भारत को खेलों से मिली विश्व में पहचान

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भारत को खेलों से मिली विश्व में पहचान
18 Sep 2021
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खेल ने हमेशा ही देश को कुछ ना कुछ दिया है। आज भारत की विश्व में जो पहचान है उसमें खेलों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह कहना बिल्कुल अनुचित नहीं होगा कि खेलों ने देश को नाम दिलाने में अपना पूरा योगदान दिया। आज हिंदुस्तान उन चुनिंदा देशों में से एक है जहां पर देश खेलों में अच्छे प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। लोगों के बीच बढ़ती खेलों की लोकप्रियता अवश्य ही एक दिन भारत को खेल के क्षेत्र में विश्व तालिका में प्रथम स्थान पर लाकर खड़ा करेगा।   

हमारी ज़िंदगी में हमारी पसन्द नापसन्द कितना महत्वपूर्ण होती है। यदि हमें कोई काम नापसन्द है तो हम उसे करने में आनाकानी करते हैं और यदि पसन्द हो तो बड़े लगन के साथ उस काम को पूरा करते हैं। लगन से किया गया कार्य सफलता के आसमान में अपने जहाज उड़ाने में हमेशा सफल रहता है। खेल हर किसी की जिंदगी का हिस्सा होता है। खेल जीवन की गतिविधि का वह प्रारूप है जो किसी को पसन्द न हो यह असम्भव वाली बात लगती है। कोई एक ही खेल मनुष्य पसन्द करे, पर वह खेल पसन्द जरूर करता है। अपने देश में भी खेलों की महत्ता बाकी गतिविधियों से कम नहीं। भारत में खेल ने देश की क्षवि को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। भारत में खेल एक जूनून है, यह जुनून देश के प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर मौजूद है। कुछ की दीवानगी तो इतनी है कि वह खेल के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। शायद यही कारण है कि बदलते वक्त के साथ भारत खेल की दुनिया में खुद को बादशाह बनाता गया है। समय-समय पर देश ने अपनी धूमिल होती पहचान को बेहतरीन प्रदर्शन से अपनी बादशाहत की क्षवि को स्पष्ट करने का काम किया है। खेलों ने विश्व में भारत को अलग पहचान दिलाई है और भारत का मान बढ़ाया है।

हॉकी, क्रिकेट, कुश्ती, मुक्केबाजी, चैस, बैडमिंटन, टेवल टेनिस, शूटिंग ऐसे कई खेल हैं, जिन्होंने देश की शोभा में चार चांद लगाने में अपना पूरा योगदान दिया। कुछ खेलों ने भारत को विश्व-विजेता होने का भी सम्मान दिलाया, वो भी एक बार नहीं कई बार। खेलों में हो रहे प्रतिस्पर्धाओं में भारत ने उन देशों को भी हराया है, जिनकी पहचान विश्व के सबसे अच्छे खिलाड़ियों वाले देश में होती थी। भारत के लिए यह उपलब्धि दुनिया भर में खेल के प्रति भारत के प्यार और लगाव को दर्शाता है।

प्रत्येक खेल ने देश को दिलायी पहचान

कुछ खेलों जैसे हॉकी और क्रिकेट के प्रति देश में हमेशा से लोग आकर्षित रहते थे, परन्तु कुछ वर्षों में जिस तरह से खेलों में देशवासियों का प्रदर्शन रहा है उसे देखकर यही प्रतीत होता है कि देश में खेलों के प्रति हर व्यक्ति के मन में क्रांति आ गई है। खेल के हर प्रारूप में देश के अच्छे प्रदर्शन ने विश्व में भारत के प्रति लोगों का नज़रिया बदल दिया।

हॉकी रिकॉर्ड से भारत विश्व में आज भी प्रथम

हॉकी के खेल में देश बहुत पहले ही विश्वविजयी बन चुका था। यह वह समय था जब हमारा भारत आजाद भी नहीं हुआ था। 1928 से लगातार तीन बार ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीतने और कुल छह स्वर्ण पदक को अपने नाम करने वाले देश ने ना टूटने वाला रिकॉर्ड अपने खाते में डाल दुनिया को इस उपलब्धि की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते रहने को विवश कर दिया। विश्व आज भी इस उपलब्धि के पास पहुंचने की कोशिश कर रहा है।

विश्व कप ने विश्व में बढ़ाया भारत का मान

भारत में क्रिकेट एक लोकप्रिय खेल रहा है। परन्तु भारत क्रिकेट को लेकर विश्व की नजरों में तब आया जब 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप को पहली बार देश के लिए हांसिल किया। इस बार देश क्रिकेट तालिका में पहली बार प्रथम अंक पर आया। इस विश्व कप ने भारतीयों के मन में क्रिकेट को लेकर दीवानगी और बढ़ा दी। इसी कहानी को फिर से दोहराया गया 2011 में जब एक बार फिर भारत ने विश्व कप को जीता। इस जीत ने पूरे विश्व को दोबारा बताया कि क्रिकेट आज भी देश में कितना लोकप्रिय है।

दिमाग के दम पर भारत बना ग्रैंड मास्टर 

कहते हैं, चैस या शतरंज खेलने में अधिक दिमाग लगता है। इसको एक दिमागी खेल के रूप में जाना जाता है। जिसमें भारत के दिए गए बेहतरीन प्रदर्शन के कारण आज भी भारत की सराहना की जाती है। जब भी चैस के खेल का नाम आता है तो भारत का नाम ना लिया जाय ऐसा मुमकिन नहीं होता। वर्ष 2000 में देश विश्व का ग्रैंडमास्टर बना। और एक बार नहीं 2007, 2008, 2010, 2012 में जीतते हुए पांच बार विश्व का ग्रैंडमास्टर बनने का यश लिया। यही कारण है कि चैस के खेल के लिए पूरी दुनिया में भारत हमेशा याद किया जाता है।     

मुक्केबाजी में विश्व चैंपियन का अधिकतम रिकॉर्ड

खेलों को लेकर दुनिया में बनी महिलाओं की क्षवि को भी भारत ने स्पष्ट किया। देश की कई बेटियों ने भारत को जो नाम और पहचान दिलायी है, वह अकल्पनीय है। आज जब कोई भारतीय महिला खेल के मैदान में उतरती है तो उसके जीत का दावेदार होने में थोड़ी सी भी गुंजाइश नहीं रहती है। देश वह विश्वविजेता है जो मुक्केबाजी में छह बार दुनिया के सामने देश की महिलाओं के खेल में सक्षम होने की मिशाल बना। 2014 में पहली बार देश ने एशियन गेम्स में पहला स्वर्ण पदक जीता। छह बार विश्व चैम्पियन होने का खिताब दुनिया के किसी मुक्केबाज के पास नहीं है।

छह बार ग्रैंड स्लैम का खिताब देश के पास

सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, पीवी सिंधू और महिला खिलाड़ियों ने विश्व में देश का नाम रोशन किया। सानिया मिर्जा को वूमन टेनिस असोसियेशन की तरफ से भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी होने का खिताब दिया गया। टेबल टेनिस में भारत ने महिला चैंपियनशिप में छह बार ग्रैंड स्लैम का खिताब अपने नाम किया। बैडिंटन में भी देश को साइना नेहवाल और पीवी सिंधू जैसी खिलाड़ियों ने विश्व के सामने भारत के नाम को और ऊंचाई पर पहुंचाया।

एथेलेटिक्स में दुनिया में लहराया परचम

निशानेबाजी में 2008 के बिजिंग ओलंपिक में भी भारत ने गोल्ड मेडल प्राप्त करते हुए दुनिया को यह बताया कि वह इस क्षेत्र में भी पीछे नहीं हैं। भालांफेक में भारत ने इतिहास रचते हुए 2021 में गोल्ड मेडल हांसिल कर एथलेटिक्स के क्षेत्र में दुनिया में अपना परचम लहराया। देश ने उस मैदान में भी अपना डंका बजाया जहां शायद ही विश्व ने भारत की जीत की कल्पना की होगी। भारत ने गोल्फ में पहली बार अपनी मजबूत दावेदारी पेश की। हालांकि देश मेडल प्राप्त करने से चूक गया परन्तु गोल्फ में देश की लगन ने पूरे विश्व की नजरों को अपनी ओर केंद्रित कर लिया।