परिवहन विभाग में विद्युतीकरण से होगा फायदा
News Synopsis
Latest Updated on 02 February 2023
रेटिंग एजेंसी ICRA को उम्मीद है, कि 2024-25 तक सभी नई बसों की बिक्री का 8-10% इलेक्ट्रिक होगा। क्योंकि सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र महामारी के कारण संघर्ष कर रहा है, लेकिन इलेक्ट्रिक बस बाजार पहले से ही बढ़ने लगा है। फास्टर एक्सेप्टेंस एंड मैन्युफैक्चरिंग Faster Acceptance and Manufacturing योजना बाजार में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाने में मदद करेगी।
रेटिंग एजेंसी का कहना है, कि महामारी के कारण इलेक्ट्रिक बस योजना Electric Bus Scheme के रोलआउट Roll Out में देरी हुई है। एजेंसी ने इलेक्ट्रिक बसों के लिए सरकारी सब्सिडी Government Subsidies का वादा किया है, जिससे बसों की लागत काफी कम हो जाएगी। FAME-II बस सब्सिडी कार्यक्रम प्रति बस $35,000 से $55,000 तक की पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करता है। कि बस परियोजना की लागत का एक बड़ा हिस्सा सरकार के पैसे से चुकाया जा सकता है। यह एक अच्छा संकेत है कि बस परियोजना के सफल होने की संभावना है।
सरकार लोगों को छूट देकर और सरकारी स्वामित्व वाले बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी ने एक हजार इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन खरीदने का टेंडर जारी किया था। सीईएसएल CESL ने घोषणा की है, कि वह ओईएम से तिपहिया वाहन खरीदने की पेशकश कर रही है। इसमें विभिन्न प्रकार के तिपहिया वाहन शामिल हैं, जैसे कचरा निपटान Garbage Disposal, माल लोडर Goods Loader, भोजन Meal और टीका परिवहन Vaccine Transport, और यात्री ऑटो Passenger Auto।
Last Updated on 19 August 2021
परिवहन विभाग में विद्युतीकरण का बढ़ना एक अच्छा संकेत है। भारत जैसे देश में इसकी काफी आवश्यकता भी है। विद्युतीकरण कभी ना खत्म होने वाला ऊर्जा का स्त्रोत है। इसलिए यदि परिवहन विभाग Transport Department में इसकी भागीदारी बढ़ती है, तो पेट्रोल Petrol और डीजल Diesel जैसे संसाधनों पर हमारी निर्भरता भी कम होगी। पेट्रोल और डीजल यदि एक बार धरती से खत्म हो गए फिर इनका दोबारा मिल पान असंभव है, जबकि विद्युतीकरण कभी ना खत्म होने वाली चीज है, क्योंकि विद्युत बनाने के कई रास्ते हैं। ऐसे में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि पेट्रोल और डीजल का काम से काम इस्तेमाल कर विद्युतीकरण को बढ़ावा देना चाहिए। जिससे आगे वाली पीढ़ियां भी डीजल और पेट्रोल का इस्तेमाल कर सकें।