जेब खाली पर इरादे बड़े लेकर बने करोड़पति

Share Us

705
जेब खाली पर इरादे बड़े लेकर बने करोड़पति
13 Oct 2021
9 min read

Blog Post

अगर कोई भी इंसान दृढ़ संकल्प कर ले तो एक छोटे से बिजनेस से भी स्टार्टअप करके बुलंदियों को छू सकता है और सिर्फ देश में ही नहीं पूरे विश्व में भी अपना परचम लहरा सकता है।

जोधपुर के लोहिया दंपति जो कि आज पूरे विश्व में हैंडीक्राफ्ट आइटम के लिए जाने जाते हैं। कभी इनके पास काम शुरू करने के लिए पैसे नहीं थे। इन्होंने दोस्तों से उधार लेकर काम शुरू किया। लोग जिस वेस्ट को कूड़ा कचरा समझकर फेंक देते थे, उसी कचरे से इन्होंने अपना व्यापार शुरू किया, इनकी मेहनत और लगन रंग लायी इनका बिज़नेस चलने लगा। कबाड़ को सहेजकर कोई भी अपने घर में नहीं रखेगा, लेकिन सोचिये अगर ऐसा करके सच में कोई करोड़ो कमाता हो तो कोई भी विश्वास नहीं कर पायेगा।

ये सुन कर हैरानी भी हो सकती है कि ये कैसे संभव हो सकता है पर ये सच है रितेश लोहिया ने कबाड़ को घर में सजाने की वस्तु बना दिया है। प्रीति इंटरनेशनल के मालिक रितेश लोहिया और सहकर्मी पत्नी प्रीति साथ में मिलकर काम करते हैं। उनकी फर्म का व्यवसाय जो साल 2019 से पहले 16 करोड़ रूपये सालाना का था वो अब 50 करोड़ रूपये पर पहुँच गया है। आज इनका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपये है। कहते हैं न कि अगर इंसान में कुछ करने की चाहत हो तो रास्ते अपने आप खुल जाते हैं, यही इनके साथ भी हुआ। इनके हैंडीक्राफ्ट आइटम की आज 36 देशों में डिमांड है। जहाँ भी स्टॉल में उनके आइटम लगते हैं, लोग उनके सामान की तारीफ़ किये बिना नहीं रहते। इनके आइटम की इतनी विस्तृत रेंज हैं कि हर कोई हैरान रह जाता है। इनके हैंडीक्राफ्ट आइटम के साथ लोग फोटो और सेल्फी खिंचवाते हैं। 

लोहिया दंपति ने यह साबित कर दिखाया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस ज़रुरत है जज्बे के साथ उस काम में लग जाने की, क्योंकि कोई भी काम एक छोटे स्तर से ही शुरू होकर ऊंचाई तक पहुँचता है। रितेश ने कठिन परिश्रम से कबाड़ को घर में सजाने की चीज़ बना दिया। इनके आइटम की देश ही नहीं विदेशों में भी काफी डिमांड है और सबसे ज्यादा डिमांड यूरोपियन देशों में है। इनकी कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि कैसे शून्य से शिखर तक पहुंचा जा सकता है। रितेश ने 2008 से लेकर 2012 तक कई बिजनेस किये पर किसी में भी सफल नहीं हुए। फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी और फिर एक नयी शुरुआत करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने बहुत सोचकर पत्नी के साथ मिलकर वेस्ट पर काम शुरू करने का निर्णय लिया। फिर क्या था दोनों की मेहनत ने एक मिसाल कायम कर दी कि एक बार हार जाने के बाद भी अगर फिर से मेहनत करें तो जीत ज़रूर मिलती है। बस ज़रूरत है एक लक्ष्य बनाने की। इनको भी शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा इनके पास इतने पैसे नहीं थे। 

इन्होंने कुछ आइटम बनाकर वेबसाइट पर अपलोड किये और सबसे पहला आर्डर इन्हे डेनमार्क से मिला पर इनके पास आर्डर का आइटम बनाने के पैसे नहीं थे, इसलिए इन्होंने अपने दोस्त से उधार लेकर आर्डर को पूरा किया था। उन्होंने टिन का कबाड़ बटोरा और हजारों की संख्या में जुगाड़ से बने स्टूल विदेश भेजे जाने लगे और आज हालत ये है कि वो अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की मांग भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद धीरे-धीरे उनके आइटम की मांग विदेशों में भी बढ़ने लगी। वो स्टैंड और प्लास्टिक के कट्टे, बोरियों से बेड शीट, चेयर के कवर बनाते हैं। उनकी तीन फैक्ट्रियां हैं। एक फैक्ट्री में टेक्सटाइल वेस्ट, प्लास्टिक के कट्टे, दूसरी फैक्ट्री में बाइक, थ्री व्हीलर व फोर व्हीलर के कबाड़ से हैंडीक्राफ्ट आइटम और तीसरी फैक्ट्री में फर्नीचर बनाने का काम होता है। प्रदेश में हैंडीक्राफ्ट आइटम बनाने वाली ये पहली कंपनी है जो कैपिटल मार्केट में है।

यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको आप छोटे स्तर से शुरू करके बड़े स्तर तक पहुंचा सकते हैं, इसकी प्रकिया आसान होता है, इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता, सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें ख़राब उत्पादों का प्रयोग करके नए सामान बनाकर आप पर्यावरण को भी प्रदुषित होने से बचा रहे हैं।