Sridhar Vembu ने Zoho के सीईओ पद से इस्तीफा दिया

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चेन्नई/अमेरिका स्थित ज़ोहो कॉर्प Zoho Corp के को-फाउंडर और सीईओ श्रीधर वेम्बू कंपनी के सीईओ पद से इस्तीफा देंगे। वे चीफ साइंटिस्ट के रूप में नई भूमिका निभाएंगे, जो डीप आरएंडडी पहलों के लिए जिम्मेदार होंगे। कंपनी के को-फाउंडर शैलेश कुमार डेवी नए ग्रुप सीईओ के रूप में काम करेंगे।
एक अन्य को-फाउंडर टोनी थॉमस ज़ोहो यूएस का नेतृत्व करेंगे। राजेश गणेशन मैनेजइंजीन डिवीजन का नेतृत्व करेंगे और मणि वेम्बू ज़ोहो डॉट कॉम डिवीजन का नेतृत्व करेंगे, श्रीधर वेम्बू ने कहा।
श्रीधर वेम्बू Sridhar Vembu ने कहा "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हाल ही में हुए प्रमुख विकासों सहित हमारे सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों और अवसरों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है, कि यह सबसे अच्छा है, कि मैं अपने पर्सनल रूरल डेवलपमेंट मिशन को आगे बढ़ाने के साथ-साथ आरएंडडी पहलों पर पूरा समय केंद्रित करूं।"
उन्होंने कहा "हमारी कंपनी का भविष्य पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है, कि हम आरएंडडी चुनौती को कितनी अच्छी तरह से पार करते हैं, और मैं एनर्जी और जोश के साथ अपने नए कार्यभार का इंतजार कर रहा हूं। मैं टेक्निकल काम पर वापस आकर भी बहुत खुश हूं।"
एआई पर श्रीधर वेम्बू ने नवंबर 2024 में कहा "मैं एआई युग में खुद को फिर से तलाशने में व्यस्त रहा हूँ। हर टेक कंपनी को यह पता लगाना होगा। अगर इसे अच्छी तरह से क्रियान्वित किया जाए तो यह एक बड़ा अवसर है, और अगर नहीं किया जाए तो यह एक बड़ी चुनौती है। जैसा कि कहा जाता है, हम केवल सफलता के हकदार हो सकते हैं, उसे सुनिश्चित नहीं कर सकते।"
संयोग से श्रीधर वेम्बू जो केंद्र द्वारा गठित सर्वोच्च समिति के को-चेयर थे, और हेल्थ केयर, एग्रीकल्चर और सस्टेनेबल शहरों पर तीन AI Centres of Excellence स्थापित करने का निर्णय लिया।
दिलचस्प बात यह है, कि फ्रेशवर्क के फाउंडर गिरीश माथरूबूथम ने मई 2024 में सीईओ का पद प्रेजिडेंट डेनिस वुडसाइडिस को सौंप दिया। इसका एक कारण यह था, कि वह चेन्नई आरएंडडी टीम के साथ विभिन्न एआई-बेस्ड प्रोडक्ट्स को विकसित करने में अधिक समय बिताना चाहते थे।
श्रीधर वेम्बू हमेशा वेंचर कैपिटल या प्राइवेट इक्विटी पर निर्भर हुए बिना कंपनी बनाने में विश्वास करते हैं।
कंपनी ने कहा "चूंकि हमने कभी निवेशकों से पैसे नहीं लिए, इसलिए हम हमेशा इस बात पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम रहे हैं, कि कस्टमर्स के लिए क्या सबसे अच्छा है। शार्ट-टर्म प्रॉफ़िट्स के बारे में चिंता करने के बजाय हमें लॉन्ग-टर्म के बारे में सोचने की स्वतंत्रता मिली है।"
कंपनी ने कहा "इस तरह की स्वतंत्रता समस्या-समाधान के प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदल देती है, जिससे हम वास्तव में अलग तरीके से सोचने में सक्षम होते हैं। हम कैसे निर्माण करते हैं, से लेकर हम कैसे काम पर रखते हैं, हमारे अपरंपरागत दृष्टिकोण ने हमें दुनिया भर में 15,000 से अधिक कर्मचारियों और 100 मिलियन यूजर्स तक पहुंचाया है।"
ज़ोहो एक दिन में नहीं बना था। 1996 में श्रीधर वेम्बू ने अपने को-फाउंडर्स के साथ एडवेंटनेट की शुरुआत की, जिसका ध्यान नेटवर्क मैनेजमेंट पर था। मई 2009 में कंपनी ने घोषणा की कि एडवेंटनेट इंक अब ज़ोहो कॉर्पोरेशन बन जाएगा।
आज लगभग हर प्रमुख बिज़नेस कैटेगरी में 55 से अधिक ऐप के साथ ज़ोहो दुनिया की सबसे प्रोलीफिक टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक है। चेन्नई, भारत में मुख्यालय वाली ज़ोहो निजी स्वामित्व वाली और 15,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ लाभदायक है।