Rolls-Royce भारत को बनाएगी अगला होम मार्केट, देश में बड़े निवेश की तैयारी

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Rolls-Royce भारत को बनाएगी अगला होम मार्केट, देश में बड़े निवेश की तैयारी
29 Dec 2025
7 min read

News Synopsis

ब्रिटेन की दिग्गज एयरो-इंजन कंपनी Rolls-Royce भारत को अपना अगला बड़ा “होम मार्केट” बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, अगर यह योजना साकार होती है, तो भारत कंपनी के लिए यूके के बाहर अमेरिका और जर्मनी की तरह एक रणनीतिक घरेलू बाजार बन जाएगा, यह संकेत देता है, कि Rolls-Royce भारत में सिर्फ बिजनेस नहीं, बल्कि लंबी अवधि की गहरी साझेदारी चाहता है, खासतौर पर डिफेंस, एयरोस्पेस, नेवल प्रोपल्शन और एडवांस इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में।

भारत में बड़े निवेश की तैयारी

Rolls-Royce के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट साशी मुकुंदन ने कहा कि कंपनी भारत में “बड़े निवेश” की योजना बना रही है, इस निवेश का सबसे अहम हिस्सा होगा भारत में ही नेक्स्ट-जेनरेशन एयरो इंजन का विकास, जिसे भारत के Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किया जाएगा, AMCA भारत का स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट प्रोग्राम है, और इसे देश की डिफेंस रणनीति का अहम स्तंभ माना जाता है।

साशी मुकुंदन के मुताबिक “यूके के बाहर हमने अमेरिका और जर्मनी को होम मार्केट बनाया है, अब हम भारत को भी उसी कैटेगरी में लाना चाहते हैं,” उन्होंने साफ किया कि Rolls-Royce की भारत में महत्वाकांक्षा सिर्फ डिफेंस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नेवल सिस्टम, लैंड प्लेटफॉर्म, मैन्युफैक्चरिंग, एडवांस टेक्नोलॉजी और स्किल डेवलपमेंट तक फैली हुई है, जो भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर रक्षा नीति से पूरी तरह मेल खाती है।

AMCA बना रणनीति का केंद्र

Rolls-Royce की भारत रणनीति के केंद्र में AMCA प्रोग्राम है, कंपनी का मानना है, कि उसके पास भारत की अगली पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता और अनुभव दोनों हैं, साशी मुकुंदन ने कहा कि अगर भारत ने नेक्स्ट-जेनरेशन इंजन पर आगे बढ़ने का फैसला किया, तो Rolls-Royce एक मजबूत और भरोसेमंद पार्टनर हो सकता है, कंपनी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) को भारत के साथ साझा तौर पर विकसित और ओन करने के लिए भी तैयार है।

उनके अनुसार “अगर इंजन का डिजाइन भारत में होता है, और IP साझा रूप से भारत के पास रहती है, तो इससे भारत को रणनीतिक नियंत्रण मिलता है,” हालांकि उन्होंने यह भी माना कि इंजन मैन्युफैक्चरिंग एक संवेदनशील प्रक्रिया है, जिसके लिए चरणबद्ध और सुरक्षित तरीके से क्षमताओं का विकास करना होगा।

नेवी को भी मिल सकता है, फायदा

AMCA इंजन प्रोग्राम का फायदा सिर्फ वायुसेना तक सीमित नहीं रहेगा, Rolls-Royce का मानना है, कि इससे भारत की नेवल प्रोपल्शन कैपेसिटी भी मजबूत हो सकती हैं, एडवांस्ड युद्धपोतों में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम, एयरो इंजन कोर पर आधारित होते हैं, और इस क्षेत्र में Rolls-Royce दुनिया की चुनिंदा कंपनियों में शामिल है, साशी मुकुंदन के मुताबिक अगर एयरो इंजन कोर भारत में ही डिजाइन और विकसित किया जाता है, तो वही सप्लाई चेन नेवी और एयरोस्पेस दोनों के लिए काम कर सकती है, इससे नौसेना के लिए अलग से महंगा इकोसिस्टम खड़ा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

लैंड सिस्टम्स में भी बढ़ेगी मौजूदगी

Rolls-Royce भारत में अपनी मौजूदगी और मजबूत करने के लिए दो भारतीय डिफेंस PSU के साथ MoU करने जा रही है, एक समझौता अर्जुन मेन बैटल टैंक के लिए इंजन मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा होगा, दूसरा MoU भविष्य के रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स के इंजनों को लेकर होगा, इस तरह कंपनी एयर, लैंड और नेवल तीनों डोमेन में भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

भारत को क्यों मिल रहा है, खास दर्जा?

Rolls-Royce के CEO तुफान एर्गिनबिलगिच पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कह चुके हैं, कि आने वाले समय में भारत कंपनी के लिए बेहद अहम होगा, साशी मुकुंदन का भी मानना है, कि भारत की वैश्विक भूमिका लगातार बढ़ रही है, खासकर ग्लोबल साउथ में. उनके शब्दों में “लंबी अवधि में भारत एक बड़ी वैश्विक शक्ति बनेगा, यही वजह है, कि Rolls-Royce के लिए भारत सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक घर बनने जा रहा है।”

Rolls-Royce की ताकत

Rolls-Royce दुनिया की सबसे बड़ी जेट इंजन कंपनियों में से एक है, कंपनी हर 18 महीने में नए इंजन विकसित और सर्टिफाई करने का रिकॉर्ड रखती है, यह Eurofighter Typhoon को पावर देने वाला EJ200 इंजन बनाती है, साथ ही UK-Japan-Italy के छठी पीढ़ी के फाइटर जेट प्रोग्राम का नेतृत्व भी कर रही है, इसके अलावा F-35 प्रोग्राम के लिए GE के साथ मिलकर हाई-थ्रस्ट इंजन डेवलपमेंट का अनुभव भी कंपनी के पास है, यही अनुभव अब Rolls-Royce भारत के AMCA सपने से जोड़ना चाहती है, ताकि भारत न सिर्फ फाइटर जेट बनाए, बल्कि उसका दिल यानी इंजन भी खुद डिजाइन और नियंत्रित कर सके।