मिथिला के मखाना को मिला जीआई टैग, जानें कैसे होती है यह प्रक्रिया

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मिथिला के मखाना को मिला जीआई टैग, जानें कैसे होती है यह प्रक्रिया
07 Sep 2022
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News Synopsis

भारत India की केंद्र सरकार Central Government ने मिथिला Mithila के मखाना Makhana को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग Geographical Indication Tag प्रदान कर दिया है। इससे मखाना उत्पादकों Makhana producers को अब उनके उत्पाद की और भी बेहतर कीमत मिल सकेगी। मिथिला के मखाने अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप Nutrients and Natural Forms से उगाए जाने के लिए मशहूर हैं। देश के 90 फीसदी मखानों का उत्पादन यहीं होता है। इससे पहले बिहार Bihar के मधुबनी पेंटिंग Madhubani Painting, कतरनी चावल Sheared Rice, मगही पान, सिलाव का खाजा, मुजफ्फरपुर Muzaffarpur की शाही लीची और भागलपुर के जरदालू आम को जीआई टैग GI Tag मिल चुका है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल Union Minister Piyush Goyal ने इसकी जानकारी देते हुए अपने बयान में कहा है कि जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला का मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना। त्योहारी सीजन में मिथिला मखाना को जीआई टैग मिलने से बिहार के बाहर भी लोग श्रद्धा भाव से इस शुभ सामग्री का उपयोग कर पाएंगे। आमतौर पर उपवास में इस्तेमाल होने वाले मखाने स्वास्थ्यप्रद भोजन का हिस्सा रहे हैं। यह ऐसी फसल है जिसे पानी में उगाया जाता है। मखाने में करीब 9.7 ग्राम प्रोटीन Protein और 14.5 ग्राम फाइबर Fiber होता है।

यह कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है। संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में अधिनियम पारित किया था। जिसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स एक्ट 1999 Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act 1999 कहा गया। इसे 2003 में लागू किया गया। इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जीआई टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ।