करने से आपका हार्ट भी  रहता है। मशरुम ने बहुत ही तेज़ी से कुकिंग और किचन में अपनी जगह बना ली है। यही कारण है कि कुछ सालों से भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है इसलिए इसके उत्पादन production पर अब अधिक ध्यान दिया जा रहा है। मशरूम की खेती की एक अच्छी बात यह है कि आप इसकी अलग-अलग किस्मों की खेती पूरे साल कर सकते हैं। इसकी खेती से कमाई भी काफी अच्छी हो जाती है। मतलब मशरूम की खेती आज के समय में बेहतर आमदनी का जरिया बन सकती है। चलिए जानते हैं कि मशरूम कितने प्रकार का होता है और इसकी खेती कैसे कर सकते हैं। 

मशरूम क्या है और इसके प्रकार 

मशरुम Mushrooms को फंगस fungus की केटेगरी में रखा जाता है। मशरुम को भी पौधों की तरह खाद और भूसे के माध्यम से उगाया जाता है लेकिन यह कोई प्लांट या वेजिटेबल नहीं है। कई लोगों को लगता है कि यह एक पौधा है लेकिन यह पौधा नहीं है। हमारे देश में मशरूम का उपयोग भोजन व औषधि food and medicine के रूप में किया जाता है। भारत में मशरूम को खुम्भ, खुम्भी, भमोड़ी और गुच्छी आदि नाम से जाना जाता है। विश्व में मशरूम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है लेकिन भारत में 10-12 वर्षों से मशरूम के उत्पादन में काफी वृद्धि देखी जा रही है। आमतौर पर मशरुम का इस्तेमाल सब्जियों के तौर पर किया जाता है और एक हेल्थी फ़ूड आइटम healthy food item होने का कारण इनकी मार्केट में डिमांड भी बहुत ज़्यादा है। सामान्यतः मशरूम का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। साथ ही मशरुम से कई तरह की चीज़ें भी बनाई जा सकती हैं। जैसे अचार, बिस्किट Biscuit, मशरूम के पापड़, नूडल्स Noodles, सॉस, सूप, चिप्स chips, चिप्स, कूकीज Cookies, जिम का पाउडर आदि बहुत सारी चीज़ें बनाई जा सकती हैं। किसानों को मशरूम की खेती को और बड़े स्तर पर ले जाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों agricultural universities और अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं training institutes द्वारा समय समय पर पूरे वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। अब मशरुम कितने प्रकार के होते हैं ये भी जान लेते हैं। वैसे तो मशरुम बहुत प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्यतः आप 3 प्रकार के मशरुम की खेती कर सकते हैं जैसे -

1. बटन मशरूम button mushroom 2. ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम) Oyster Mushroom 3. दूधिया मशरूम (मिल्की) Milky Mushroom

ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम) Oyster Mushroom की खेती 

ढ़ींगरी (ऑयस्टर) मशरूम की खेती वर्ष भर की जा सकती है। ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। ऑयस्टर मशरुम को ढींगरी मशरुम भी कहा जाता है। इसमें अन्य मशरूम की तुलना में औषधीय गुण medicinal properties भी अधिक होते हैं। भारत के कई राज्यों में ओईस्टर मशरूम की कृषि काफी लोकप्रिय हो रही है। मेट्रोपोलिटन सिटी metropolitan city जैसे मुंबई Mumbai, दिल्ली Delhi, चेन्नई Chennai और कलकत्ता Calcutta में इनकी डिमांड बहुत है। तमिलनाडु और उड़ीसा में इनकी बिक्री लगभग हर गावों में होती है। ऑयस्टर की खेती "स्पॉन” (बीज) के जरिए मशरूम की खेती की जाती है। इसके उत्पादन के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन formalin और स्पॉन (बीज) की जरूरत होती है। ऑयस्टर मशरूम को उगाने में गेहूं व धान के भूसे और दानों का इस्तेमाल किया जाता है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन की जरूरत होती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट और सापेक्षित आद्र्रता humidity 70-90 प्रतिशत चाहिए। 10 कुंतल मशरूम उगाने के लिए लगभग 50 हजार रुपये खर्चा आता है। ऑयस्टर मशरुम की खेती में मशरुम के उत्पादन के लिए कुछ केमिकल्स की मदद से गेहू के भूसे में से बैक्टीरिया को खत्म किया जाता है जिससे भूसे में आसानी से मशरुम ग्रो कर पाएं।

भूसे का शुद्धिकरण और भूसे को सूखाना

भूसे को शुद्धिकरण के लिए एक वाटर चैम्बर बनाया जाता है। उसके नीचे वाले भाग में एक टैप लगाया जाता है। इसमें 1500 लीटर पानी में 1.5 लीटर फोर्मलिन और 150 ग्राम कार्बन डाइजीयम मिक्स किया जाता है। इसके बाद इन्हे अच्छी तरह मिक्स किया जाता है। पानी में लगभग 1.5 क्विंटल गेहू का भूसा डाल दिया जाता है। फिर भूसे को पानी के साथ मिलाया जाता है जिससे वह पानी में अच्छी तरह मिक्स हो जाये। जब भूसा पानी के साथ अच्छी तरह मिक्स हो जाता है तो इससे प्लास्टिक तारपोलिन से कवर किया जाता है। भूसा हवा के संपर्क में न आये इसलिए इसको प्लास्टिक से कवर किया जाता है। क्योंकि हवा के संपर्क में आने से मशरुम की खेती सही से नहीं हो पाती है। इसके बाद अगली प्रक्रिया में भूसे को बाहर निकालकर सुखाया जाता है। इसके बाद इसको किसी चारपाई पर या किसी जगह पर ड्राई होने के लिए फैला दिया जाता है। फिर उसको बीच बीच में पलटा जाता है जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है। इसके बाद इस सूखे भूसे में ही बीजाई की जाती है। 

ऑयस्टर मशरूम की बीजाई और रूम का वातावरण

ऑयस्टर मशरूम Oyster Mushroom की बीजाई के लिए सबसे पहले भूसे को फैलाया जाता है। फिर मशरुम बीज को भूसे में स्प्रिंकल किया जाता है। इसके बाद भूसे को अच्छी तरह हाथों से पलटा जाता है जिससे मशरुम के स्पान या बीज इसमें अच्छे से मिक्स हो जाए और जैसे ही बीज अच्छे से मिक्स हो जायें उसके बाद भूसे को प्लास्टिक बैग में भर देते हैं। भूसे को पॉलिथीन में प्रेस करके भरना होता है। बस फिर इसके बाद प्लास्टिक बैग को किसी रबर के द्वारा अच्छे से बांध दिया जाता है। इसके अलावा पॉलिथीन में लगभग 10 से 12 छेद कर दिए जाते हैं। अंत में इनको एक बंद कमरे में रख दिया जाता है। इसके लिए अनुकूल तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेट और सापेक्षित आद्र्रता 70-90 प्रतिशत चाहिए। इसके लिए एक ऐसे रूम की जरूरत होती है जिसमें एक दरवाजा और खिड़की हो। अब प्लास्टिक बैग को कैसे रखा जाता है ये भी जान लेते हैं। इनको रखने के लिए आप रूम में बम्बू का रैक bamboo rack बनवा सकते हैं या फिर रोप के द्वारा हैंगिंग मेथड hanging method से भी मशरुम के बैग रखने की जगह बना सकते हैं। इसमें एक बात का ध्यान रखना है जब प्लास्टिक बैग को रूम में शिफ्ट किया जाता है तो लगभग 15 दिन तक उस कमरे की लाइट, दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे फंगस पोलिथीन के चारों ओर फ़ैल पाए इसलिए उस रूम में कुछ दिनों तक हवा नहीं आनी चाहिए। बस कुछ समय बाद इसमें ऑयस्टर की सफेद-सफेद खूटियां निकलने लगती हैं, ये मशरूम बैग में चारों तरफ से निकलने लगते हैं। यह ऑयस्टर मशरूम एक हजार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से भी बाजार में बिक जाता है। इसलिए इसकी खेती करना काफी फायदे का सौदा है।