रेस्तरां 31 अगस्त तक सेवा शुल्क ले सकते हैं, हाईकोर्ट खंडपीठ का रोक से इनकार

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रेस्तरां 31 अगस्त तक सेवा शुल्क ले सकते हैं, हाईकोर्ट खंडपीठ का रोक से इनकार
19 Aug 2022
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News Synopsis

गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट Delhi High Court ने रेस्तरां में खाने के बिल Restaurant Food Bills पर सेवा शुल्क Service Charges मुद्दे पर केंद्र सरकार और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण Central Government and Central Consumer Protection Authority (सीसीपीए) को अपने दिशा निर्देश पर लगी रोक को हटाने के लिए पुन: सिंगल जज Single Judge के पास जाने की स्वतंत्रता दे दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने भी सेवा शुल्क वसूलने पर रोक संबंधी सिंगल जज के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद Justice Satish Chandra Sharma and Justice Subramaniam Prasad की खंडपीठ ने दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को सिंगल जज के समक्ष अपना जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता दी और निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 31 अगस्त को होगी। जबकि, पहले सुनवाई नवंबर माह तय थी। इसी के साथ पीठ ने सीसीपीए की अपील का निपटारा कर दिया। खंडपीठ केंद्र और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकल न्यायाधीश ने सेवा शुल्क वसूलने संबंधी दिशा निर्देश पर रोक लगा दी थी। अदालत ने होटल और रेस्तरां Hotels and Restaurants के राष्ट्रीय रेस्तरां एसोसिएशन National Restaurant Association द्वारा याचिकाओं पर विचार करते समय खाद्य बिलों पर स्वचालित रूप से सेवा शुल्क लगाने से रोक दिया गया था। खंडपीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश लंबित अंतिम सुनवाई के आवेदनों के संबंध में उचित आदेश पारित कर सकते है। अपीलकर्ताओं की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा Additional Solicitor General Chetan Sharma ने दलील दी कि सेवा शुल्क अर्ध-सरकारी या सरकारी प्रभार के रूप में माना जा रहा है और यदि कोई भुगतान करने से इनकार करता है तो शर्मिंदगी का कारण बनता है । हालांकि गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि रेस्तरां अपने कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए कानून में बाध्य हैं और ग्राहकों को इसके लिए उत्तरदायी नहीं बनाया जा सकता है। इस बीच यह तर्क देते हुए सीसीपीए ने दोहराया कि सेवा शुल्क लगाना जनता द्वारा सरकारी लेवी के रूप में माना जाता है। कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी उपाय के रूप में अदालतों के समक्ष आरोप किए। सीसीपीए ने खंडपीठ के समक्ष अपील की है कि उसके दिशा-निर्देशों पर रोक हटाने का आग्रह किया जाए। याची की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि सेवा शुल्क उपभोक्ता विरोधी है और इसे अक्सर सरकारी लेवी के रूप में चित्रित किया जाता है। एएसजी ने तर्क दिया कि रेस्तरां को उपभोक्ताओं से एक अलग शुल्क वसूलने के बजाय सेवा शुल्क के लिए अपनी कीमतें बढ़ाने का सहारा लेना चाहिए।