वो अविष्कार जो भारतीय हैं

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वो अविष्कार जो भारतीय हैं
31 Jul 2021
9 min read

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कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार  की जननी है। हमारी ज़रूरतों के आधार पर नए-नए आविष्कार हमेशा होते ही रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि ऐसे आविष्कार जो हमने दुनिया को दिए और यह हमारी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है। TWN भी ऐसे आविष्कारों की सराहना करता है।  

कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। हमारी ज़रूरतों के आधार पर नए-नए आविष्कार हमेशा होते ही रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि ऐसे आविष्कार जो हमने दुनिया को दिए और यह हमारी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है।  इस देश ने कई महापुरुषों को जन्म दिया। इसके साथ ही भारत ने दुनिया को कई ऐसी चीज़ें दीं जिससे लोगों का जीवन सुगम बना। 

भारत ने दुनिया को ऐसी सात चीज़ें दी हैं, जिनमें से कुछ को जानकर आप हैरान हो सकते हैं-

1- योग

आज की तारीख़ में दुनिया भर में योग काफ़ी लोकप्रिय है।  संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस घोषित किया है। योग के बारे में कहा जाता है कि यह भारतीय इतिहास के पूर्व-वैदिक काल से ही प्रचलन में था।  इसकी जड़ें हिन्दू, बौद्ध और जैन संस्कृति से है। अब ख़ुद को स्वस्थ रखने के लिए दुनिया भर में योग प्रचलन में आ गया है।

2- रेडियो प्रसारण

सामान्य तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता इंजीनियर और खोजकर्ता गुलइलमो मार्कोनी को रेडियो प्रसारण का जनक माना जाता है। लेकिन यह गलत है क्यों कि ब्रिटिश काल में मार्कोनी को भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के लाल डायरी के नोट मिले जिसके आधार पर उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया। मार्कोनी को वर्ष 1909 में वायरलेस टेलीग्राफी के लिए नोबल पुरस्कार मिला। लेकिन संचार के लिए रेडियो तरंगों का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन मिलीमीटर तरंगें और क्रेस्कोग्राफ सिद्धांत के खोजकर्ता जगदीश चंद्र बसु ने 1885 में कर दिया था। 1978 में भौतिकी के नोबेल विजेता सर नेविल मोट ने कहा था कि बोस अपने समय से 60 साल आगे थे। 

3- फाइबर ऑप्टिक्स

फाइबर ऑप्टिक्स आने के बाद वेब, ट्रांसपोर्ट, टेलिफ़ोन संचार और मेडिकल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन आए। नरिंदर सिंह कपानी पंजाब के मोगा में जन्मे एक भौतिक विज्ञानी थे।  दुनिया भर में इन्हें ऑप्टिक्स फाइबर का जनक माना जाता है। 1955 से 1965 के बीच नरिंदर सिंह ने कई टेक्निकल पेपर लिखे।  इनमें से एक पेपर 1960 में साइंटिफिक अमरीकन में प्रकाशित हुआ था। इस पेपर ने फाइबर ऑप्टिक्स को स्थापित करने में मदद की थी। 

4- सांप-सीढ़ी

आज के आधुनिक कंप्यूटर गेम्स को भारत के सांप-सीढ़ी खेल से प्रेरित कहा जाता है।  भारत का यह खेल इंग्लैंड में काफ़ी लोकप्रिय हुआ। इस खेल की उत्पति का संबंध हिन्दू बच्चों में मूल्यों को सिखाने के तौर पर देखा जाता है। यहां सीढ़ियों को सदाचार और सांप को शैतान के रूप में देखा जाता है। 

ऐतिहासिक रूप से इसे मोक्ष के रूप में देखा जाता है, जिसका संबंध वैकुंठ यानी स्वर्ग से है। हालांकि 19वीं शताब्दी में जब यह औपनिवेशिक भारत में आया तो ब्रिटिश बाज़ार में इससे नैतिकता वाले पक्षों को हटा दिया गया था। 

5- यूएसबी पोर्ट

यूएसबी यानी यूनिवर्सल सीरियल बस पोर्ट के अविष्कार से हमें इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से जुड़ने में मदद मिली। इसे बनाने वाले शख्स का नाम अजय भट्ट। 1990 के दशक में भट्ट और उनकी टीम ने जब काम शुरू किया तो उस दशक के आख़िर तक कंप्यूटर, कनेक्टिविटी के लिए यह सबसे अहम ज़रुरत बन गया था। भारत में जन्मे अजय भट्ट को इस मामले में सार्वजनिक तौर पर पहचान तब मिली जब 2009 में इंटेल के लिए एक टेलीविजन विज्ञापन आया।  इसके बाद ग़ैर-यूरोपियन श्रेणी में 2013 में भट्ट को यूरोपियन इन्वेंटर अवॉर्ड से नवाजा गया।

6-फ्लश टॉयलेट्स

पुरातात्विक सबूतों से साफ़ पता चलता है कि फ्लशिंग शौचालय सिंधु घाटी सभ्यता में मौजूद था। कांस्य युगीन सभ्यता का यह इलाक़ा बाद में कश्मीर बना। यहां जलाशय और सीवेज काफ़ी व्यवस्थित क्रम में थे। 

7-शैम्पू

शैम्पू से बाल धोने के बाद भला कौन अच्छा महसूस नहीं करता होगा।  ख़ुशबू, चमक और आत्मविश्वास को आसानी से महसूस किया जा सकता है। भारत में 15वीं शताब्दी में कई पौधों की पत्तियों और फलों के बीजों से शैम्पू बनाया जाता था।  ब्रिटिश उपनिवेश काल में व्यापारियों ने यूरोप में इस शैम्पू को पहुंचाया।