Mahindra ने इंडियन टेबल ग्रेप एक्सपोर्ट के 20 साल पूरे किए

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Mahindra ने इंडियन टेबल ग्रेप एक्सपोर्ट के 20 साल पूरे किए
11 Mar 2025
7 min read

News Synopsis

महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड Mahindra & Mahindra Ltd की सहायक कंपनी महिंद्रा एग्री सॉल्यूशंस लिमिटेड Mahindra Agri Solutions Limited ने इंटरनेशनल मार्केट्स में इंडियन टेबल ग्रेप के एक्सपोर्ट के 20 साल पूरे कर लिए हैं। कंपनी ने 2005 में यूरोप में अपनी पहली शिपमेंट के साथ ऑपरेशन शुरू किया और तब से नार्थ अमेरिका, चाइना और साउथईस्ट एशिया में विस्तार किया है।

MASL सबोरो और फ्रूकिन्ज़ ब्रांड के तहत थॉमसन और सोनाका वाइट सीडलेस ग्रेप, फ्लेम और क्रिमसन रेड सीडलेस ग्रेप और जंबो और शरद ब्लैक सीडलेस ग्रेप एक्सपोर्ट करती है। कंपनी महाराष्ट्र के नासिक, बारामती और सांगली क्षेत्रों में 500 से अधिक किसानों के साथ काम करती है।

एमएएसएल के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ रमेश रामचंद्रन Ramesh Ramachandran ने कहा "पिछले 20 वर्षों में ग्रेप बिज़नेस के माध्यम से हमने जो हासिल किया है, उस पर हमें बेहद गर्व है।" "यह उपलब्धि संपूर्ण एग्रीकल्चर वैल्यू चेन में खेती को बदलने की हमारी कमिटमेंट को दर्शाती है।"

कंपनी का ग्रेप बिज़नेस नासिक में एक पैक हाउस से ऑपरेट होता है, जिसका उद्घाटन 2019 में हुआ था। 75,000 वर्ग फुट की फैसिलिटी में प्रतिदिन 80 मीट्रिक टन ग्रेप प्रोसेस किए जाते हैं, और प्रति शिफ्ट 500 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इसमें 12 प्रीकूलिंग चैंबर और दो कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटी शामिल हैं, जिनकी कंबाइन कैपेसिटी 340 मीट्रिक टन है।

यह फैसिलिटी BRCGS, फेयरट्रेड, SMETA, ग्लोबल गैप, ग्रैस्प और स्प्रिंग सहित इंटरनेशनल सर्टिफिकेशन के साथ-साथ FSSAI और APEDA से डोमेस्टिक सर्टिफिकेशन को बनाए रखती है।

MASL की रिपोर्ट है, कि किसानों के साथ इसकी साझेदारी ने एक्सपोर्ट योग्य पैदावार को 2.5 मीट्रिक टन प्रति एकड़ से बढ़ाकर 7.5 मीट्रिक टन कर दिया है। कंपनी खेती के तरीकों, इर्रिगेशन मैनेजमेंट, सॉइल मॉइस्चर मैनेजमेंट और नुट्रिएंट मैनेजमेंट के लिए टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करती है।

कंपनी नासिक में 15 एकड़ का एक प्रदर्शन फार्म भी रखती है, जहाँ यह अपने नेटवर्क में किसानों के साथ इस ज्ञान को शेयर करने से पहले नई खेती के तरीकों और किस्मों का टेस्ट करती है।

नासिक फैसिलिटी में कई सस्टेनेबिलिटी उपाय शामिल हैं, जिसमें एनर्जी-एफ्फिसिएंट एलईडी लाइटिंग, कैप्टिव सोलर पावर प्रोडक्शन के प्रावधान और एक रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शामिल है, जो 7 मिलियन लीटर तक पानी एकत्र कर सकती है। साइट पर एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बागवानी और अन्य उद्देश्यों के लिए नॉन-potable वाटर प्रदान करता है।

भारत के ग्रेप एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में पिछले दो दशकों में काफी वृद्धि हुई है, देश अब ग्लोबल स्तर पर टॉप 10 ग्रेप प्रोड्यूसर में शुमार है। महाराष्ट्र में भारत के ग्रेप प्रोडक्शन का 80% से अधिक हिस्सा है, जिसमें नासिक जिला अपनी अनुकूल जलवायु और मिट्टी की स्थिति के कारण प्राइमरी ग्रोइंग क्षेत्र है।

यूरोपियन यूनियन और यूके ट्रेडिशनल रूप से इंडियन ग्रेप के सबसे बड़े मार्केट रहे हैं, हालांकि हाल के वर्षों में रूस, चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में एक्सपोर्ट में वृद्धि हुई है। भारत का ग्रेप एक्सपोर्ट सीजन आम तौर पर जनवरी से अप्रैल तक चलता है, जो यूरोपियन प्रोड्यूसर के एग्रीकल्चरल साइकिल का पूरक है।

अपनी एनिवर्सरी प्लान के एक भाग के रूप में एमएएसएल ने घोषणा की कि वह लोकल किसानों के साथ साझेदारी बढ़ाएगा, सस्टेनेबल फार्मिंग पद्धतियों में एडिशनल ट्रेनिंग प्रदान करेगा, तथा साथ ही ग्रेप और अन्य हाई-वैल्यू हॉर्टिकल्चरल प्रोडक्ट के लिए नए डोमेस्टिक और एक्सपोर्ट अवसरों की खोज करेगा।