राज्यों की वित्तीय सहायता से बढ़ रही है 2-व्हीलर EV अपनाने की रफ्तार: RBI

News Synopsis
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों (2W-EVs) की अपनाने की गति पर राज्य स्तर की वित्तीय नीतियों का बड़ा असर पड़ रहा है। जिन राज्यों ने सब्सिडी, अनुदान और अन्य प्रोत्साहन योजनाएँ लागू की हैं, वहाँ EV का अपनाना तेज़ी से बढ़ा है।
वहीं, जिन राज्यों में केवल कर छूट और पंजीकरण शुल्क में राहत दी गई है, वहाँ EV अपनाने की रफ्तार धीमी है। भारत के डिकार्बोनाइजेशन (Decarbonization) और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बढ़ते प्रयासों के बीच, राज्य सरकारों की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
वित्तीय सहायता से EV को बढ़ावा Financial Assistance Boosts EV Adoption
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट Report of Reserve Bank of India (RBI) के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा दी गई सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाएँ उपभोक्ताओं को EV खरीदने के लिए प्रेरित कर रही हैं। कई राज्य निम्नलिखित सहायता दे रहे हैं:
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इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खरीद पर नकद सब्सिडी
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टैक्स छूट और पंजीकरण शुल्क माफी
इन उपायों ने उपभोक्ताओं को सीधी आर्थिक राहत दी है, जिससे EV अधिक सस्ते और आकर्षक बन गए हैं। इसके विपरीत, केवल टैक्स और शुल्क छूट देने वाले राज्यों में EV की वृद्धि धीमी रही।
राज्यों में EV अपनाने के रुझान Adoption Trends Across States
RBI ने 23 राज्यों का विश्लेषण किया और पाया:
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केवल टैक्स और शुल्क छूट देने वाले 6 राज्यों में सितंबर 2023 तिमाही के दौरान EV अपनाने का अनुपात 24% घटा।
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टॉप-अप सब्सिडी देने वाले 17 राज्यों में गिरावट कम रही और अपनाने का अनुपात सिर्फ 17% घटा।
यह दर्शाता है कि जिन राज्यों ने अतिरिक्त वित्तीय सहायता दी, वहाँ EV अपनाने की प्रक्रिया ज्यादा स्थिर रही और FAME II योजना FAME II Scheme की सब्सिडी कटौती का असर कम पड़ा।
EV अपनाने में दक्षिण और पश्चिम भारत आगे Regional Leadership in EV Adoption
रिपोर्ट के अनुसार:
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दक्षिण और पश्चिम भारत (कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र जैसे राज्य) EV अपनाने में आगे हैं।
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उत्तर और पूर्व भारत पीछे हैं, जो मज़बूत नीतिगत ढाँचे की कमी को दर्शाता है।
शुरुआती कदम उठाने वाले राज्यों ने साबित किया है कि मजबूत नीतियाँ और योजना-बद्ध चार्जिंग ढाँचा EV वृद्धि की कुंजी हैं।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का महत्व Importance of Charging Infrastructure
सब्सिडी के अलावा, चार्जिंग स्टेशन का मजबूत नेटवर्क भी EV अपनाने में बड़ी भूमिका निभाता है।
शीर्ष पाँच राज्यों में चार्जिंग ढाँचे के कारण EV अपनाना तेज़ है:
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कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र (दक्षिण-पश्चिम)
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दिल्ली और हरियाणा (उत्तर)
राज्यों की चार्जिंग पहल State-Level Charging Initiatives
कई राज्य EV चार्जिंग स्टेशनों के लिए पूंजीगत सब्सिडी प्रदान कर रहे हैं:
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आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात और केरल: 25% से 60% सब्सिडी
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दिल्ली: 100% ग्रांट चार्जिंग उपकरण खरीद पर
इन योजनाओं का उद्देश्य एक भरोसेमंद चार्जिंग नेटवर्क तैयार करना है, जो मूल्य-संवेदनशील भारतीय बाज़ार में EV अपनाने के लिए ज़रूरी है।
नीति और राष्ट्रीय लक्ष्य Policy Implications and National Goals
RBI ने स्पष्ट किया कि दोपहिया EV अपनाना भारत के डिकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राज्यों की वित्तीय सहायता, टैक्स छूट और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश EV क्रांति को गति देंगे।
मजबूत राज्य स्तरीय पहल न केवल उपभोक्ताओं को EV अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी बल्कि भारत की स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी अहम योगदान देंगी।
निष्कर्ष Conclusion
यह निष्कर्ष साफ़ तौर पर बताता है कि RBI की रिपोर्ट में राज्य-स्तरीय वित्तीय सहायता को टू-व्हीलर ईवी (2W-EV) अपनाने का सबसे बड़ा कारक माना गया है। जिन राज्यों ने समय पर सब्सिडी, अनुदान और सुलभ चार्जिंग नेटवर्क उपलब्ध कराया है, वे ईवी अपनाने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
वहीं जिन राज्यों में नीतिगत स्पष्टता और बुनियादी ढांचे की कमी है, वे इस परिवर्तन की दौड़ में पीछे छूट रहे हैं। यदि भारत को 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य हासिल करना है, तो राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर अधिक समन्वित दृष्टिकोण अपनाना होगा।
इसमें वित्तीय प्रोत्साहनों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर चार्जिंग स्टेशनों का विस्तार, बैटरी स्वैपिंग सुविधाएं और उपभोक्ता-अनुकूल नीतियां अहम भूमिका निभाएंगी। इस दिशा में निरंतर प्रयास ही भारत की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्रांति को वास्तविकता में बदलेंगे और आने वाले दशकों में एक हरित और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करेंगे।