Retail Inflation : खुदरा महंगाई 10वें महीने भी रिजर्व बैंक के दायरे से बाहर

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Retail Inflation : खुदरा महंगाई 10वें महीने भी रिजर्व बैंक के दायरे से बाहर
15 Nov 2022
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News Synopsis

Retail Inflation: देश में महंगाई और उच्च कीमतों Inflation and High Prices के मोर्चे पर अक्तूबर में थोड़ी राहत देखने को मिली है। सब्जी से लेकर दाल और खाद्य तेल Pulses and Edible Oil की महंगाई घटी है। इसके बावजूद खुदरा कीमतों Retail Prices पर आधारित (सीपीआई) महंगाई की दर लगातार 10वें महीने रिजर्व बैंक Reserve Bank यानी आरबीआई RBI के संतोषजनक दायरे 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। इस दौरान अनाज, मांस-मछली Meat-Fish, दूध और मसाले Milk and Spices की महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय National Statistical Office के मुताबिक, अप्रैल-अक्तूबर के दौरान खुदरा महंगाई Retail Inflation की दर पांच महीने 7 फीसदी या इससे ऊपर बनी रही।

सिर्फ जुलाई और अक्तूबर में ही यह 7 फीसदी से कम रही है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि, कच्चा तेल Crude Oil, लौह अयस्क और इस्पात Iron Ore and Steel की कीमतें वैश्विक बाजार में गिरने के साथ घरेलू स्तर पर गेहूं एवं चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने से भी इन जिंसों की कीमतें काबू में रखने के प्रयास किए गए हैं। इसका असर आगे महसूस होगा। वही थोक महंगाई में सब्जी से लेकर दूध और फल तक सस्ता हुए हैं। विनिर्मित उत्पादों के साथ अनाज, सब्जी, दूध और फल जैसे खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें घटने की वजह से थोक कीमतों पर आधारित महंगाई में गिरावट आई है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय Ministry of Commerce and Industry के मुताबिक, अक्तूबर में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर घटकर 8.33 फीसदी रह गई, जो सितंबर में 11.03 फीसदी रही थी। विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई सितंबर के 6.34% से कम होकर अक्तूबर में 4.42 फीसदी रह गई। वहीं देश के खाद्य तेल आयात का बिल अक्तूबर में 34.18 फीसदी बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं, मात्रा के संदर्भ में यह 6.85 फीसदी बढ़कर 140.3 लाख टन पहुंच गया।

उद्योग संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन Solvent Extractors Association (एसईए) ने बताया कि 2020-21 (नवंबर से अक्तूबर) में भारत ने 1.17 लाख करोड़ रुपये के 131.3 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया था। पहली दो तिमाहियों में आयात धीरे-धीरे बढ़ा, लेकिन, तीसरी तिमाही में इसमें गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, चौथी तिमाही में यह फिर बढ़ गया क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेलों की कीमतें घटने से इंडोनेशिया ने पाम तेल पर पाबंदी हटा ली थी।