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विश्व स्तर पर भारत का कद बढ़ाने में शिंजो आबे का रहा है महत्वपूर्ण योगदान

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विश्व स्तर पर भारत का कद बढ़ाने में शिंजो आबे का रहा है महत्वपूर्ण योगदान
13 Jul 2022
8 min read

News Synopsis

विश्व की सबसे सेफ कंट्री में से एक माने जाने वाले जापान में वहां के लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पर हमला हैरान करने वाला है। शिंजो आबे Shinzo Abe पर अटैक एक बड़े साजिश की तरफ इशारा कर रहा है और इसके दूरगामी परिणाम साबित हो सकते हैं। शिंजो पर हमला लोकतांत्रिक ताकतों पर हमला है। आपको बता दें कि शिंजो आबे ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने 2007 में हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए 'कान्फ्लूएंस आफ द टू सीज' 'Confluence of the Two Seas' की अवधारणा देते हुए साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी South China Sea and East China Sea में चीन के प्रभुत्व को चुनौती दी थी। 

अगर भारत के दृष्टिकोण से देखें तो शिंजो भारत के सबसे मजबूत सहयोगियों में से एक थे। उन्हीं के समय में भारत ने जापान के साथ 'कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट' Comprehensive Economic Partnership Agreement किया और एफटीए की ओर बढ़ा। भारत जापान का डिफेंस पार्टनर और स्ट्रैटेजिक पार्टनर भी है। इसके अलावा इंडो पेसिफिक स्ट्रेटजी, हिंद महासागर Indian Ocean की सुरक्षा जैसे कई अन्य मामलों में जापान भारत का सदाबहार मित्र India's evergreen friend रहा है। भारत जापान विजन India Japan Vision 2025 इसका सबूत है कि वह हमें हर स्तर पर मदद दे रहा है। शिंजो आबे के समय में भारत और जापान के रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई दी गई और इसी कड़ी में 30 नवंबर 2019 को भारत और जापान के बीच नई दिल्ली में पहली टू प्लस टू वार्ता संपन्न हुई। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रतिरक्षा और सामरिक महत्व के मामलों में दोनों देश आपसी सहयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते थे, जिसमें वह सफल भी रहे। 

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी Indian Prime Minister Narendra Modi की जापान यात्रा Japan visit के दौरान दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि उनके बीच 'विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी पर केंद्रित संबंध रहे। वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा एक्ट ईस्ट पालिसी की शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना था। शिंजो आबे जब पहली बार भारत आए थे, तब उन्होंने भारतीय संसद Indian Parliament में एक ऐतिहासिक भाषण दिया था। 

इस भाषण को 'दो समुद्रों के मिलन' Meeting of two seas के रूप में जाना जाता है। इसके बाद वर्ष 2015 में वह फिर भारत की यात्रा पर आए थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वाराणसी में गंगा आरती Ganga Aarti in Varanasi में भी शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत India's cultural heritage की जमकर तारीफ की थी। इस प्रकार से हम यह कह सकते है कि भारत जापान द्विपक्षीय संबंधों Indo-Japan bilateral relations की मजबूत नींव का जिक्र जब भी होगा वह शिंजो आबे के उल्लेख के बिना अधूरा ही रहेगा।