ई-पॉस मशीनों की कीमत 160 करोड़, रखरखाव पर खर्च 1200 करोड़!

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ई-पॉस मशीनों की कीमत 160 करोड़, रखरखाव पर खर्च 1200 करोड़!
30 Jul 2022
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News Synopsis

प्रदेश में राशन की दुकानों Ration shops पर इस्तेमाल होने वाली ई-पॉस मशीनों e-pos machines के किराए और मेंटीनेंस rental and maintenance के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। इन मशीनों के किराए व मेंटेनेंस के नाम पर हर साल कंपनियों companies को 240 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा रहा है। ये मशीनें पिछले पांच साल से इस्तेमाल होती आ रही हैं। हिसाब लगाया जाए तो पांच सालों में करीब 1200 करोड़ रुपए।

अब अगर ये मशीनें खुद सरकार खरीदती तो कुल खर्च करीब 160 करोड़ रुपए ही आता। राशन डीलरों ration dealers का तो कहना है कि अगर उन्हें भुगतान किया जाए तो यह मशीन वे खुद खरीद लेंगे। पूरे प्रदेश में राशन की 80 हजार से ज्यादा सरकारी दुकानें हैं। इनके जरिए हर माह 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को निशुल्क राशन का वितरण distribution of free ration किया जा रहा है। किसी भी तरह की धांधली रोकने के लिए इनका वितरण ई-पॉस मशीनों से होता है।

सभी दुकानों पर एक-एक मशीन दी गई है। इसके लिए तीन कंपनियों को वर्ष 2016 में ठेका दिया गया था। किराया और रख-रखाव के बदले प्रति क्विंटल राशन वितरण पर हर मशीन पर 17 रुपये किराया दिया जाता है। जितनी बार राशन बंटेगा, उतनी बार इन कंपनियों को भुगतान होगा।

इसको ऐसे समझें- प्रदेश सरकार लगभग आठ लाख मीट्रिक टन राशन का वितरण हर माह करती है। बीते ढाई साल से इतना ही राशन वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana में भी निशुल्क हो रहा है। यानी, प्रदेश में इस समय प्रति माह 16 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा राशन का वितरण किया जा रहा है।

इस हिसाब से देखें तो पांच साल में प्रदेश सरकार ई-पॉस के मेंटेनेंस maintenance of e-pos पर 816 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। वहीं, केंद्र की योजना के तहत ढाई साल में 408 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। यानी किराया और मेंटेनेंस ही 1200 करोड़ से ज्यादा बन रहा है।