युवराज क्यों हैं खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा

Share Us

1227
युवराज क्यों हैं खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
13 Dec 2021
7 min read

Blog Post

विश्व कप 2011 को जीतने में जिस एक शख़्स का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसने अपने हुनर से भारत को फिर से सफ़लता का स्वाद चखाया है, वह हैं भारतीय ऑलराउंडर युवराज सिंह। युवराज सिंह ने क्रिकेट के करियर में कई उपलब्धियां हासिल की। जो प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी के लिए न केवल प्रिय हैं बल्कि उनके लिए एक प्रेरणा भी हैं।

दुनिया में खेल Sports किसको पसंद नहीं होगा। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो खेल प्रेमी न हो। हालांकि यह ज़रूर हो सकता है कि लोगों को भिन्न -भिन्न प्रकार के खेल पसंद हो, परन्तु खेल के चाहने वाले अवश्य होते हैं। प्रत्येक देश का अपना एक निश्चित राष्ट्रीय खेल भी होता है, जो एक देश द्वारा उस खेल में मिली उपलब्धियों तथा अधिक चर्चित होने के द्वारा निश्चित किया जाता है। भारत देश में भी खेल प्रेमियों की कमी नहीं है। यहां खेल के प्रति लोगों का एक अलग झुकाव रहता है, ख़ासकर क्रिकेट के प्रति। क्रिकेट में भारत ने 1983 में पहली बार विश्व कप जीता था। उसके  बाद से जैसे विश्व कप के लिए भारत में सूखा पड़ गया था। परन्तु 2011 में यह सूखा हरियाली में परिवर्तित हुआ जब भारतीय क्रिकेट टीम Indian cricket team ने दूसरी बार विश्व कप अपने नाम किया। इस विश्व कप को जीतने में जिस एक शख़्स का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसने अपने हुनर से भारत को फिर से सफ़लता का स्वाद चखाया है वह हैं भारतीय ऑलराउंडर युवराज सिंह। युवराज सिंह Yuvraj Singh ने क्रिकेट के करियर में कई उपलब्धियां हासिल की। जो प्रत्येक क्रिकेट प्रेमी के लिए न केवल प्रिय ही नहीं बल्कि उनके लिए एक प्रेरणा भी हैं।

युवराज सिंह का जन्म पंजाब में 1981 में हुआ था तथा इनके पिता योगराज सिंह भी भारतीय क्रिकेट टीम में खेला करते थे। उन्होंने बचपन से क्रिकेट के अभ्यास में स्वयं को लगा दिया था। युवराज सिंह ने Under-16 मैचों से खेलों में पदार्पण किया। हालांकि उन्हें बचपन से क्रिकेट खेलने का कोई शौक नहीं था। टेनिस Tennis और रोलर स्केटिंग rollar sketing की तरफ़ युवराज सिंह का अधिक झुकाव था, परन्तु अपने पिता की इच्छा के लिए उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया।

वर्ष 2000 में युवराज सिंह ने अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में खेलना शुरू किया। अपने करियर में अन्य खिलाड़ियों की तरह युवराज सिंह ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे। परन्तु 2007 में प्रथम T-20 विश्व कप में भारत ने Trophy जीती थी, जिसमें युवराज सिंह की मुख्य भूमिका रही। युवराज सिंह ने एक ओवर में लगातार 6 छक्के लगाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से भारत को जीत दिलाई । 2011 के विश्व कप में जब महेन्द्र सिंह धोनी Mahendra Singh Dhoni  की कप्तानी में पूरा देश प्रतिस्पर्धा competition पर नज़र टिकाए बैठा था तब युवराज सिंह की धुंआधार पारी ने देश को उम्मीद की रौशनी दी, जिसके कारण अंत में 2011 विश्व कप पर भारत ने अपना आधिपत्य स्थापित किया।

2011 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के लिए युवराज सिंह को मैन ऑफ द सीरीज़ man of the series भी चुना गया। भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के नाम दूसरे सर्वाधिक मैन ऑफ द सीरीज़ बनने का भी खिताब भी दर्ज है। इसी विश्वकप के दौरान वे कैंसर cancer जैसी घातक बीमारी से भी जूझ रहे थे, परन्तु उन्होंने विश्व कप खेलने के बाद अपना ईलाज शुरू करवाया तथा पूरी तरह ठीक होने के बाद फ़िर से उसी ऊर्जा के साथ मैदान पर उतरे।

युवराज सिंह को उनके उत्तम प्रदर्शन के लिए भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार Arjuna Award से सम्मानित किया गया तथा खेल जगत में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के चौथे सबसे बड़े सम्मान Padma Bhushan से सम्मानित किया गया।