मिसाइल मैन के जीवन से सीखिए उद्यमिता के सुझाव

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मिसाइल मैन के जीवन से सीखिए उद्यमिता के सुझाव
03 Dec 2021
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संघर्ष की मशाल से संघर्ष की मिसाल तक का सफर तय करने वाले मिसाइल मैन हम सभी के प्रेरणाश्रोत हैं। भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़ी कई अहम ज़िम्मेदारी सफलतापूर्वक निभाई। अगर आप भी अपने जीवन में कुछ बेहतर करने की चाह रखते हैं या एक सफल उद्यमी बनना चाहते हैं तो कलाम सर की जीवन गाथाएं आपको बहुत कुछ सिखा सकती हैं।

संघर्ष की मशाल से संघर्ष की मिसाल तक का सफर तय करने वाले मिसाइल मैन Missile Man हम सभी के प्रेरणाश्रोत हैं। भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र से जुड़ी कई अहम ज़िम्मेदारियाँ सफलतापूर्वक निभाई। उन्होंने युवाओं को सपने देखना सिखाया। अगर आप भी अपने जीवन में कुछ बेहतर करने की चाह रखते हैं या एक सफल उद्यमी बनना चाहते हैं तो कलाम सर की जीवन गाथाएं आपको बहुत कुछ सिखा सकती हैं।

उद्यमी बनें

कलाम सर ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी को चीजों को अलग तरह से करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने तर्क दिया कि उद्यमिता को भारत की शैक्षिक प्रणाली में एक पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। उनके अनुसार किसी भी राष्ट्र का भविष्य युवाओं के हाथों में है। वे कहते थे कि शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।

 मेरा संदेश, विशेष रूप से युवाओं के लिए है, कि वे अलग सोचने का साहस रखें, आविष्कार करने का साहस रखें, अनदेखे रास्तों पर चलने का साहस रखें, असंभव को खोजने और समस्याओं पर जीत हासिल करके सफल होने का साहस रखें। ये महान गुण हैं जिनके लिए उन्हें ज़रूर काम करना चाहिए। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

दृढ़ रहें

भारतीय वायु सेना में पायलट बनने की उनकी लंबे समय से चली आ रही महत्वाकांक्षा के धराशायी होने के बाद, युवा कलाम ने रक्षा मंत्रालय के साथ एक पद स्वीकार किया। उन्होंने खुद को आश्वस्त किया कि बेहतर मौके उनका इंतजार कर रहे हैं। वे कहते थे कि इंतज़ार करने वालों को उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं। 

मनुष्य के लिए कठिनाइयाँ बहुत ज़रूरी हैं क्यूंकि उनके बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

लीडर बनें 

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विरोध के बावजूद, वह भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को 1980 के दशक में अपने निर्देशन में एयरोस्पेस कार्यक्रमों aerospace programs के लिए धन जारी करने के लिए राजी करने में सक्षम थे। उनके अनुसार लीडर को दूरदर्शी और भावुक होना चाहि और उसे किसी भी चुनौती से डरना नहीं चाहिए। उसे इसके बजाय यह जानना चाहिए कि इसे कैसे हराया जाए। सबसे बढ़कर, उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए। 

किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

सपने देखने वाले बनें

डॉ. कलाम कहते थे कि सपने वो नहीं हैं जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं जो आपको नींद ही न आने दें। डॉ. कलाम के नेतृत्व में Integrated Guided Missile Development Programme 1982-83 से शुरू होकर 15 वर्षों तक चला। 1988 और 1989 में Prithvi और Agni के परीक्षण के बाद, पश्चिमी दुनिया ने भारत के मिसाइल कार्यक्रम में सहायता करने वाली किसी भी तकनीक तक पहुंच पर रोक लगा दी। निडर, कलाम ने अपने सपनों के कार्यक्रम को जारी रखा, जिसने भारत को अपने दम पर प्रमुख प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुसार सच्चे उद्यमियों की महत्वाकांक्षाएं बड़ी होती हैं और वे उन सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। 

महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

जिम्मेदार होना

11 जनवरी, 1999 को चेन्नई के अरक्कोनम में एक दुर्घटना हुई। परीक्षण उड़ान के दौरान एक विमान दुर्घटना में आठ लोगों के पूरे दल की मौत हो गई। डॉ. कलाम ने उस दिन किसी और के लिए जवाबदेह होने का दबाव महसूस किया। हम उद्यमियों के रूप में टीमों का नेतृत्व करते हैं पर समूह का नेतृत्व करना मुश्किल हो सकता है। उपलब्धि को साझा करना और असफलता की जिम्मेदारी लेना और भी कठिन हो सकता है। 

अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलना भी सीखो।  - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए तैयार रहें

डॉ. कलाम को MIT के प्रोफेसर ने एक विमान के डिजाइन बनाने के लिए कहा। जिस डिज़ाइन को बनाने में अमूमन एक सप्ताह भी कम था उस डिज़ाइन को उन्होंने मात्रा तीन दिन में ही बना दिया था। उनकी लगन को देखकर प्रोफ़ेसर बहुत खुश हुए। ऐसे ही उद्यमियों को भी कठिन समय सीमा के साथ असंभव कार्यों का सामना करना पड़ सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रयास करें और समाधान की दिशा में काम करें। 

समय सीमा जैसी कोई चीज नहीं है जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम