उत्तर प्रदेश ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पॉलिसी को 2027 तक बढ़ाया

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उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पॉलिसी Electric Mobility Policy को 2027 तक बढ़ा दिया है, जिसके बाद पॉलिसी का सब्सिडी और इन्सेन्टिव्स पार्ट तीन साल से थोड़ा अधिक समय तक जारी रहेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 22 अक्टूबर को क्लीन मोबिलिटी सलूशन को तेजी से अपनाने को बढ़ावा देने और स्टेट में ईवी के लिए अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए अपनी New Electric Vehicle Manufacturing and Mobility Policy की घोषणा की थी।
समयसीमा बढ़ाने का फैसला राज्य सरकार द्वारा सभी हाइब्रिड व्हीकल्स को रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस से छूट देने के कुछ दिनों बाद आया है, जो व्हीकल की लागत का लगभग 10% है। हालाँकि पॉलिसी अक्टूबर 2025 में समाप्त होनी थी, इसलिए इंडस्ट्री को विस्तार की उम्मीद थी।
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी. भार्गव Maruti Suzuki chairman RC Bhargava ने कहा कि उन्हें उम्मीद है, कि राज्य सरकार अगले साल पॉलिसी के विस्तार पर विचार करेगी, क्योंकि हाइब्रिड को इसमें शामिल करने का निर्णय अभी ही लिया गया है।
हाइब्रिड कारों के लिए रोड टैक्स माफी पर यथास्थिति बनाए रखी गई है। यूपी सरकार ने अभी तक उन व्हीकल्स की प्राइस रेंज पर स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है, जो रोड टैक्स माफी का लाभ उठा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पॉलिसी क्या प्रदान करती है?
New Electric Vehicle Manufacturing and Mobility Policy 2022 थ्री-प्रोन्जड इंसेंटिव व्यवस्था प्रदान करती है, जिसमें ईवी खरीदने वाले कंस्यूमर्स, ईवी, बैटरी और रिलेटेड कंपोनेंट्स के मैन्युफैक्चरर और चार्जिंग/स्वैपिंग सुविधाओं को विकसित करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स के बेनिफिट्स शामिल हैं।
इस पॉलिसी का उद्देश्य 30,000 करोड़ से अधिक का निवेश आकर्षित करना और दस लाख से अधिक लोगों के लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रोजगार पैदा करना था।
उत्तर प्रदेश सरकार Uttar Pradesh Government की पॉलिसी स्टेट में मिनिमम 1 GWh प्रोडक्शन क्षमता वाले बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना के लिए 1,500 करोड़ या उससे अधिक निवेश करने वाली अधिकतम प्रथम दो अल्ट्रा मेगा बैटरी प्रोजेक्ट्स को प्रति प्रोजेक्ट अधिकतम 1,000 करोड़ के निवेश पर 30% की दर से कैपिटल सब्सिडी प्रदान करती है।
यह पॉलिसी मैन्युफैक्चरर को स्टाम्प ड्यूटी रीइंबर्समेंट भी प्रदान करती है, जो स्टेट में कहीं भी सुविधा स्थापित करने के लिए इंटीग्रेटेड ईवी प्रोजेक्ट और अल्ट्रा मेगा बैटरी प्रोजेक्ट के लिए 100% की दर से है, और पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र में 100% की दर से, मध्यांचल और पश्चिमांचल (गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिले को छोड़कर) में 75% और गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिले में मेगा / बड़ी / एमएसएमई प्रोजेक्ट्स के लिए 50% की दर से है।
सरकार ने अक्टूबर 2022 में कहा कि पॉलिसी स्टेट भर में चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग सुविधाएं विकसित करने वाले सेवा प्रदाताओं को कैपिटल सब्सिडी भी प्रदान करती है, और राज्य सरकार सेवा प्रदाताओं को पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए 1 रुपये/किलोवाट घंटे के मामूली रेवेनुए शेयरिंग मॉडल पर 10 साल के लिए लीज पर सरकारी जमीन उपलब्ध कराकर भूमि की सुविधा भी प्रदान करेगी।