मृदा संरक्षण सुरक्षित जीवन का रक्षण

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मृदा संरक्षण सुरक्षित जीवन का रक्षण
06 Dec 2021
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वातावरण में फैल रहा प्रदूषण, नदियों में बहता जहरीला पानी तथा खेतों में प्रयोग किए जा रहे अनुचित पदार्थ मिट्टी के पोषक तत्वों को नष्ट कर रहे हैं तथा स्वयं को पुनः स्वस्थ कर लेने की मिट्टी की क्षमता को भी नष्ट कर रहे हैं। मिट्टी की ख़त्म हो रही उर्वरता जीवन को भी धीरे-धीरे ख़त्म कर रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम मृदा संरक्षण के ऊपर ध्यान दें।

बारिश की बूंदें जब धरती पर पड़ती हैं तो मिट्टी पर पड़ी यह बूंदें सौंधी-सौंधी ख़ुशबू के साथ मन को महकाती हैं। मिट्टी की महक हमें हर्षित करती है। मिट्टी की यह ख़ुशबू हमारे मन को हर्षित करती है और इसकी गुणवत्ता हमारे जीवन को। भोजन हमारे शरीर के लिए एक मुख्य कारक है, इसलिए इसकी उत्पादकता productivity भी हमारे लिए महत्वपूर्ण होती है। इसी कारण से हम अनाज की अधिक उत्पादकता के लिए अनेक जतन करते हैं। क्योंकि हमारे जीवन का आधार भोजन होता है, इसीलिए मिट्टी की उपज का बरकरार रहना दुनिया के लिए ज़रूरी है। दुनिया में तो कई ऐसे देश हैं जिनकी निर्भरता अधिकतर कृषि पर हैं, ऐसे में इन देशों के लिए मृदा की क्या महत्ता होगी, यह समझा जा सकता है। ऐसे देशों की अर्थव्यवस्था का आधार भी कृषि होती है। किसी भी जैव-प्रक्रिया में हमारी मृदा का अहम किरदार होता है। इसके साथ ही मिट्टी के स्वरूप के बदलने में भी जैविक क्रियाओं का मुख्य हाथ होता है। आज दुनिया का स्वरूप पहले से बहुत बदल गया है। स्वच्छ, सुन्दर तथा स्वस्थ्य रहने वाली पृथ्वी अब इतनी प्रदूषित हो गई है कि कुछ स्थानों पर लोगों को खुली हवा में सांस तक लेने में भी परेशानी हो रही है। प्रदुषण का असर मिट्टी पर भी पड़ रहा, जिससे उसकी उर्वरक शक्ति कमजोर हो रही तथा उसकी गुणवत्ता में भी बदलाव हो रहे। ऐसे में जहां से हमारे जीवन की डोर जुड़ी हुई है, उसका ध्यान देना और उसको स्वस्थ रखना हमारा दायित्व नहीं…?

पूरे विश्व में मृदा का बदलता स्वरूप एक गंभीर विषय है, क्योंकि यदि यह व्यवस्थित नहीं रहा तो हमारे जीवन का आवरण भी बदल जाएगा या यूं कहें जीवन ही ख़त्म हो जाएगा। यही कारण है कि विश्व भर में इस आपदा को नियंत्रित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ United Nations जैसी संस्थाएं जागरूकता अभियानों में जुटी हैं। लोगों को इस समस्या से अवगत कराने तथा मृदा स्वास्थ्य के बचाव के लिए United Nations 5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस World Soil Day मनाता है। 2013 में इस पहल की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा खाद्य व कृषि संगठन Food and Agriculture Organization के अनुरोध पर किया गया।

इसके माध्यम से न केवल किसानों को बल्कि जो लोग खेती नहीं करते हैं उन्हें भी मृदा संरक्षण Soil conservation के बारे में जागरूक करने का कार्य किया जाता है, क्योंकि अनौपचारिक रूप से वे भी मिट्टी में मौजूद लवणता की दर को प्रभावित करते हैं।

खास बात यह है कि विश्व मृदा दिवस इस दिन इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन थाइलैंड Thailand के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज Bhumibol Adulyadej, का जन्म हुआ था, जिन्होंने कृषि तथा भूमि की मृदा के ऊपर ख़ास ध्यान दिया। उनके 70 वर्ष के कार्यकाल में राजा के पद पर बैठकर उन्होंने प्रजा में उपस्थित प्रत्येक किसान की समस्या को हल किया तथा कृषि क्षेत्र को विकास की नई दिशा दी।

वातावरण में फैल रहा प्रदूषण Pollution, नदियों में बहता जहरीला पानी, तथा खेतों में प्रयोग किए जा रहे अनुचित पदार्थ मिट्टी के पोषक तत्वों nutritious aliments को नष्ट कर रहे तथा स्वयं को पुनः स्वस्थ कर लेने की मिट्टी की क्षमता को भी नष्ट कर रहे हैं। मिट्टी की ख़त्म हो रही उर्वरता Fertility जीवन को भी धीरे-धीरे ख़त्म कर रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम मृदा संरक्षण के ऊपर ध्यान दें।