बंदरगाहों पर अटका 10 लाख टन चावल, निर्यात शुल्क बना वजह

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बंदरगाहों पर अटका 10 लाख टन चावल, निर्यात शुल्क बना वजह
13 Sep 2022
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News Synopsis

भारत सरकार Government of India द्वारा चावल निर्यात Rice Exports पर रोक लगाने के फैसले से निर्यातकों Exporters की मुश्किलें और बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। विदेशी चावल खरीदारों Foreign Rice Buyers ने अतिरिक्त शुल्क चुकाने से मना कर दिया है। इससे बंदरगाहों Ports पर 10 लाख टन चावल फंस गए हैं। पिछले दिनों सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध Export Restrictions के साथ ही 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क Additional Duty चुकाने का भी नियम लगू कर दिया था। भारतीय चावल निर्यातक संगठन Rice Exporters Organization of India के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव BV Krishna Rao ने जानकारी देते हुए कहा है कि, सरकार ने तत्काल प्रभाव से शुल्क लगा दिया, लेकिन खरीदार इसके लिए तैयार नहीं थे। फिलहाल हमने चावल का लदान रोक दिया है।

दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत के रोक लगाने के बाद अब पड़ोसी देशों सहित दुनिया के चावल आयातक देशों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। गौर करने वाली बात ये है कि भारत हर महीने करीब 20 लाख टन चावल का निर्यात करता है। इसमें सबसे ज्यादा लोडिंग आंध्र प्रदेश Andhra Pradesh के कनिकड़ा और विशाखापट्टन बंदरगाह Kanikra and Visakhapattan Ports से की जाती है।

बंदरगाहों पर फंसे चावल का निर्यात चीन China, सेनेगल Senegal, संयुक्त अरब अमीरात और तुर्की UAE and Turkey को होना था। इसमें सबसे ज्यादा शिपमेंट टूटे चावल का था।